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संजौली मस्जिद मामले में कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनी, 14 नवंबर को होगी अगली सुनवाई - SANJAULI MASJID CONTROVERSY CASE

संजौली मस्जिद मामले में शिमला डिला कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनी. अब मामले में अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी.

संजौली मस्जिद मामला
संजौली मस्जिद मामला (FILE)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 11, 2024, 12:00 PM IST

Updated : Nov 11, 2024, 12:57 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश की चर्चित संजौली मस्जिद मामले में शिमला जिला कोर्ट में सुनवाई है. इस दौरान कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना. जिला कोर्ट जज ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 नवंबर की तारीख तय की है.

शिमला जिला कोर्ट में अपील दायर करने वाली ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर कमेटी की ओर से नज़ाकत अली हाशमी की ओर से दलील दी गई कि संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ हलफनामा देने की योग्यता नहीं रखते. उन्होंने मोहम्मद लतीफ के हलफनामे को चुनौती दी है.

वहीं लोकल रेजिडेंट के वकील जगतपाल ठाकुर ने की ओर से दलीलें दी गई कि वक्फ बोर्ड अवैध निर्माण की जानकारी होने से इनकार करता रहा है. जबकि इस मामले को लेकर कुल 11 नोटिस वक्फ बोर्ड को भेजे गए थे. साथ ही मस्जिद में हुए निर्माण को लेकर संजौली मस्जिद कमेटी ने वक्फ बोर्ड से नो ऑब्जेशन सर्टिफिकेट लिया था. साथ ही वकील ने बताया कि मामला हाइकोर्ट में चल रहा है और मस्जिद में अवैध निर्माण की 2010 में की गई शिकायत पर उच्च न्यायालय ने 20 दिसंबर तक फाइनल निपटारे के आदेश दिए है. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई 14 नवंबर तय की है.

उल्लेखनीय है कि संजौली मस्जिद कमेटी ने नगर निगम शिमला आयुक्त के समक्ष आग्रह पत्र दिया था कि उन्हें मस्जिद का अवैध निर्माण हटाने की अनुमति दी जाए. कमिश्नर ने मस्जिद कमेटी को ये अनुमति दे दी थी और दो माह में अपने खर्च पर अवैध निर्माण हटाने को कहा था. इस बीच, संजौली के लोकल रेजिडेंट्स की तरफ से एडवोकेट जगतपाल ठाकुर ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और वर्ष 2010 में मस्जिद में हुए अवैध निर्माण से जुड़ी शिकायत पर फैसला लेने के लिए आग्रह किया.

हाईकोर्ट ने निगम प्रशासन को 20 दिसंबर से पहले मामले को निपटाने के आदेश दिए थे. इसी बीच मुस्लिम समाज की तरफ से शिमला की जिला अदालत में अपील दी गयी. उन्होंने मामले में स्टे दिए जाने का आग्रह किया था, जिसे न्यायमूर्ति प्रवीण गर्ग ने स्वीकार नहीं किया. वहीं, लोकल रेजिडेंट्स की तरफ से पेश हुए वकील जगतपाल ठाकुर ने दलील पेश की थी कि पांवटा साहिब की कमेटी की तरफ से याचिका दाखिल करने वाले नजाकत अली हाशमी का इस केस से कोई ताल्लुक नहीं है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल के युवाओं दी जा रही कौशल विकास की ट्रेनिंग, रोबोटिक और ड्रोन का दिया जा रहा प्रशिक्षण

शिमला: हिमाचल प्रदेश की चर्चित संजौली मस्जिद मामले में शिमला जिला कोर्ट में सुनवाई है. इस दौरान कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना. जिला कोर्ट जज ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 नवंबर की तारीख तय की है.

शिमला जिला कोर्ट में अपील दायर करने वाली ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर कमेटी की ओर से नज़ाकत अली हाशमी की ओर से दलील दी गई कि संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ हलफनामा देने की योग्यता नहीं रखते. उन्होंने मोहम्मद लतीफ के हलफनामे को चुनौती दी है.

वहीं लोकल रेजिडेंट के वकील जगतपाल ठाकुर ने की ओर से दलीलें दी गई कि वक्फ बोर्ड अवैध निर्माण की जानकारी होने से इनकार करता रहा है. जबकि इस मामले को लेकर कुल 11 नोटिस वक्फ बोर्ड को भेजे गए थे. साथ ही मस्जिद में हुए निर्माण को लेकर संजौली मस्जिद कमेटी ने वक्फ बोर्ड से नो ऑब्जेशन सर्टिफिकेट लिया था. साथ ही वकील ने बताया कि मामला हाइकोर्ट में चल रहा है और मस्जिद में अवैध निर्माण की 2010 में की गई शिकायत पर उच्च न्यायालय ने 20 दिसंबर तक फाइनल निपटारे के आदेश दिए है. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई 14 नवंबर तय की है.

उल्लेखनीय है कि संजौली मस्जिद कमेटी ने नगर निगम शिमला आयुक्त के समक्ष आग्रह पत्र दिया था कि उन्हें मस्जिद का अवैध निर्माण हटाने की अनुमति दी जाए. कमिश्नर ने मस्जिद कमेटी को ये अनुमति दे दी थी और दो माह में अपने खर्च पर अवैध निर्माण हटाने को कहा था. इस बीच, संजौली के लोकल रेजिडेंट्स की तरफ से एडवोकेट जगतपाल ठाकुर ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और वर्ष 2010 में मस्जिद में हुए अवैध निर्माण से जुड़ी शिकायत पर फैसला लेने के लिए आग्रह किया.

हाईकोर्ट ने निगम प्रशासन को 20 दिसंबर से पहले मामले को निपटाने के आदेश दिए थे. इसी बीच मुस्लिम समाज की तरफ से शिमला की जिला अदालत में अपील दी गयी. उन्होंने मामले में स्टे दिए जाने का आग्रह किया था, जिसे न्यायमूर्ति प्रवीण गर्ग ने स्वीकार नहीं किया. वहीं, लोकल रेजिडेंट्स की तरफ से पेश हुए वकील जगतपाल ठाकुर ने दलील पेश की थी कि पांवटा साहिब की कमेटी की तरफ से याचिका दाखिल करने वाले नजाकत अली हाशमी का इस केस से कोई ताल्लुक नहीं है.

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Last Updated : Nov 11, 2024, 12:57 PM IST
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