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शीतला अष्टमी पर कैसे करें मां शीतला की पूजा, सही नियम व शुभ मुहूर्त में पूजा करने से आती है खुशहाली - Sheetla Ashtmi 2024

Sheetla Ashtmi 2024: शीतला सप्तमी का व्रत करने से शीतला माता प्रसन्न होती हैं. माता को बासी खाने के प्रसाद का भोग लगाया जाता है. इस साल ये मंगलवार, 2 अप्रैल 2024 को शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा

शीतला अष्टमी पर कैसे करें मां शीतला की पूजा
शीतला अष्टमी पर कैसे करें मां शीतला की पूजा
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Mar 30, 2024, 7:24 PM IST

शीतला अष्टमी पर कैसे करें मां शीतला की पूजा

नई दिल्ली/गाजियाबाद: हिंदू धर्म में धार्मिक दृष्टि से शीतला अष्टमी का पर्व बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाता है. इस साल मंगलवार, 2 अप्रैल 2024 को शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. होली के ठीक 8 दिन बाद शीतला अष्टमी का पर्व पड़ता है. शीतला अष्टमी के दिन शीतला माता की पूजा करने का विधान है. इस दिन शीतला माता को बासी और ठंडे खाने का भोग लगाया जाता है. यही वजह है कि इस त्यौहार को बसौड़ा भी कहते हैं. आइए जानते हैं शीतला अष्टमी पर्व का महत्व है, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.

आध्यात्मिक गुरु और ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा के मुताबिक शीतला अष्टमी के पर्व पर शीतला माता की पूजा अर्चना की जाती है. शीतला अष्टमी के दिन बासी खाना खाने की परंपरा है. शीतला अष्टमी पर शीतला माता को बासी खाने का भोग लगाया जाता है. शीतला माता के आशीर्वाद से परिवार में सुख समृद्धि आती है. रोगों से मुक्ति मिलती है. पुराणों में आख्यान है कि शीतला माता गधे पर सवार होकर, गले में नीम के पत्तों की माला डालकर और झाड़ू हाथ में लेकर आती हैं. इसका तात्पर्य है शीतला माता को शीतलता, स्वच्छता, शांति और सौहार्द बहुत प्रिय है. शीतला माता को स्वच्छता का प्रतीक भी बताया गया है.

शिवकुमार शर्मा बताते हैं की धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक शीतला अष्टमी के दिन ग्रहणियों को घर में झाड़ू नहीं लगानी चाहिए. यदि घर में गंदगी है तो सुबह सूर्य उदय से पहले झाड़ू लगा सकते हैं. सप्तमी तिथि पर शाम को भोजन तैयार करें. इसके बाद भोजन को ठंडे स्थान पर रखें. अष्टमी तिथि पर शीतला माता को बासी भोजन का भोग लगाएं. माना जाता है शीतला माता चेचक रोग, खसरा आदि बीमारियों से बचाती हैं. मान्यता है, शीतला मां का पूजन करने से चेचक, खसरा, बड़ी माता, छोटी माता जैसी बीमारियां नहीं होती और अगर हो भी जाए तो उससे जल्द छुटकारा मिलता है.

ये भी पढ़ें : आरोग्य और स्वच्छता की देवी हैं मां शीतला देवी, यहां चेचक से मिलती है मुक्ति, नहीं जाता कोई खाली हाथ

अष्टमी तिथि के दिन शीतला माता की कहानी सुनना और ॐशीतला मातायै नमः का जाप करना बेहद फलदायी बताया गया है. शीतला माता को बासी भोजन का भोग लगे और स्वयं अल्पाहार करें. नीम के पत्ते भी चबाएं. नीम भी ठंडी प्रकृति का होता है. बसोड़ा की परंपराओं के अनुसार, इस दिन भोजन पकाने के लिए अग्नि नहीं जलाई जाती. इसलिए अधिकतर महिलाएं शीतला अष्टमी के एक दिन पहले भोजन पका लेती हैं और बसोड़ा वाले दिन घर के सभी सदस्य इसी बासी भोजन का सेवन करते हैं.

ये भी पढ़ें : रांधा पुआ के बाद मनाई जा रही है शीतलाष्टमी

शीतला अष्टमी पर कैसे करें मां शीतला की पूजा

नई दिल्ली/गाजियाबाद: हिंदू धर्म में धार्मिक दृष्टि से शीतला अष्टमी का पर्व बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाता है. इस साल मंगलवार, 2 अप्रैल 2024 को शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. होली के ठीक 8 दिन बाद शीतला अष्टमी का पर्व पड़ता है. शीतला अष्टमी के दिन शीतला माता की पूजा करने का विधान है. इस दिन शीतला माता को बासी और ठंडे खाने का भोग लगाया जाता है. यही वजह है कि इस त्यौहार को बसौड़ा भी कहते हैं. आइए जानते हैं शीतला अष्टमी पर्व का महत्व है, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.

आध्यात्मिक गुरु और ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा के मुताबिक शीतला अष्टमी के पर्व पर शीतला माता की पूजा अर्चना की जाती है. शीतला अष्टमी के दिन बासी खाना खाने की परंपरा है. शीतला अष्टमी पर शीतला माता को बासी खाने का भोग लगाया जाता है. शीतला माता के आशीर्वाद से परिवार में सुख समृद्धि आती है. रोगों से मुक्ति मिलती है. पुराणों में आख्यान है कि शीतला माता गधे पर सवार होकर, गले में नीम के पत्तों की माला डालकर और झाड़ू हाथ में लेकर आती हैं. इसका तात्पर्य है शीतला माता को शीतलता, स्वच्छता, शांति और सौहार्द बहुत प्रिय है. शीतला माता को स्वच्छता का प्रतीक भी बताया गया है.

शिवकुमार शर्मा बताते हैं की धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक शीतला अष्टमी के दिन ग्रहणियों को घर में झाड़ू नहीं लगानी चाहिए. यदि घर में गंदगी है तो सुबह सूर्य उदय से पहले झाड़ू लगा सकते हैं. सप्तमी तिथि पर शाम को भोजन तैयार करें. इसके बाद भोजन को ठंडे स्थान पर रखें. अष्टमी तिथि पर शीतला माता को बासी भोजन का भोग लगाएं. माना जाता है शीतला माता चेचक रोग, खसरा आदि बीमारियों से बचाती हैं. मान्यता है, शीतला मां का पूजन करने से चेचक, खसरा, बड़ी माता, छोटी माता जैसी बीमारियां नहीं होती और अगर हो भी जाए तो उससे जल्द छुटकारा मिलता है.

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अष्टमी तिथि के दिन शीतला माता की कहानी सुनना और ॐशीतला मातायै नमः का जाप करना बेहद फलदायी बताया गया है. शीतला माता को बासी भोजन का भोग लगे और स्वयं अल्पाहार करें. नीम के पत्ते भी चबाएं. नीम भी ठंडी प्रकृति का होता है. बसोड़ा की परंपराओं के अनुसार, इस दिन भोजन पकाने के लिए अग्नि नहीं जलाई जाती. इसलिए अधिकतर महिलाएं शीतला अष्टमी के एक दिन पहले भोजन पका लेती हैं और बसोड़ा वाले दिन घर के सभी सदस्य इसी बासी भोजन का सेवन करते हैं.

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