जयपुर. राजधानी जयपुर में सोमवार को शीतलाष्टमी का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. शीतला अष्टमी (बास्योड़ा) के पर्व पर माता के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है. छोटीकाशी जयपुर में आज माता का विशेष पर्व शीतलाष्टमी यानी बास्योड़ा पारंपरिक रीति रिवाज और हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है. शीतला माता के दरबार में ठंडे पकवानों का भोग लगाकर सुख समृद्धि की कामना की गई. माता के दूध, दही, पुरी, राबड़ी, पापड़ी, पेठा, हलवा, मुगथाल, नमकीन, सहित अनेक पकवानों का भोग लगाया. श्रद्धालु माता की पूजा-अर्चना कर अच्छे स्वास्थ्य की कामना कर रहे हैं.
जयपुर के आमेर में दिल्ली रोड स्थित नई माता मंदिर में शीतलाष्टमी के अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना की गई. अल सुबह से ही माता के दरबार में भक्तों का तांता लगा रहा. महिलाओं ने माता के गीत गाकर ठंडे पकवानों का भोग लगाया. माता के भक्त माता की जयकारे लगाते हुए मंदिर पहुंचे. नहीं माता मंदिर में महिलाओं ने दूध, राबड़ी, दही, पापड़ी, पेठा, हलवा, मूंगथाल, नमकीन, पूरी समेत विभिन्न पकवानों का भोग लगाया. शीतलाष्टमी के एक दिन पहले घर-घर में पकवान बनाए जाते हैं. शीतलाष्टमी के दिन सभी ठंडे पकवानों का माताजी के दरबार में भोग लगाया जाता है.
माता के दरबार में भक्तों ने ठंडे पकवानों का भोग लगाकर पूजा-अर्चना की. महिलाओं ने माता के गीत गाते हुए परिवार की खुशहाली की कामना की. इस मौके पर माता की झांकी सजाई गई. सभी भक्त अपने परिवार की खुशहाली की दुआ मांगने के लिए माता के दरबार पहुंचे. महिलाएं, पुरुष, बच्चे और बुजुर्ग सभी माता के दरबार में धोक लगाने पहुंचे. नई माता मंदिर में मेले का आयोजन हो रहा है. मेले में दूर दराज से लोग माता के मंदिर पहुंच रहे हैं.
नई माता मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है. इस प्राचीन मंदिर की कई खास मान्यताएं हैं. यहां पर दूर दराज से भी श्रद्धालु माता के दरबार में धोक लगाने के लिए पहुंचते हैं. श्रद्धालुओं की मान्यता है कि जो भी बच्चा जन्म लेता है, उसको माता रानी के लाने से चेचक का रोग नहीं होता है और अगर किसी के चेचक हो जाता है तो माता रानी की शरण में यह रोग हमेशा के लिए मिट जाता है.