ETV Bharat / state

बुग्यालों के लिए रवाना हुए भेड़ पालक, 6 माह के प्रवास के बाद लौटेंगे गांव, जानें कितनी कठिन होती है डगर - Kedarghati sheep farming

Kedarghati Sheep Farming पर्वतीय अंचलों में ग्रामीणों की भेड़ छह महीने बुग्याल में चरने के लिए जाती हैं. भेड़ पालक छह महीने तक अपनी भेड़ों को अच्छी चारा पत्ती चुगाते हैं. जिसके बाद सर्दियों के मौसम में भेड़ गांवों में लौट आते हैं. इस दौरान भेड़ पालकों का जीवन काफी कठिन होता है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 30, 2024, 7:24 PM IST

Updated : Mar 30, 2024, 9:30 PM IST

रुद्रप्रयाग: केदारघाटी के सीमांत गांवों के भेड़ पालक छह माह सुरम्य मखमली बुग्यालों के प्रवास के लिए रवाना हो गये हैं. भेड़ पालकों के गांवों से विदा होने पर ग्रामीणों ने भावुक क्षणों के साथ भेड़ पालकों को विदा किया. भेड़ पालकों के सुरम्य मखमली बुग्यालों के लिए रवाना होने पर देवकड़ी भी भेड़ पालकों के साथ रवाना हो गयी है. देवकड़ी में भेड़ पालकों के आराध्य सिद्धनाथ विराजमान रहते हैं.

छह माह बुग्यालों में प्रवास करने वाले भेड़ पालकों का जीवन किसी साधना से कम नहीं रहता है तथा छह माह बुग्यालों में प्रवास के दौरान भेड़ पालकों को अनेक पौराणिक, आध्यात्मिक परंपराओं का निर्वहन करना पड़ता है. छह माह सुरम्य मखमली बुग्यालों में प्रवास करने के बाद भेड़ पालक दीपावली के निकट गांवों को लौटते हैं. मदमहेश्वर घाटी बुरूवा गांव के भेड़ पालक वीरेन्द्र सिंह धिरवाण ने बताया कि चैत्र मे फुलारी महोत्सव के बाद घोघा विसर्जन के बाद भेड़ पालकों के मन में हिमालयी क्षेत्रों के लिए रवाना होने की लालसा मन में जागृत होने लगती है.

प्रधान सरोज भट्ट ने बताया कि केदार घाटी के सीमांत गांवों में भेड़ पालन की परम्परा अतीत से चली आ रही है. मदमहेश्वर घाटी विकास मंच के पूर्व अध्यक्ष मदन भट्ट का कहना है कि भेड़ पालकों का छह माह बुग्यालों का प्रवास किसी साधना से कम नहीं है. क्योंकि बुग्यालों में आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है. भेड़ पालक प्रेम भट्ट ने बताया कि भेड़ पालक व प्रकृति एक दूसरे के पूरक हैं. भेड़ों के बुग्यालों में विचरण करने से बुग्यालों की सुंदरता बढ़ती है. योगेन्द्र भट्ट ने बताया कि भेड़ पालक छ: माह बुग्यालों में प्रवास के दौरान सिद्धवा, विधवा व क्षेत्रपाल की नित पूजा-अर्चना करते हैं.

व्यापार संघ अध्यक्ष मनसूना अवतार राणा ने बताया कि भेड़ पालक दाती व लाई त्यौहार प्रमुखता से मनाते हैं. नव युवक मंगल दल अध्यक्ष रघुवीर सिंह नेगी ने बताया कि यदि प्रदेश सरकार भेड़ पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने की पहल करती है तो युवाओं को भी भेड़ पालन व्यवसाय में स्वरोजगार के अवसर मिल सकते हैं. महिला मंगल दल अध्यक्ष चन्द्रकला देवी ने बताया कि भेड़ पालकों का गांव से बुग्यालों की ओर गमन करने का समय बड़ा भावुक होता है.

पढ़ें-

रुद्रप्रयाग: केदारघाटी के सीमांत गांवों के भेड़ पालक छह माह सुरम्य मखमली बुग्यालों के प्रवास के लिए रवाना हो गये हैं. भेड़ पालकों के गांवों से विदा होने पर ग्रामीणों ने भावुक क्षणों के साथ भेड़ पालकों को विदा किया. भेड़ पालकों के सुरम्य मखमली बुग्यालों के लिए रवाना होने पर देवकड़ी भी भेड़ पालकों के साथ रवाना हो गयी है. देवकड़ी में भेड़ पालकों के आराध्य सिद्धनाथ विराजमान रहते हैं.

छह माह बुग्यालों में प्रवास करने वाले भेड़ पालकों का जीवन किसी साधना से कम नहीं रहता है तथा छह माह बुग्यालों में प्रवास के दौरान भेड़ पालकों को अनेक पौराणिक, आध्यात्मिक परंपराओं का निर्वहन करना पड़ता है. छह माह सुरम्य मखमली बुग्यालों में प्रवास करने के बाद भेड़ पालक दीपावली के निकट गांवों को लौटते हैं. मदमहेश्वर घाटी बुरूवा गांव के भेड़ पालक वीरेन्द्र सिंह धिरवाण ने बताया कि चैत्र मे फुलारी महोत्सव के बाद घोघा विसर्जन के बाद भेड़ पालकों के मन में हिमालयी क्षेत्रों के लिए रवाना होने की लालसा मन में जागृत होने लगती है.

प्रधान सरोज भट्ट ने बताया कि केदार घाटी के सीमांत गांवों में भेड़ पालन की परम्परा अतीत से चली आ रही है. मदमहेश्वर घाटी विकास मंच के पूर्व अध्यक्ष मदन भट्ट का कहना है कि भेड़ पालकों का छह माह बुग्यालों का प्रवास किसी साधना से कम नहीं है. क्योंकि बुग्यालों में आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है. भेड़ पालक प्रेम भट्ट ने बताया कि भेड़ पालक व प्रकृति एक दूसरे के पूरक हैं. भेड़ों के बुग्यालों में विचरण करने से बुग्यालों की सुंदरता बढ़ती है. योगेन्द्र भट्ट ने बताया कि भेड़ पालक छ: माह बुग्यालों में प्रवास के दौरान सिद्धवा, विधवा व क्षेत्रपाल की नित पूजा-अर्चना करते हैं.

व्यापार संघ अध्यक्ष मनसूना अवतार राणा ने बताया कि भेड़ पालक दाती व लाई त्यौहार प्रमुखता से मनाते हैं. नव युवक मंगल दल अध्यक्ष रघुवीर सिंह नेगी ने बताया कि यदि प्रदेश सरकार भेड़ पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने की पहल करती है तो युवाओं को भी भेड़ पालन व्यवसाय में स्वरोजगार के अवसर मिल सकते हैं. महिला मंगल दल अध्यक्ष चन्द्रकला देवी ने बताया कि भेड़ पालकों का गांव से बुग्यालों की ओर गमन करने का समय बड़ा भावुक होता है.

पढ़ें-

Last Updated : Mar 30, 2024, 9:30 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.