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तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को भी पति से मिलेगा गुजारा भत्ता, SC के फैसले का सायरा बानो ने किया स्वागत - Shayara Bano On Entitled Alimony

Shayara Bano, Muslim Women Entitled Alimony सुप्रीम कोर्ट के तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को भी गुजारा भत्ता पाने का कानूनी अधिकार दिए जाने के फैसले का सायरो बानो ने स्वागत किया है. सायरो बानो ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत अब महिलाएं अपने पूर्व पति से गुजारा भत्ता पा सकती हैं. इससे मुस्लिम महिलाओं को अपना हक और अधिकार मिलेगा.

Shayara Bano
सायरा बानो (फोटो- ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 11, 2024, 10:21 PM IST

Updated : Jul 11, 2024, 10:43 PM IST

सायरा बानो और महिलाओं का बयान (वीडियो सोर्स- ईटीवी भारत)

काशीपुर: सायरा बानो के संघर्ष के सफर का फायदा अब मुस्लिम समुदाय की पीड़ित महिलाओं को अब मिलेगा. मुस्लिम महिलाएं अपने पति से गुजर बसर के लिए भत्ते की मांग कर सकती हैं. जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. जिस पर उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष और मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक की लड़ाई लड़ने वाली सायरा बानो ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत कर खुशी जाहिर की है.

दरअसल, सायरा बानो ने अपने तीन तलाक को लेकर साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए रिट दायर की थी. जिस सुप्रीम कोर्ट ने साल 2017 में उनके पक्ष में फैसला सुनाया. इसके बाद साल 2018 में तीन तलाक को लेकर कानून बना और तलाक देने वालों पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने का प्रावधान बनाया गया.

अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीआरपीसी की धारा 125 के तहत मुस्लिम तलाकशुदा महिलाएं भी अपने पति से गुजारा भत्ता मांग सकती हैं. इस पर सायरा बानो ने कहा कि इससे देश के मुस्लिम महिलाओं को हक और अधिकार मिल सकेगा. अब मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय नहीं होगा.

सायरा बानो को पति ने दिया था तीन तलाक: सायरा बानो ने बताया कि प्रयागराज निवासी प्रापर्टी डीलर रिजवान अहमद से साल 2002 में उनकी शादी हुई थी. साल 2015 में पति ने उन्हें तीन तलाक दे दिया था. साल 2016 सायरा बानो ने तीन तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की. साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने सायरा बानो के पक्ष में फैसला सुनाते हुए तीन तलाक को असंवैधानिक माना.

सायरा बानो की एक बेटी हुमैरा नाज और एक बेटा इरफान अहमद हैं. दोनों को उनके पति अपने पास रखे हैं. सायरा बानो ने बताया कि उनके पिता स्व. इकबाल अहमद आर्मी में थे. वे उधम सिंह नगर जिले के काशीपुर के हेमपुर डिपो से रिटायर हुए थे. जिनकी 7 जनवरी 2024 को मौत हो गई थी.

सायरा बानो ने बताया कि उनके परिजनों की मदद से तीन तलाक और हलाला पर बैन लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके संघर्ष की. उनके संघर्ष से तीन तलाक और हलाला पर प्रतिबंध लगा. इसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मुस्लिम महिलाएं भी अपने पति से गुजारा भत्ता मांगने की हकदार हो गई हैं.

उत्तराखंड की धामी सरकार ने साल 2020 में सायरा बानो को उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी. सायरा बानो लगातार पीड़ित महिलाओं के हक और अधिकार के लिए लड़ाई लड़ती रही हैं. वो महिला उत्पीड़न मामले में पहले दोनों पक्षों को बिठाकर समझाने की कोशिश करती हैं.

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सायरा बानो और महिलाओं का बयान (वीडियो सोर्स- ईटीवी भारत)

काशीपुर: सायरा बानो के संघर्ष के सफर का फायदा अब मुस्लिम समुदाय की पीड़ित महिलाओं को अब मिलेगा. मुस्लिम महिलाएं अपने पति से गुजर बसर के लिए भत्ते की मांग कर सकती हैं. जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. जिस पर उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष और मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक की लड़ाई लड़ने वाली सायरा बानो ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत कर खुशी जाहिर की है.

दरअसल, सायरा बानो ने अपने तीन तलाक को लेकर साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए रिट दायर की थी. जिस सुप्रीम कोर्ट ने साल 2017 में उनके पक्ष में फैसला सुनाया. इसके बाद साल 2018 में तीन तलाक को लेकर कानून बना और तलाक देने वालों पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने का प्रावधान बनाया गया.

अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीआरपीसी की धारा 125 के तहत मुस्लिम तलाकशुदा महिलाएं भी अपने पति से गुजारा भत्ता मांग सकती हैं. इस पर सायरा बानो ने कहा कि इससे देश के मुस्लिम महिलाओं को हक और अधिकार मिल सकेगा. अब मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय नहीं होगा.

सायरा बानो को पति ने दिया था तीन तलाक: सायरा बानो ने बताया कि प्रयागराज निवासी प्रापर्टी डीलर रिजवान अहमद से साल 2002 में उनकी शादी हुई थी. साल 2015 में पति ने उन्हें तीन तलाक दे दिया था. साल 2016 सायरा बानो ने तीन तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की. साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने सायरा बानो के पक्ष में फैसला सुनाते हुए तीन तलाक को असंवैधानिक माना.

सायरा बानो की एक बेटी हुमैरा नाज और एक बेटा इरफान अहमद हैं. दोनों को उनके पति अपने पास रखे हैं. सायरा बानो ने बताया कि उनके पिता स्व. इकबाल अहमद आर्मी में थे. वे उधम सिंह नगर जिले के काशीपुर के हेमपुर डिपो से रिटायर हुए थे. जिनकी 7 जनवरी 2024 को मौत हो गई थी.

सायरा बानो ने बताया कि उनके परिजनों की मदद से तीन तलाक और हलाला पर बैन लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके संघर्ष की. उनके संघर्ष से तीन तलाक और हलाला पर प्रतिबंध लगा. इसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मुस्लिम महिलाएं भी अपने पति से गुजारा भत्ता मांगने की हकदार हो गई हैं.

उत्तराखंड की धामी सरकार ने साल 2020 में सायरा बानो को उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी. सायरा बानो लगातार पीड़ित महिलाओं के हक और अधिकार के लिए लड़ाई लड़ती रही हैं. वो महिला उत्पीड़न मामले में पहले दोनों पक्षों को बिठाकर समझाने की कोशिश करती हैं.

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Last Updated : Jul 11, 2024, 10:43 PM IST
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