मथुरा: शारदीय नवरात्र के सातवे दिन मां काली की पूजा की जाती है हर रोज दूर दराज से हजारों की संख्या में श्रद्धालु पूजा अर्चना करने के लिए मंदिरों में जाते हैं. शहर के टैंक चौराहे पर स्थित काली देवी का प्राचीन मंदिर है. जितनी छोटी प्रतिमा उतनी ही ज्यादा मान्यता. वैसे तो मां काली का रुद्र रूप देखने को मिलता है. लेकिन इस मंदिर में सोम रूप दिखाया गया है.
काली देवी का प्राचीन मंदिर: शहर के टैंक चौराहे पर स्थित काली देवी का प्राचीन मंदिर सात दशक पुराना है. हर साल मंदिर में परिसर में विशाल मेला आयोजित किया जाता था. दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते थे.शारदीय चैत्र नवरात्र के दिनों में दुर्गा चालीसा का अखंड पाठ, देवी का रतजगा के साथ भंडारा आयोजित किया जाता था. काली देवी मंदिर मे दर्शन करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है.
मात्र पांच इंच की प्रतिमा काली देवी की: आसपास के जिले ही नही दुनिया भर में काली देवी की इतनी छोटी प्रतिमा कहीं नहीं है. मान्यता है कि एक बार देवी के दर्शन करने से ही मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. और भक्त दर्शन करने के लिए यहां खिंचा चला आता है. इस मंदिर में काली देवी की मात्र पांच इंच की प्रतिमा स्थापित है. जोकि सुंदर और अपनी ओर आकर्षित करने वाली प्रतिमा है सभी मंदिरों में मां काली की प्रतिमा रुद्र रूप में देखने को मिलती लेकिन इस मंदिर में मां का रूप सोम रूप दिखाया गया है
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देवी ने दिए स्वप्न में दर्शन: कई दशक पूर्व स्थानीय मुकुंदराव चौबे को काली देवी ने स्वप्न में दर्शन दिए और कहा टैंक चौराहे के पास मेरा एक मंदिर स्थापित कराया जाए तभी तेरा उद्धार होगा. यह कहकर काली देवी अंतर्ध्यान हो गई. चौबे जी कई दिनों तक बेचैन रहे. ओर कारीगरों द्वारा जयपुर से काली देवी की प्रतिमा जोकि मात्र पांच इंच की काले संगमरमर से बनवाई गई .और यहां आकर काली देवी का मंदिर स्थापित कराया गया।