फिरोजाबाद : भगवान शिव को समर्पित सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ के मंदिरों के चमत्कार की श्रृंखला में आज हम बात करेंगे भगवान शिव के एक मंदिर की, जिसका इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ बताया जाता है. मान्यता है कि भीष्म पितामह के पिता राजा शांतुन ने इस मंदिर की स्थापना की थी. आज भी इस मंदिर में तमाम चमत्कार देखने को मिलते हैं. कहा जाता है कि इसकी पिंडी को आज तक कोई शर्त के साथ बाहों में नहीं भर सकता है.
शहर से पांच किलोमीटर दूर स्थित गांव सांती के इस मंदिर को शांतेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर के बारे में महाभारत से जुड़ी कहानी बताई जाती है. मंदिर से जुड़े महंत और इतिहासकार बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण भीष्म पितामह के पिता शांतुन महाराज ने कराया था. शांतुन महाराज इसी स्थान पर रहकर पूजा अर्चना करते थे. इस स्थान पर एक गाय प्रतिदिन आती थी और उसका दूध अपने आप इसी स्थान पर उतरता था. इसके अलावा एक सर्प भी यहां आता था. बताया जाता है कि शांतुन महाराज ने इस स्थान को चमत्कारिक मानते हुए इस स्थान की खुदाई कराई तो जमीन से एक शिवलिंग निकली. राजा ने इस स्वयं भू शिवलिंग के स्थान पर एक मंदिर का निर्माण कराया जो आज भी मौजूद है. बाद में इस मंदिर का जीर्णोद्धार होता गया. आज इस मंदिर पर विशालकाय मेले आयोजित होते हैं. सावन माह के अलावा महाशिवरात्रि के मौके पर तो बड़ी तादात में शिवभक्त बाबा भोलेनाथ का अभिषेक करते हैं और कांवड़ भी चढ़ाते हैं. कांवड़ यात्रा पर जाने से पहले भी शिवभक्त भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद लेने के लिए यहां आते हैं और बाद में इसी मंदिर पर ही कांवड़ चढ़ाते हैं.
मंदिर के महंत बाबा रमेश दास का कहना है कि इस मंदिर के बारे में उनके पूर्वजों ने बताया है कि इसका निर्माण महाभारत काल में राजा शांतुन ने कराया था. आज भी यहां तमाम चमत्कार देखने को मिलते हैं. उन्होंने बताया कि आज तक कोई भी व्यक्ति इस शिवलिंग को शर्त के साथ बाहों में नहीं भर सकता है. यहां बड़ी संख्या में दूर-दराज से श्रद्धालु आते हैं. लोगों की मनोकामना भगवान भोलेनाथ की कृपा से पूरी होती है.