अलवर. ज्योतिष पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि अब हमारा सरकारों से मोहभंग हो चुका है. हम जान गए हैं कि कोई भी सरकार और किसी भी नाम से आए और कोई भेष चोला धारण कर आए, वह गाय की हत्या करवाएगी. इसलिए हमने नेताओं और पार्टियों से मोहभंग कर लिया है. अब हम मतदाताओं को संकल्पित करा रहे हैं, यदि 33 करोड़ लोग गाय के लिए संकल्प करें तो गोरक्षा हो जाएगी. शंकराचार्य सरस्वती मंगलवार को अलवर के दो दिवसीय प्रवास के दौरान पत्रकारों से बात कर रहे थे.
जगदगुरू शंकराचाय स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि भारतीय संस्कृति में गाय को बहुत उंचा स्थान दिया गया, उस स्थान तक कोई नहीं ठहरता. गाय पूजनीय है और 33 करोड़ देवी-देवताओं की निवास स्थली है, लेकिन पूजनीय गाय की निरंतर हत्या कर मांस का व्यापार किया जा रहा है. यह हिन्दुओं के लिए कलंक है. आजादी के बाद से ही पूर्वज गाय की हत्या पर रोक लगाने की मांग करते रहे, लेकिन 75 साल में केन्द्र में आई किसी भी सरकार ने गोहत्या पर रोक की मांग को पूरा नहीं किया.
उन्होंने कहा कि अब देश में अमत महोत्सव मनाया जा रहा है. अमृत कोई दूसरी चीज नहीं, बल्कि गाय का दूध माना गया है. जिस गाय द्वारा अमृत दूध दिया जाता है उस गाय को काटा जा रहा है और अमृत महोत्सव मनाया जाए, ये बड़ी विडम्बना है. इसको देखकर हमारे मन में आया कि अब नहीं तो कभी नहीं, अब लोगों को गोरक्षा के लिए खडा होकर गाय को बचाना होगा.
गाय को राष्टीय पशु घोषित नहीं करने के कारण अब सरकारों से मोहभंग हो चुका है. इस अभियान को सभी जगह समर्थन मिल रहा है. लोग दाहिनी मुट्ठी बांधकर संकल्प कर रहे हैं. देश में जल्द ही 33 करोड़ लोग संकल्पित मतदाता बन जाएंगे और गाय की हत्या पर रोक लग सकेगी. गाय बीफ पर सब्सिडी दिए जाने के सवाल पर शंकराचार्य ने कहा कि जो जैसा करेगा वैसा भरेगा. जिसको नहीं मारना चाहिए, उसे मार रहे हैं और मांस का व्यापार कर रहे हैं, इसका फल भी उन्हें ही भोगना पड़ेगा.
जगदगुरू शंकराचार्य ने कहा कि हिन्दू एक दर्शन है, जिसमें किसी की मत्यु होती और शरीर छूटता है, फिर यमराज के दरबार में खडा होना पड़ता है. वहां प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का पद नहीं चलता कि हम बड़े पद पर रह कर आए हैं. वहां कोई प्रोटोकाॅल नहीं मिलता, वहां कर्म देखे जाते हैं, यदि अच्छे कर्म करके आया होगा तो स्वर्ग मिलेगा और यदि बुरे कर्म करके आया होगा तो कठोर नर्कों में जाने कितने सालों के लिए डाल दिया जाएगा. नील गाय की हत्या के कानून पर उन्होंने का कि कौनसी सरकार क्या कर रही है. यह सरकारों का मामला है, लेकिन हमारा मतलब गाय की हत्या पर रोक से है.