शहडोल:(अखिलेश शुक्ला) यहां किसान आधुनिक तकनीक से सब्जियों की खेती कर रहे हैं और कोशिश कर रहे हैं कि कम लागत में ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाया जा सके. ज्यादा से ज्यादा पैदावार के लिए अब यहां के किसान भी स्मार्ट बन रहे हैं. जिले के कई किसान इन दिनों साब्जियों की खेती के लिए ग्राफ्टिंग तकनीक अपना रहे हैं. और अब यहां ग्राफ्टेड पौधों को लगाने का चलन बढ़ रहा है, जिसमें बैगन, टमाटर और मिर्च के पौधे शामिल हैं.
किसानों को पसंद आई ग्राफ्टेड नर्सरी
बदलते वक्त के साथ अब किसानों में भी बदलाव देखने को मिल रहा है. शहडोल जिले के किसानों के बीच में ग्राफ्टेड पौधे लगाने का चलन बढ़ रहा है. खासकर बैगन, टमाटर और मिर्च की फसलों को लेकर किसान दूसरे राज्यों से ग्राफ्टेड पौधे मंगवा रहा है और उसे अपने खेतों में लगाता है. इससे अच्छा मुनाफा भी हासिल करता है.
ग्राफ्टेड पौधे तैयार करने का जानिए तरीका
किसान रामसजीवन कचेर ने बताया कि "जब वो अंबिकापुर की एक नर्सरी में गए तो उन्होंने वहां ग्राफ्टेड नर्सरी तैयार करने का तरीका सीखा. इसमें जो जड़ वाला पार्ट होता है वह जंगली बैगन का होता है और जो ऊपरी हिस्सा होता है तना वाला वो ओरिजिनल उसी फसल का होता है. चाहे फिर वो बैगन हो या फिर टमाटर हो और या फिर मिर्च हो इसके लिए सबसे पहले दो तरह की नर्सरी डाली जाती है,एक जंगली बैगन की और एक हाइब्रिड बीज की नर्सरी डाली जाती है. जब पौधे 20 से 25 दिन के हो जाते हैं तो उसकी ग्राफ्टिंग की जाती है. इसे पॉली हाउस में रखा जाता है. फिर जब वो पौधा धूप सहने लायक हो जाता है तो उसे किसानों को दिया जाता है और किसान अपने खेतों पर इसे लगाता है."
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नॉर्मल और ग्राफ्टेड पैदावार में फर्क
किसान रामसजीवन कचेर बताते हैं कि "हम नॉर्मल यानि हाइब्रिड बीज की नर्सरी डालकर अपने खेतों पर लगाते हैं तो एक पौधे से हमें 15 से 20 किलो की अधिकतम फसल मिलती है. लेकिन अगर वही ग्राफ्टेड फसल लगाते हैं तो एक पौधे से 50 किलो से ज्यादा की फसल मिल सकती है. नॉर्मल हाइब्रिड पौधे यदि लगाते हैं तो ₹2 का एक पौधा मिल जाता है लेकिन जब ग्राफ्टेड मंगाते हैं तो ये 10 रुपए का पड़ता है लेकिन यह कमाई लाखों में कर देता है. ज्यादातर किसान छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर और रायपुर की नर्सरी से ही ग्राफ्टेड पौधे मंगवाते हैं."