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धान से लाना है घर में लाखों रुपए तो खेत में हर हाल में करें ये सात काम, वैज्ञानिकों की सलाह - BUMPER PADDY PRODUCTION

खरीफ की फसल का सीजन चल रहा है. अगर आप धान की खेती करने का प्लान कर रहे हैं तो इन 7 बातों का खास ख्याल रखें. इन बातों को ध्यान में रखकर सही से धान की रोपाई करेंगे तो आप अपने रकबे में फसल का अच्छा उत्पादन कर सकेंगे.

SHAHDOL BUMPER PADDY PRODUCTION
धान की खेती करने वाले किसान ऐसे कर सकते हैं बंपर पैदावार (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 13, 2024, 10:33 PM IST

Updated : Jul 14, 2024, 8:04 AM IST

शहडोल। खरीफ की फसल का सीजन चल रहा है. खरीफ के सीजन में धान की खेती बहुतायत में की जाती है. धान की खेती के लिए किसान सबसे पहले नर्सरी को लगाता है और फिर जब नर्सरी कुछ दिन की तैयार हो जाती है, तो फिर उसे दूसरे खेतों में रोपा जाता है. कई बार क्या होता है, कि किसान नर्सरी को दूसरे खेतों में लगाने के दौरान कुछ खास बातों को नजरअंदाज कर देता है. जिस कारण किसान उतना उत्पादन नहीं ले पाता है, जितना उन खेतों से उसे मिलना चाहिए. अगर किसान धान की रोपाई के समय इन सात टिप्स को अपनाता है, तो बंपर पैदावार पा सकता है.

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श्री पद्धति से रोपाई करते समय 25 बाई 25 का डिस्टेंस रखें (ETV Bharat)

धान रोपाई से पहले अपनाएं ये 7 टिप्स

शहडोल के कृषि वैज्ञानिक डॉ. बी के प्रजापति कहते हैं कि "शहडोल जिले में धान की खेती सबसे ज्यादा बड़े रकबे में की जाती है. धान की खेती में ज्यादातर किसान धान की नर्सरी लगाते हैं. फिर जब वो नर्सरी कुछ दिन की हो जाती है, तो उसे दूसरे खेतों में ट्रांसप्लांट करते हैं. जिसे धान की रोपाई कहा जाता है. धान की रोपाई करने से पहले किसान को कुछ बेसिक बातों का ख्याल रखना चाहिए. अगर किसान इन बेसिक बातों को अपना लेता है तो निश्चित तौर पर पैदावार बढ़ सकती है.

  1. कृषि वैज्ञानिक डॉ बी के प्रजापति बताते हैं, किसान इस बात का सबसे पहले ख्याल रखें कि नर्सरी की रोपाई अगर आपको श्री पद्धति से करनी है, नर्सरी को ट्रांसप्लांट करना है या फिर पैडी ट्रांसप्लांटर से करना है तो 12 से 15 दिन की नर्सरी अगर आपकी हो गई है, तो उसे खेतों पर ट्रांसप्लांट कर दें. इसके अलावा अगर आप नर्सरी को मजदूरों के माध्यम से खेतों पर ट्रांसप्लांट करते हैं रोपा लगवाते हैं तो अगर आपकी नर्सरी 15 दिन में बड़ी हो गई है या 20 या 22 दिन की हो गई है तो उसे खेतों पर ट्रांसप्लांट करें.
  2. जब भी नर्सरी को ट्रांसप्लांट करना हो तो नर्सरी का अच्छी तरह से निरीक्षण कर लें. अगर उसके तना में छेदक कीट नजर आते हैं या उस नर्सरी में इस तरह के कोई भी लक्षण नजर आता है, तो उस नर्सरी के पौधे के थोड़े ऊपर से हिस्से को काट लें. जैसे चने की फसल से भाजी तोड़ने की परंपरा है, वैसे ही उसके ऊपर के थोड़े से भाग को काट कर खेतों में रोपें.
  3. जिन खेतों में रोपा लगाना है या नर्सरी को ट्रांसप्लांट करना है उन खेतों को अच्छे से समय रहते तैयार कर लें. उन्हें अच्छे से जुतवा लें. दो बार कल्टीवेटर और एक बार रोटावेटर से जुताई करा लें. जिससे उसमें जो भी खरपतवार हैं वो सभी उस कीचड़ में दब जाएंगे और आने वाले समय में सड़ कर खाद का काम करेंगे.
  4. जो किसान हरी खाद को अपने खेतों पर लगाए हुए हैं. जैसे सनई और ढेंचा उसे रोपा लगाने के एक हफ्ते पहले ही उसे खेत में कल्टीवेटर या रोटावेटर के माध्यम से अच्छी तरह से मिक्स कर दें. जिससे वो पूरी तरह से सड़ जाए और उर्वरक का काम करे. जिससे पौधों को पोषक तत्व मिल पाए. इससे फसलों का उत्पादन अपने आप बढ़ जाएगा.
  5. जिन खेतों में धान का रोपा लगाना है. उन खेतों की मिट्टी की जांच करा लें. जिससे कौन से पोषक तत्वों की उन खेतों में कमी है. उसका पता लग जाएगा और फिर उस पोषक तत्व से रिलेटेड उर्वरक उन खेतों पर डालें. जिससे पौधों को सही मात्रा में पोषक तत्व मिल पाए और उत्पादन अच्छा हो. इसके अलावा 3 साल में जिंक सल्फेट 25 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करें.
  6. जब धान की रोपाई खेतों में करें तो उसमें डिस्टेंस मेंटेन करें. अगर श्री पद्धति से लगाते हैं तो 25 बाई 25 का डिस्टेंस रखें. दूसरे पद्धति से लगाते हैं तो 20 बाई 20 का डिस्टेंस रखें. मजदूरों से भी लगवाते हैं तो 20 बाई 20 या 25 बाई 25 का डिस्टेंस रख सकते हैं. नर्सरी कभी-कभी पानी न होने की वजह से 25 दिन 30 दिन एक महीने की हो जाती है. ऐसे किसान कोशिश करें कि रोपा लगाते समय पौधों के बीच डिस्टेंस हल्का कम रखें, क्योंकि ज्यादा दिन की नर्सरी हो जाएगी तो कल्ले कम निकलेंगे. जिससे उत्पादन पर फर्क पड़ेगा.
  7. खेतों में पानी की मात्रा ज्यादा ना रखें. उससे आपके पौधे बह सकते हैं. रोपा लगाते समय एक या दो इंच पानी ही खेतों पर रखें, फिर चाहे पैडी ट्रांसप्लांटर से खेतों की रोपाई करें या फिर मजदूरों के माध्यम से रोपाई करें. इसके अलावा खेतों की मेड़ में गेंदा का फूल या सन लगा दें जिससे जो हानिकारक कीट होते हैं वो उस ओर आकर्षित होंगे. इससे आपकी फसल बच जाएगी ये कीट नियंत्रण का जैविक तरीका भी होता है.

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शहडोल। खरीफ की फसल का सीजन चल रहा है. खरीफ के सीजन में धान की खेती बहुतायत में की जाती है. धान की खेती के लिए किसान सबसे पहले नर्सरी को लगाता है और फिर जब नर्सरी कुछ दिन की तैयार हो जाती है, तो फिर उसे दूसरे खेतों में रोपा जाता है. कई बार क्या होता है, कि किसान नर्सरी को दूसरे खेतों में लगाने के दौरान कुछ खास बातों को नजरअंदाज कर देता है. जिस कारण किसान उतना उत्पादन नहीं ले पाता है, जितना उन खेतों से उसे मिलना चाहिए. अगर किसान धान की रोपाई के समय इन सात टिप्स को अपनाता है, तो बंपर पैदावार पा सकता है.

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श्री पद्धति से रोपाई करते समय 25 बाई 25 का डिस्टेंस रखें (ETV Bharat)

धान रोपाई से पहले अपनाएं ये 7 टिप्स

शहडोल के कृषि वैज्ञानिक डॉ. बी के प्रजापति कहते हैं कि "शहडोल जिले में धान की खेती सबसे ज्यादा बड़े रकबे में की जाती है. धान की खेती में ज्यादातर किसान धान की नर्सरी लगाते हैं. फिर जब वो नर्सरी कुछ दिन की हो जाती है, तो उसे दूसरे खेतों में ट्रांसप्लांट करते हैं. जिसे धान की रोपाई कहा जाता है. धान की रोपाई करने से पहले किसान को कुछ बेसिक बातों का ख्याल रखना चाहिए. अगर किसान इन बेसिक बातों को अपना लेता है तो निश्चित तौर पर पैदावार बढ़ सकती है.

  1. कृषि वैज्ञानिक डॉ बी के प्रजापति बताते हैं, किसान इस बात का सबसे पहले ख्याल रखें कि नर्सरी की रोपाई अगर आपको श्री पद्धति से करनी है, नर्सरी को ट्रांसप्लांट करना है या फिर पैडी ट्रांसप्लांटर से करना है तो 12 से 15 दिन की नर्सरी अगर आपकी हो गई है, तो उसे खेतों पर ट्रांसप्लांट कर दें. इसके अलावा अगर आप नर्सरी को मजदूरों के माध्यम से खेतों पर ट्रांसप्लांट करते हैं रोपा लगवाते हैं तो अगर आपकी नर्सरी 15 दिन में बड़ी हो गई है या 20 या 22 दिन की हो गई है तो उसे खेतों पर ट्रांसप्लांट करें.
  2. जब भी नर्सरी को ट्रांसप्लांट करना हो तो नर्सरी का अच्छी तरह से निरीक्षण कर लें. अगर उसके तना में छेदक कीट नजर आते हैं या उस नर्सरी में इस तरह के कोई भी लक्षण नजर आता है, तो उस नर्सरी के पौधे के थोड़े ऊपर से हिस्से को काट लें. जैसे चने की फसल से भाजी तोड़ने की परंपरा है, वैसे ही उसके ऊपर के थोड़े से भाग को काट कर खेतों में रोपें.
  3. जिन खेतों में रोपा लगाना है या नर्सरी को ट्रांसप्लांट करना है उन खेतों को अच्छे से समय रहते तैयार कर लें. उन्हें अच्छे से जुतवा लें. दो बार कल्टीवेटर और एक बार रोटावेटर से जुताई करा लें. जिससे उसमें जो भी खरपतवार हैं वो सभी उस कीचड़ में दब जाएंगे और आने वाले समय में सड़ कर खाद का काम करेंगे.
  4. जो किसान हरी खाद को अपने खेतों पर लगाए हुए हैं. जैसे सनई और ढेंचा उसे रोपा लगाने के एक हफ्ते पहले ही उसे खेत में कल्टीवेटर या रोटावेटर के माध्यम से अच्छी तरह से मिक्स कर दें. जिससे वो पूरी तरह से सड़ जाए और उर्वरक का काम करे. जिससे पौधों को पोषक तत्व मिल पाए. इससे फसलों का उत्पादन अपने आप बढ़ जाएगा.
  5. जिन खेतों में धान का रोपा लगाना है. उन खेतों की मिट्टी की जांच करा लें. जिससे कौन से पोषक तत्वों की उन खेतों में कमी है. उसका पता लग जाएगा और फिर उस पोषक तत्व से रिलेटेड उर्वरक उन खेतों पर डालें. जिससे पौधों को सही मात्रा में पोषक तत्व मिल पाए और उत्पादन अच्छा हो. इसके अलावा 3 साल में जिंक सल्फेट 25 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करें.
  6. जब धान की रोपाई खेतों में करें तो उसमें डिस्टेंस मेंटेन करें. अगर श्री पद्धति से लगाते हैं तो 25 बाई 25 का डिस्टेंस रखें. दूसरे पद्धति से लगाते हैं तो 20 बाई 20 का डिस्टेंस रखें. मजदूरों से भी लगवाते हैं तो 20 बाई 20 या 25 बाई 25 का डिस्टेंस रख सकते हैं. नर्सरी कभी-कभी पानी न होने की वजह से 25 दिन 30 दिन एक महीने की हो जाती है. ऐसे किसान कोशिश करें कि रोपा लगाते समय पौधों के बीच डिस्टेंस हल्का कम रखें, क्योंकि ज्यादा दिन की नर्सरी हो जाएगी तो कल्ले कम निकलेंगे. जिससे उत्पादन पर फर्क पड़ेगा.
  7. खेतों में पानी की मात्रा ज्यादा ना रखें. उससे आपके पौधे बह सकते हैं. रोपा लगाते समय एक या दो इंच पानी ही खेतों पर रखें, फिर चाहे पैडी ट्रांसप्लांटर से खेतों की रोपाई करें या फिर मजदूरों के माध्यम से रोपाई करें. इसके अलावा खेतों की मेड़ में गेंदा का फूल या सन लगा दें जिससे जो हानिकारक कीट होते हैं वो उस ओर आकर्षित होंगे. इससे आपकी फसल बच जाएगी ये कीट नियंत्रण का जैविक तरीका भी होता है.

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Last Updated : Jul 14, 2024, 8:04 AM IST
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