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लखनऊ सीवर हादसे में कंपनी निदेशक-ठेकेदार समेत 3 पर हत्या का मुकदमा, परिवार ने लौटाया मुआवजे का चेक - sewer accident case

सीवर हादसा मामले में कंपनी निदेशक-ठेकेदार समेत तीन पर हत्या का मुकदमा हुआ है. लेकिन, वही बड़े अफसरों पर मेहरबानी दिखाई गई है.

etv bharat
Lucknow Municipal Corporation (etv bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 3, 2024, 9:00 AM IST

लखनऊ: रेजीडेंसी के पास सीवर लाइन की सफाई करने के दौरान मजदूर पिता-पुत्र की मौत में पुलिस ने केके स्पन कंपनी के निदेशक और ठेकेदार के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया है. ठेकेदार ने दोनों को बिना ऑक्सीजन मास्क, सुरक्षा के अन्य उपकरण ही मेनहोल में उतार दिया था. दोनों की दम घुटने से मौत हो गई थी. मृतक सोबरन के छोटे बेटे विनय ने वजीरगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई है. विनय ने आरोप लगाया है, कि सफाई के दौरान दम घुटने से पिता शोबरन और भाई सुशील नीचे गिर गए. यह देखकर ठेकेदार और अन्य साथी भाग निकले थे.

सीतापुर के कमलापुर निवासी विनय यादव ने बताया, कि उसके पिता और भाई छह साल से हरियाणा, फरीदाबाद की कंपनी केके स्पन इंडिया प्रा. लि.में सीवर सफाई का काम कर रहे थे. वह लखनऊ से पहले कई अन्य जिलों में कंपनी की साइट पर काम करने गए थे. कम्पनी के डायरेक्टर हिमांशु गुप्ता, ठेकेदार केएस पाण्डेय, कैलाश दीक्षित ने पिता और भाई को लखनऊ में काम के लिए बुलाया था. बुधवार अपरान्ह तीन बजे पिता और भाई को बिना मास्क, सुरक्षा उपकरण मैनहोल से अंदर उतार दिया था. नीचे सफाई के दौरान जहरीली गैस से उनका दम घुटने लगा. दोनों बेहोश होकर नीचे गिर पड़े. यह देख उनके साथी वहां से भाग निकले थे. दोनों को दमकल कर्मियों की मदद से उन्हें बाहर निकाल कर अस्पताल भेजा. जहां डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया था.

छोटे बेटे की थी शादी, शोक में बदली खुशी : शोबरन के बेटे विनय ने आरोप लगाया, कि डायरेक्टर हिमांशु और ठेकेदार केएस पाण्डेय और कैलाश ही उनके पिता और भाई की मौत होने के जिम्मेदार है. विनय की इसी 18 अप्रैल को शादी थी. दो दिन पहले ही पिता और भाई शादी की सारी रस्म पूरी होने के बाद लखनऊ लौटे थे. घर में खुशी का माहौल चल रहा था, जो इस हादसे से शोक में बदल गया.

परिवारजनों ने नहीं लिया मुआवजा: पिता-पुत्र शोबरन यादव और सुशील यादव के शव का पोस्टमार्टम होने के बाद जल निगम और ठेकेदार समेत करीब 20 लोगों की टीम शव के साथ सीतापुर स्थित मृतक के घर गई थी. अधीक्षण अभियंता शमीम अख्तर ने बताया, कि मृतक के परिजनों को मुआवजे की रकम 30-30 लाख रुपये की चेक दी गई थी. लेकिन, परिजनों ने फिलहाल इसे लेने से इंकार कर दिया. गांव में प्रधान से भी बात की गई, तो बताया गया कि विचार-विमर्श के बाद ही मुआवजे की रकम लेंगे.

इंजीनियर ने बताया शोबरन के परिवार में उसकी पत्नी, छोटा बेटा विनय, बडे बेटे मृतक सुशील की पत्नी और पांच साल की बेटी है. शव पहुंचने पर पूरे परिवार में कोहराम मच गया. जहां शादी की तैयारियां चल रहीं थीं, वहां मातम छाया था. दोनों की पत्नियों का रो-रो कर बुरा हाल था. इसके बाद मृतकों के अंतिम संस्कार के बाद टीम वापस लौट आई. जल निगम शहरी के अधीक्षण अभियंता शमीम अख्तर ने बताया परिवार के साथ पूरी सांत्वना है. सीतापुर जाने वालों में अधिशासी अभियंता अतहर कादरी, सीतापुर जल निगम के इंजीनियर अफजल के साथ करीब पांच एई और जेई तथा ठेकेदार केके स्पन के लोग भी मौजूद थे.

इसे भी पढ़े- लखनऊ नगर निगम में सफाई कर्मचारी की जान की कीमत सिर्फ 1200 रुपये...

एई-जेई नपे, बड़ें अफसरों, इंजीनियरों पर नहीं हुई कार्रवाई: जानकीपुरम विस्तार में सीवर मेनहोल में गिरे बच्चे की मौत के मामले में दबाव पड़ा, तो अधिशासी अभियंता को भी निलंबित किया गया. लेकिन, रेजीडेंसी के पास जल निगम की सीवर लाइन में दो मजदूरों की मौत के मामले में जिम्मेदार बड़े अफसर और इंजीनियर को बचा लिया गया. इस मामले में सिर्फ सहायक अभियन्ता मुनीश अली, अवर अभियंता गुडलक वर्मा को निलम्बित किया. जबकि, हादसे के लिए इस यूनिट के सभी अफसर और इंजीनियर जिम्मेदार थे. अधीक्षण अभियंता, मुख्य अभियंता से लेकर अधिशासी अभियन्ता ने अपनी जिम्मेदारी निभाई होती, तो यह हादसा न होता. ठेकेदार लगातार लापरवाही बरत रहा था, इस पर उसके खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की गई.

हर बार की तरह इस बार मजदूरों की मौत के मामले को दबाने के लिए छोटे इंजीनियरों को निलंबित कर रफा-दफा किया गया. लेकिन, प्रमुख जिम्मेदारों को छोड़ दिया गया. जल निगम के अधिकारियों की मानें तो बडे इंजीनियरों की ओर से मौके पर जाकर प्रोजेक्ट का निरीक्षण नहीं किया जाता है. इस वजह से ठेकेदार अपना काम पेटी ठेकेदार को दे देते हैं. आरोप है, कि मुख्य अभियन्ता महीनों दफ्तर से बाहर नहीं निकलते हैं. लेकिन, शासन, जल निगम के आला अफसरों ने इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की. जल निगम एमडी राकेश मिश्रा का कहना है, कि घटना के लिए एई और जेई ही जिम्मेदार हैं. इसलिए उन पर कार्रवाई की गयी. यही दोनों फील्ड अफसर होते हैं. अधिशासी अभियन्ता, मुख्य अभियन्ता सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं होते. उन्होंने कहा, कि कम्पनी को ब्लैक लिस्ट नहीं किया जा रहा है.

मौतों के जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों के घरों पर भी चले बुलडोजर: सीवर मेनहोलों में सफाई मजदूरों की मौतों के जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों के घरों पर भी बुलडोजर चलाए जाने की मांग मुख्यमंत्री से की गई है. राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के पूर्व सदस्य श्याम लाल वाल्मीकि ने यह मांग की है. कहा है, कि सीवर मेनहोलों की सफाई के दौरान निरन्तर हो रही अकाल मौतों पर अंकुश लगाने के लिए जब तक दोषियों के विरूद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान नहीं होगा, तब तक ऐसी मौतों का सिलसिला जारी रहेगा. शासनादेश में स्पष्ट है कि बिना समुचित उपकरणों के सफाई मजदूरों को सीवर मेनहोलों में न उतारा जाए. लेकिन, शासनादेशों का खुला उल्लंघन जल निगम, नगर निगम, जल संस्थान के अधिकारी और ठेकेदार मजदूरों को सीवर मेनहोलों में उतार कर किया जा रहा है.

रेजीडेंसी के पास सीवर की सफाई के लिए बिना सुरक्षा उपकरणों के 2 मजदूरों को जल निगम के अफसरों और ठेकेदार ने गहरे सीवर में उतार दिया. जिससे पिता सोबरन यादव तथा पुत्र सुशील यादव की मौत हो गयी. राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के पूर्व सदस्य श्याम लाल वाल्मीकि ने एक बयान में कहा है, कि आजादी के बाद अब तक पूरे देश में 50000 से अधिक सफाई मजदूरों की मौतें हो चुकी है. सरकार की ओर से पहले 10 लाख रुपये क्षतिपूर्ति दिये जाने का प्राविधान था. लेकिन, निरन्तर हो रही मौतों को देखते हुए जिसे अब बढ़ाकर 30 लाख रुपये मृतकों के आश्रितों को दिया जाएगा. ऐसी अकाल मौतों के जिम्मेदार अधिकारी, ठेकेदारों के घरों पर भी बुलडोजर चलाया जाए और दोषियों के विरूद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए. क्षतिपूर्ति की धनराशि भी सरकार की ओर से दोषियों से वसूली जाए. वाल्मीकि का कहना है, कि चुनाव के बाद सीवर मेनहोलों की घटनाओं पर अंकुश लगाये जाने के लिए मुख्यमंत्री से भेंट करेंगे.

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लखनऊ: रेजीडेंसी के पास सीवर लाइन की सफाई करने के दौरान मजदूर पिता-पुत्र की मौत में पुलिस ने केके स्पन कंपनी के निदेशक और ठेकेदार के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया है. ठेकेदार ने दोनों को बिना ऑक्सीजन मास्क, सुरक्षा के अन्य उपकरण ही मेनहोल में उतार दिया था. दोनों की दम घुटने से मौत हो गई थी. मृतक सोबरन के छोटे बेटे विनय ने वजीरगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई है. विनय ने आरोप लगाया है, कि सफाई के दौरान दम घुटने से पिता शोबरन और भाई सुशील नीचे गिर गए. यह देखकर ठेकेदार और अन्य साथी भाग निकले थे.

सीतापुर के कमलापुर निवासी विनय यादव ने बताया, कि उसके पिता और भाई छह साल से हरियाणा, फरीदाबाद की कंपनी केके स्पन इंडिया प्रा. लि.में सीवर सफाई का काम कर रहे थे. वह लखनऊ से पहले कई अन्य जिलों में कंपनी की साइट पर काम करने गए थे. कम्पनी के डायरेक्टर हिमांशु गुप्ता, ठेकेदार केएस पाण्डेय, कैलाश दीक्षित ने पिता और भाई को लखनऊ में काम के लिए बुलाया था. बुधवार अपरान्ह तीन बजे पिता और भाई को बिना मास्क, सुरक्षा उपकरण मैनहोल से अंदर उतार दिया था. नीचे सफाई के दौरान जहरीली गैस से उनका दम घुटने लगा. दोनों बेहोश होकर नीचे गिर पड़े. यह देख उनके साथी वहां से भाग निकले थे. दोनों को दमकल कर्मियों की मदद से उन्हें बाहर निकाल कर अस्पताल भेजा. जहां डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया था.

छोटे बेटे की थी शादी, शोक में बदली खुशी : शोबरन के बेटे विनय ने आरोप लगाया, कि डायरेक्टर हिमांशु और ठेकेदार केएस पाण्डेय और कैलाश ही उनके पिता और भाई की मौत होने के जिम्मेदार है. विनय की इसी 18 अप्रैल को शादी थी. दो दिन पहले ही पिता और भाई शादी की सारी रस्म पूरी होने के बाद लखनऊ लौटे थे. घर में खुशी का माहौल चल रहा था, जो इस हादसे से शोक में बदल गया.

परिवारजनों ने नहीं लिया मुआवजा: पिता-पुत्र शोबरन यादव और सुशील यादव के शव का पोस्टमार्टम होने के बाद जल निगम और ठेकेदार समेत करीब 20 लोगों की टीम शव के साथ सीतापुर स्थित मृतक के घर गई थी. अधीक्षण अभियंता शमीम अख्तर ने बताया, कि मृतक के परिजनों को मुआवजे की रकम 30-30 लाख रुपये की चेक दी गई थी. लेकिन, परिजनों ने फिलहाल इसे लेने से इंकार कर दिया. गांव में प्रधान से भी बात की गई, तो बताया गया कि विचार-विमर्श के बाद ही मुआवजे की रकम लेंगे.

इंजीनियर ने बताया शोबरन के परिवार में उसकी पत्नी, छोटा बेटा विनय, बडे बेटे मृतक सुशील की पत्नी और पांच साल की बेटी है. शव पहुंचने पर पूरे परिवार में कोहराम मच गया. जहां शादी की तैयारियां चल रहीं थीं, वहां मातम छाया था. दोनों की पत्नियों का रो-रो कर बुरा हाल था. इसके बाद मृतकों के अंतिम संस्कार के बाद टीम वापस लौट आई. जल निगम शहरी के अधीक्षण अभियंता शमीम अख्तर ने बताया परिवार के साथ पूरी सांत्वना है. सीतापुर जाने वालों में अधिशासी अभियंता अतहर कादरी, सीतापुर जल निगम के इंजीनियर अफजल के साथ करीब पांच एई और जेई तथा ठेकेदार केके स्पन के लोग भी मौजूद थे.

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एई-जेई नपे, बड़ें अफसरों, इंजीनियरों पर नहीं हुई कार्रवाई: जानकीपुरम विस्तार में सीवर मेनहोल में गिरे बच्चे की मौत के मामले में दबाव पड़ा, तो अधिशासी अभियंता को भी निलंबित किया गया. लेकिन, रेजीडेंसी के पास जल निगम की सीवर लाइन में दो मजदूरों की मौत के मामले में जिम्मेदार बड़े अफसर और इंजीनियर को बचा लिया गया. इस मामले में सिर्फ सहायक अभियन्ता मुनीश अली, अवर अभियंता गुडलक वर्मा को निलम्बित किया. जबकि, हादसे के लिए इस यूनिट के सभी अफसर और इंजीनियर जिम्मेदार थे. अधीक्षण अभियंता, मुख्य अभियंता से लेकर अधिशासी अभियन्ता ने अपनी जिम्मेदारी निभाई होती, तो यह हादसा न होता. ठेकेदार लगातार लापरवाही बरत रहा था, इस पर उसके खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की गई.

हर बार की तरह इस बार मजदूरों की मौत के मामले को दबाने के लिए छोटे इंजीनियरों को निलंबित कर रफा-दफा किया गया. लेकिन, प्रमुख जिम्मेदारों को छोड़ दिया गया. जल निगम के अधिकारियों की मानें तो बडे इंजीनियरों की ओर से मौके पर जाकर प्रोजेक्ट का निरीक्षण नहीं किया जाता है. इस वजह से ठेकेदार अपना काम पेटी ठेकेदार को दे देते हैं. आरोप है, कि मुख्य अभियन्ता महीनों दफ्तर से बाहर नहीं निकलते हैं. लेकिन, शासन, जल निगम के आला अफसरों ने इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की. जल निगम एमडी राकेश मिश्रा का कहना है, कि घटना के लिए एई और जेई ही जिम्मेदार हैं. इसलिए उन पर कार्रवाई की गयी. यही दोनों फील्ड अफसर होते हैं. अधिशासी अभियन्ता, मुख्य अभियन्ता सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं होते. उन्होंने कहा, कि कम्पनी को ब्लैक लिस्ट नहीं किया जा रहा है.

मौतों के जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों के घरों पर भी चले बुलडोजर: सीवर मेनहोलों में सफाई मजदूरों की मौतों के जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों के घरों पर भी बुलडोजर चलाए जाने की मांग मुख्यमंत्री से की गई है. राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के पूर्व सदस्य श्याम लाल वाल्मीकि ने यह मांग की है. कहा है, कि सीवर मेनहोलों की सफाई के दौरान निरन्तर हो रही अकाल मौतों पर अंकुश लगाने के लिए जब तक दोषियों के विरूद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान नहीं होगा, तब तक ऐसी मौतों का सिलसिला जारी रहेगा. शासनादेश में स्पष्ट है कि बिना समुचित उपकरणों के सफाई मजदूरों को सीवर मेनहोलों में न उतारा जाए. लेकिन, शासनादेशों का खुला उल्लंघन जल निगम, नगर निगम, जल संस्थान के अधिकारी और ठेकेदार मजदूरों को सीवर मेनहोलों में उतार कर किया जा रहा है.

रेजीडेंसी के पास सीवर की सफाई के लिए बिना सुरक्षा उपकरणों के 2 मजदूरों को जल निगम के अफसरों और ठेकेदार ने गहरे सीवर में उतार दिया. जिससे पिता सोबरन यादव तथा पुत्र सुशील यादव की मौत हो गयी. राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के पूर्व सदस्य श्याम लाल वाल्मीकि ने एक बयान में कहा है, कि आजादी के बाद अब तक पूरे देश में 50000 से अधिक सफाई मजदूरों की मौतें हो चुकी है. सरकार की ओर से पहले 10 लाख रुपये क्षतिपूर्ति दिये जाने का प्राविधान था. लेकिन, निरन्तर हो रही मौतों को देखते हुए जिसे अब बढ़ाकर 30 लाख रुपये मृतकों के आश्रितों को दिया जाएगा. ऐसी अकाल मौतों के जिम्मेदार अधिकारी, ठेकेदारों के घरों पर भी बुलडोजर चलाया जाए और दोषियों के विरूद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए. क्षतिपूर्ति की धनराशि भी सरकार की ओर से दोषियों से वसूली जाए. वाल्मीकि का कहना है, कि चुनाव के बाद सीवर मेनहोलों की घटनाओं पर अंकुश लगाये जाने के लिए मुख्यमंत्री से भेंट करेंगे.

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