देहरादून: उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार तैनाती के बाद फिर से नायब तहसीलदारों को वापस ट्रेनिंग पर लौटना होगा. इतना ही नहीं ट्रेनिंग के उपरांत नायब तहसीलदारों की परीक्षा भी होगी. इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने के बाद ही इन्हें 2 महीने बाद पोस्टिंग दी जा सकेगी.
उत्तराखंड में अजीब तमाशा: दरअसल पूर्व में हुई ट्रेनिंग के बाद कई प्रशिक्षु नायब तहसीलदार परीक्षा में फेल हो गए थे. बावजूद इसके तब इन्हें तैनाती दे दी गई थी. मामला राजस्व परिषद तक पहुंचा, तो न केवल नायब तहसीलदारों को प्रशिक्षण के लिए वापस लौटने के आदेश हुए हैं, बल्कि मामले के कुछ समय बाद ही ट्रेनिंग सेंटर के कार्यकारी निदेशक को भी यहां से हटाकर बाध्य प्रतीक्षा में रख दिया गया.
फेल होने पर भी दी थी तैनाती: उत्तराखंड में नायब तहसीलदारों के प्रशिक्षण के दौरान फेल होने का मामला हर किसी को हैरान कर रहा है. दरअसल अल्मोड़ा स्थित राजस्व पुलिस एवं भूलेख सर्वेक्षण प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षु नायब तहसीलदारों के फेल होने के बावजूद इन्हें विभिन्न जिलों में तैनाती दी गई थी. हालांकि प्रशिक्षण संस्थान के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक श्रीश कुमार ने राजस्व परिषद को प्रशिक्षु नायब तहसीलदारों के फेल होने की जानकारी दी थी. साथ ही ऐसी कई गंभीर बातें भी इस पत्र में लिखी थीं, जो प्रशिक्षु नायब तहसीलदारों के प्रशिक्षण पर ही सवाल खड़ा कर रही थी.
नायब तहसीलदारों को फिर प्रशिक्षण पर लौटना होगा: मामले में राजस्व परिषद ने निर्णय लेते हुए जिलों में तैनात नायब तहसीलदारों को वापस ट्रेनिंग पर लौटने के निर्देश दे दिए हैं. प्रशिक्षण संस्थान में अब एक बार फिर इन नायब तहसीलदारों को 2 महीने का प्रशिक्षण लेना होगा. साथ ही प्रशिक्षण संस्थान की प्रक्रिया के अनुसार विभिन्न परीक्षाओं को पास भी करना होगा. अब नायब तहसीलदार 1 दिसम्बर से फिर प्रशिक्षण संस्थान में दो महीने तक प्रशिक्षण लेते हुए दिखाई देंगे.
संबंधित नायब तहसीलदारों के प्रशिक्षण को लेकर निर्देश जारी कर दिए गए हैं. परीक्षा में फेल होने वाले प्रशिक्षु नायब तहसीलदारों को फिर से 2 महीने का प्रशिक्षण लेना होगा. -चंद्रेश कुमार यादव, आयुक्त, राजस्व परिषद
तत्कालीन कार्यकारी निदेशक श्रीश कुमार भी हटाए गए: प्रशिक्षु नायब तहसीलदारों को लेकर प्रशिक्षण संस्थान के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक श्रीश कुमार ने कई गंभीर बातें भी पत्र में लिखीं. पत्र में यह स्पष्ट किया गया कि 36 के बैच में से 35 प्रशिक्षु नायब तहसीलदारों का आचरण प्रशिक्षण के दौरान संतोषजनक नहीं रहा. इन प्रशिक्षु नायब तहसीलदारों ने प्रशिक्षण के दौरान नोट्स तक तैयार नहीं किए. क्लास में मोबाइल पर व्यस्त रहने और कई प्रशिक्षण तहसीलदारों के 4 से 11 विषयों में निर्धारित मानक से कम अंक पाने की भी बात पत्र में कही गई. खास बात यह है कि इस मामले के सामने आने के बाद प्रशिक्षण संस्थान से कार्यकारी निदेशक श्रीश कुमार की भी छुट्टी कर दी गई. उन्हें बाध्य प्रतीक्षा में डाल दिया गया. हालांकि उन्हें हटाने की वजह आधिकारिक रूप से स्पष्ट नहीं की गई है.
VRS लेने वाले अफसर को दे दी प्रशिक्षण संस्थान की कमान: मामले में नई बात यह भी है कि प्रशिक्षण संस्थान से श्रीश कुमार को हटाकर जिस अफसर को कार्यकारी निदेशक बनाया गया है, वह काफी पहले ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुके थे. कार्यकारी निदेशक के पद पर अब VRS लेने के बाद अचानक वापसी करने वाले सीएस डोभाल काम कर रहे हैं.
संविदा पर कार्यकारी निदेशक की जिम्मेदारी: VRS लेने वाले चंद्र सिंह डोभाल प्रशिक्षण संस्थान में गेस्ट फैकल्टी के रूप में प्रशिक्षण देने के लिए आते रहे हैं. रिटायर्ड पीसीएस होने के कारण उन्हें अब प्रशिक्षण संस्थान में संविदा पर कार्यकारी निदेशक की जिम्मेदारी दी गई है. सर्वे के कार्यों की महारत हासिल होने के कारण उन्हें सरकार ने इस पद पर तैनाती के लिए आमंत्रित किया, जिसके बाद नियमावली के आधार पर उन्हें तैनाती दी गई है.
कई प्रशिक्षु नायब तहसीलदार PCS के लिए हुए चयनित: तत्कालीन कार्यकारी निदेशक श्रीश कुमार ने 25 जुलाई को राजस्व परिषद को यह पत्र लिखा था जिसमें साढ़े 4 महीने के प्रशिक्षण के बजाय इनके द्वारा महज 31 दिन का ही प्रशिक्षण लेने की बात भी लिखी गई थी. उधर बड़ी बात यह है कि प्रशिक्षण संस्थान में एक तरफ प्रशिक्षु नायब तहसीलदार परीक्षा पास नहीं कर पाए, तो दूसरी तरफ इन्हीं में से 15 प्रशिक्षु नायब तहसीलदारों ने पीसीएस की परीक्षा पास कर ली, और PCS के लिए चयनित हो गए. ऐसे में 12 से 15 प्रशिक्षु नायब तहसीलदार PCS चयन के कारण यहां से छोड़ सकते हैं.
पोस्टिंग के दौरान कई नायब तहसीलदारों को दी गई थी प्रभारी तहसीलदार की जिम्मेदारी: उत्तराखंड में तहसीलदारों की कमी है. लिहाजा लोक सेवा आयोग के जरिए हुई सीधी भर्ती में नायब तहसीलदार बने इन अधिकारियों को पोस्टिंग मिलने के साथ ही प्रभारी तहसीलदार भी बना दिया गया. हालांकि प्रशिक्षण को लेकर कार्यकारी निदेशक की चिट्ठी आने के बाद राजस्व परिषद के निर्देश पर तमाम जिलों से इन्हें प्रभारी तहसीलदार के पद से हटा दिया गया था. उस समय कार्यकारी निदेशक ने स्पष्ट किया था कि इन नायब तहसीलदारों को कोई भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी न दी जाए और इन्हें वापस प्रशिक्षण दिलवाया जाए.
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