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दिल्ली: जानलेवा साबित हो रहा चढ़ता पारा!, हीट स्ट्रोक के गंभीर मरीजों को पड़ रही वेंटिलेटर की जरूरत - HEAT WAVE DELHI HOSPITALS

दिल्ली के अस्पतालों में गंभीर हीट स्ट्रोक के मरीजों को वेंटिलेटर पर रखना पड़ रहा है. आरएमएल अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि मरीज की स्थिति के हिसाब से उसका इलाज किया जाता है.

हीट स्ट्रोक के गंभीर मरीजों को पड़ रही वेंटिलेटर की जरूरत
हीट स्ट्रोक के गंभीर मरीजों को पड़ रही वेंटिलेटर की जरूरत (ETV BHARAT REPORTER)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : May 31, 2024, 7:45 PM IST

दिल्ली में हीट स्ट्रोक के गंभीर मरीजों को पड़ रही वेंटिलेटर की जरूरत (ETV BHARAT REPORTER)

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में पिछले 10 दिन से लगातार भीषण गर्मी का प्रकोप जारी है. इसके चलते लोगों को परेशानियां हो रही हैं. कुछ लोगों को हीट स्ट्रोक की भी समस्या होने लगी है. इसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ रहा है. इसी क्रम में दिल्ली सरकार के सबसे बड़े अस्पताल लोकनायक में भी हीट स्ट्रोक के तीन मरीज भर्ती हुए थे. जिनमें से दो मरीजों की हालत में आज काफी सुधार है. वहीं, तीसरे मरीज को वेंटिलेटर पर रखा गया.

अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि जिस मरीज की हालत गंभीर थी उस मरीज का आज वेंटिलेटर हट गया है. उम्मीद है कि दो से तीन दिन में उस मरीज को पूरी तरीके से रिकवर करके घर भेज दिया जाएगा. डॉ. सुरेश ने बताया कि हीट स्ट्रोक का मरीज जब अस्पताल में आता है तो सबसे पहले यह देखना पड़ता है कि उस मरीज को कितना गंभीर या कितना कम हीट स्ट्रोक है. मरीज की स्थिति के हिसाब से उसका इलाज शुरू किया जाता है.

अस्पताल के चिकित्सा निदेशक ने बताया कि हीट स्ट्रोक के मरीज का सबसे पहले हम टेम्प्रेचर चेक करते हैं. उसके बाद उसका ट्रीटमेंट शुरू होता है. अगर मरीज का टेंपरेचर 105 या 106 से ज्यादा है तो उसको सबसे पहले आइस पैक लगाते हैं. कोल्ड वाटर से उसको स्नान कराते हैं. एंटीपायरेटिक ट्रीटमेंट देते हैं. डॉक्टर सुरेश ने बताया कि जब किसी मरीज को गंभीर हीट स्ट्रोक होता है और वह दिमाग तक पहुंच जाता है. किडनी पर भी हीट स्ट्रोक का असर हो जाता है. ऐसे मरीजों को सांस लेने में भी दिक्कत होती है. बेहोशी आने पर वेंटिलेटर स्पोर्ट भी देना पड़ता है. ऐसे मरीज को ठीक होने में ज्यादा समय लगता है.

डॉक्टर सुरेश ने बताया कि अगर किसी मरीज को पहले से कैंसर, हार्ट की बीमारी, टीबी, लिवर की बीमारी, मोटापा या अल्कोहलिक फैटी लिवर की समस्या होती है तो ऐसे मरीजों को हीट स्ट्रोक की समस्या होने पर बहुत ज्यादा कठिनाइयां होती है. ऐसे मरीज का इलाज करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. अभी दिल्ली का तापमान 49 डिग्री से ऊपर चल रहा है. ऐसे में अस्पताल में उल्टी, दस्त, डायरिया, तेज बुखार के मरीज बड़ी संख्या में आ रहे हैं. जिन मरीजों की हालत गंभीर होती है. उनको भर्ती किया जा रहा है. साथ ही हल्के लक्षण वाले मरीजों को दवाई देकर घर भेज दिया जाता है.

डॉ सुरेश कुमार ने बताया कि दिल्ली सरकार के आदेशानुसार लोकनायक अस्पताल में हीट स्ट्रोक के मरीजों के लिए पांच बेड आरक्षित किए हैं. बता दें, शुक्रवार को दिल्ली के अस्पतालों आरएमएल, स्वामी दयानंद, बड़ा हिंदू राव, दिल्ली एम्स सहित अन्य अस्पतालों में भी हीट स्ट्रोक के मरीजों का आना जारी रहा. एक-दो अस्पतालों में हीट स्ट्रोक के एक- दो मरीजों को भर्ती करना पड़ा. जबकि, बाकी हल्के मरीजों को ओपीडी में ही दवाई देकर घर भेज दिया गया.

दिल्ली में हीट स्ट्रोक के गंभीर मरीजों को पड़ रही वेंटिलेटर की जरूरत (ETV BHARAT REPORTER)

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में पिछले 10 दिन से लगातार भीषण गर्मी का प्रकोप जारी है. इसके चलते लोगों को परेशानियां हो रही हैं. कुछ लोगों को हीट स्ट्रोक की भी समस्या होने लगी है. इसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ रहा है. इसी क्रम में दिल्ली सरकार के सबसे बड़े अस्पताल लोकनायक में भी हीट स्ट्रोक के तीन मरीज भर्ती हुए थे. जिनमें से दो मरीजों की हालत में आज काफी सुधार है. वहीं, तीसरे मरीज को वेंटिलेटर पर रखा गया.

अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि जिस मरीज की हालत गंभीर थी उस मरीज का आज वेंटिलेटर हट गया है. उम्मीद है कि दो से तीन दिन में उस मरीज को पूरी तरीके से रिकवर करके घर भेज दिया जाएगा. डॉ. सुरेश ने बताया कि हीट स्ट्रोक का मरीज जब अस्पताल में आता है तो सबसे पहले यह देखना पड़ता है कि उस मरीज को कितना गंभीर या कितना कम हीट स्ट्रोक है. मरीज की स्थिति के हिसाब से उसका इलाज शुरू किया जाता है.

अस्पताल के चिकित्सा निदेशक ने बताया कि हीट स्ट्रोक के मरीज का सबसे पहले हम टेम्प्रेचर चेक करते हैं. उसके बाद उसका ट्रीटमेंट शुरू होता है. अगर मरीज का टेंपरेचर 105 या 106 से ज्यादा है तो उसको सबसे पहले आइस पैक लगाते हैं. कोल्ड वाटर से उसको स्नान कराते हैं. एंटीपायरेटिक ट्रीटमेंट देते हैं. डॉक्टर सुरेश ने बताया कि जब किसी मरीज को गंभीर हीट स्ट्रोक होता है और वह दिमाग तक पहुंच जाता है. किडनी पर भी हीट स्ट्रोक का असर हो जाता है. ऐसे मरीजों को सांस लेने में भी दिक्कत होती है. बेहोशी आने पर वेंटिलेटर स्पोर्ट भी देना पड़ता है. ऐसे मरीज को ठीक होने में ज्यादा समय लगता है.

डॉक्टर सुरेश ने बताया कि अगर किसी मरीज को पहले से कैंसर, हार्ट की बीमारी, टीबी, लिवर की बीमारी, मोटापा या अल्कोहलिक फैटी लिवर की समस्या होती है तो ऐसे मरीजों को हीट स्ट्रोक की समस्या होने पर बहुत ज्यादा कठिनाइयां होती है. ऐसे मरीज का इलाज करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. अभी दिल्ली का तापमान 49 डिग्री से ऊपर चल रहा है. ऐसे में अस्पताल में उल्टी, दस्त, डायरिया, तेज बुखार के मरीज बड़ी संख्या में आ रहे हैं. जिन मरीजों की हालत गंभीर होती है. उनको भर्ती किया जा रहा है. साथ ही हल्के लक्षण वाले मरीजों को दवाई देकर घर भेज दिया जाता है.

डॉ सुरेश कुमार ने बताया कि दिल्ली सरकार के आदेशानुसार लोकनायक अस्पताल में हीट स्ट्रोक के मरीजों के लिए पांच बेड आरक्षित किए हैं. बता दें, शुक्रवार को दिल्ली के अस्पतालों आरएमएल, स्वामी दयानंद, बड़ा हिंदू राव, दिल्ली एम्स सहित अन्य अस्पतालों में भी हीट स्ट्रोक के मरीजों का आना जारी रहा. एक-दो अस्पतालों में हीट स्ट्रोक के एक- दो मरीजों को भर्ती करना पड़ा. जबकि, बाकी हल्के मरीजों को ओपीडी में ही दवाई देकर घर भेज दिया गया.

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