ETV Bharat / state

पति-पत्नी दोनों नौकरी में तो अलग रहना परित्याग नहीं, इस आधार पर नहीं हो सकता तलाक - HIGH COURT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पति-पत्नी के एक तलाक केस पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि नौकरी के कारण यदि पति-पत्नी अलग रह रहे हैं तो इसे परित्याग करना नहीं माना जा सकता.

Etv Bharat
इलाहाबाद हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला. (Etv Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 23, 2024, 10:43 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि नौकरी के कारण यदि पति-पत्नी अलग रह रहे हैं तो इसे परित्याग करना नहीं माना जा सकता. इस आधार पर पति की तलाक की अर्जी का खारिज किया जाना अवैध नहीं है. यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह एवं न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने अरविंद सिंह सेंगर की प्रभा सिंह के विरुद्ध दाखिल अपील को खारिज करते हुए दिया है.

तथ्यों के अनुसार, अरविंद सिंह सेंगर की प्रभा सिंह की शादी 1999 में हुई थी. वर्ष 2000 में उनके एक बच्चा भी हुआ. पति झांसी में लोको पायलट है और पत्नी औरैया में सहायक अध्यापिका है. पति ने वर्ष 2004 में वैवाहिक प्रतिस्थापन की अर्जी दी और एकपक्षीय आदेश प्राप्त कर लिया. लेकिन अदालत ने पत्नी की अर्जी स्वीकार करते हुए वर्ष 2006 में एकपक्षीय आदेश रद्द कर दिया तो पति ने अर्जी वापस ले ली. इसके बाद पति ने तलाक का मुकदमा किया. अरविंद सेंगर ने पत्नी प्रभा सिंह पर परित्याग व क्रूरता का आरोप लगाया. जबकि पत्नी ने कहा कि 2003 में जब वह बीमार थी तो उसके पति ने ही प्रधानाध्यापक से मिलकर मेडिकल लीव स्वीकृत कराई थी और उसका इलाज कराया था. इस आधार पर परिवार न्यायालय ने यह मानने से अस्वीकार कर दिया कि पत्नी ने पति को छोड़ दिया है. पति को मालूम था कि पत्नी नौकरी पाने का प्रयास कर रही थी और सहायक अध्यापिका बन गई. इसलिए तलाक मंजूर करने से इनकार करने का परिवार न्यायालय कानपुर नगर का आदेश सही है.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि नौकरी के कारण यदि पति-पत्नी अलग रह रहे हैं तो इसे परित्याग करना नहीं माना जा सकता. इस आधार पर पति की तलाक की अर्जी का खारिज किया जाना अवैध नहीं है. यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह एवं न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने अरविंद सिंह सेंगर की प्रभा सिंह के विरुद्ध दाखिल अपील को खारिज करते हुए दिया है.

तथ्यों के अनुसार, अरविंद सिंह सेंगर की प्रभा सिंह की शादी 1999 में हुई थी. वर्ष 2000 में उनके एक बच्चा भी हुआ. पति झांसी में लोको पायलट है और पत्नी औरैया में सहायक अध्यापिका है. पति ने वर्ष 2004 में वैवाहिक प्रतिस्थापन की अर्जी दी और एकपक्षीय आदेश प्राप्त कर लिया. लेकिन अदालत ने पत्नी की अर्जी स्वीकार करते हुए वर्ष 2006 में एकपक्षीय आदेश रद्द कर दिया तो पति ने अर्जी वापस ले ली. इसके बाद पति ने तलाक का मुकदमा किया. अरविंद सेंगर ने पत्नी प्रभा सिंह पर परित्याग व क्रूरता का आरोप लगाया. जबकि पत्नी ने कहा कि 2003 में जब वह बीमार थी तो उसके पति ने ही प्रधानाध्यापक से मिलकर मेडिकल लीव स्वीकृत कराई थी और उसका इलाज कराया था. इस आधार पर परिवार न्यायालय ने यह मानने से अस्वीकार कर दिया कि पत्नी ने पति को छोड़ दिया है. पति को मालूम था कि पत्नी नौकरी पाने का प्रयास कर रही थी और सहायक अध्यापिका बन गई. इसलिए तलाक मंजूर करने से इनकार करने का परिवार न्यायालय कानपुर नगर का आदेश सही है.

इसे भी पढ़ें-ट्रायल कोर्ट का रिकॉर्ड गायब होने पर केस बंद करना ही विकल्प: इलाहाबाद हाईकोर्ट

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.