देहरादून (नवीन उनियाल): उत्तराखंड में सीधी भर्ती के पीसीएस और पदोन्नत पीसीएस के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है. स्थिति यह है कि अब ये पीसीएस सीनियरिटी को लेकर शासन स्तर पर प्रत्यावेदन दे रहे हैं. मामले में पहले पदोन्नत पीसीएस अधिकारियों ने एडीएम रैंक पर प्राथमिकता दिए जाने की मांग रखी तो अब सीधी भर्ती वाले पीसीएस अफसर भी प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री आर के सुधांशु के पास मांग पत्र लेकर पहुंचे हैं. बता दें कि सीधी भर्ती वाले 19 पीसीएस अफसर और पदोन्नत 25 पीसीएस अफसरों के सीनियरिटी का विवाद उलझा हुआ है.
उत्तराखंड में पीसीएस अधिकारियों की सीनियरिटी तय ना हो पाने के कारण सीधी भर्ती के पीसीएस (प्रोविंशियल सिविल सर्विस) और पदोन्नत पीसीएस आमने-सामने आ गए हैं. ताजा मामला 2014 बैच के PCS अफसरों और एनटी (नायब तहसीलदार) से पदोन्नत पीसीएस अधिकारियों से जुड़ा है. जिसमें सीधी भर्ती के दो पीसीएस अधिकारियों को एडीएम (एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट) पद पर जिम्मेदारी दी गई है. ऐसे में पदोन्नति पीसीएस भी एडीएम रैंक पर जिम्मेदारी की मांग कर रहे हैं.
पदोन्नति पीसीएस अधिकारियों ने कुछ दिन पहले ही इस संदर्भ में प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री के सामने अपने बात रखी थी और सीनियरिटी के आधार पर उन्हें भी एडीएम पद पर लिए जाने की मांग की थी. खास बात यह है कि इसकी भनक सीधी भर्ती के पीसीएस अफसरों को लगते ही वो भी 19 दिसंबर को प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे.
उत्तराखंड में अभी PCS अधिकारियों के कई बैच पर सीनियरिटी तय नहीं हो पाई है. हालांकि शासन स्तर पर अनंतिम सीनियरिटी सूची जारी की गई है. लेकिन काफी वक्त बीतने के बाद भी अब तक इस पर अंतिम सीनियरिटी को तय नहीं किया जा सका है. यही कारण है कि सीधी भर्ती और प्रमोटी पीसीएस के बीच सीनियरिटी पर तलवार खींच गई है. बड़ी बात ये है कि मामला सुप्रीम कोर्ट तक में चल रहा है और शासन इस स्थिति में कुछ निर्णय नहीं ले पा रहा है.
गौर है कि सीधी भर्ती से पीसीएस योगेंद्र सिंह और जयवर्धन शर्मा को एडीएम पद दिया गया था. जिसके बाद प्रमोटी पीसीएस भी सक्रिय हो गए हैं. वहीं नायब तहसील से पदोन्नत अधिकारी जून 2012 में तदर्थ एसडीएम बने. जबकि इनकी नियमित नियुक्ति साल 2016 में हुई. जबकि इन्हें 6600 ग्रेड पे 2019 में मिल गया.
जानें नियमावली: वहीं सीधी भर्ती वाले पीसीएस दिसंबर 2014 में आए. जबकि इन्हें 6600 ग्रेड पे 2022 में मिला था. विवाद इस बात को लेकर भी है कि पदोन्नत पीसीएस की तदर्थ नियुक्ति जोड़ी जाए या नहीं. इसमें नियमावली के अनुसार तदर्थ नियुक्ति की सेवा को जोड़ने का प्रावधान है. जबकि पूर्व में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार इस सेवा को नहीं जोड़ने के आदेश पारित हुए. बड़ी बात ये है कि भविष्य में इसके कारण आईएस में पदोन्नति पर भी पीसीएस अधिकारियों की परेशानी बढ़ी रहेगी.
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