रांची: मौजूदा दौर में स्वास्थ्य व्यवस्था पर व्यवसायीकरण का ऐसा लेप चढ़ा कि मरीज की जगह कस्टमर और डॉक्टर की जगह पैकेज शब्द ने ले ली. अब तो चंद रूपयों के लिए अस्पतालों में लाशें गिरवी रख ली जाती हैं. इसके बारे में लंग कैंसर के चौथे स्टेज से जूझ रहे झारखंड के वरिष्ठ पत्रकार रवि प्रकाश से बेहतर और कौन समझ सकता है. बीमारी का पता चलने और इलाज शुरू होते ही सारी जमा पूंजी मुट्ठी में रेत की तरह फिसल गई. पुरखों की जो थोड़ी बहुत जमीन थी वो भी बिक गई. फिर भी बीमारी से पीछा नहीं छूटा.
इसी बीच उन्हें पता चला कि जो लंग कैंसर पहले नॉन स्मॉल था, वो अब स्मॉल सेल का रूप ले चुका है, तो इलाज के विकल्प सीमित हो गए. क्योंकि अब जिस थेरेपी से इलाज हो सकती है, उसपर करीब पौने चार करोड़ खर्च करने होंगे. बकौल रवि प्रकाश, मौत को वेलकम करने के सिवा कोई विकल नहीं बचा. लेकिन कहते हैं ना कि 'किस रूप में भगवान आ जाएंगे, यह कोई नहीं जानता'. यही हुआ वरिष्ठ पत्रकार रवि प्रकाश के साथ. उनके लिए महाराष्ट्र के डॉक्टर कुमार प्रभाष और डॉ विजय पाटिल 'नारायण' बनकर सामने आए हैं.
वरिष्ठ पत्रकार रवि प्रकाश ने शब्दों में साझा किए जज़्बात
कैंसर ने सिर्फ़ बीमार नहीं किया, कुछ अनमोल रिश्ते भी दिए. मेरी बीमारी का अपडेट यह है कि यह अब दिमाग में भी आ गई. इसके लिए रेडिएशन लेना पड़ा. लंग वाला कैंसर पहले नॉन स्मॉल था, जो अब स्मॉल सेल में बदल गया. इस बदलाव ने इलाज के विकल्प सीमित कर दिए. स्थिति यह हो गई कि अब मौत का इंतज़ार कीजिए. कोई तय प्रोटोकॉल है ही नहीं इस स्थिति में इलाज का. ऐसे में एक चमत्कार हुआ है. आपसे साझा कर रहा हूं. ताकि सनद रहे.
जब इलाज के विकल्प खत्म हुए तो मुंबई के टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में मेडिकल आंकोलॉजी के प्रोफ़ेसर और एचओडी डॉ कुमार प्रभाष और उनके साथी बहुत ही प्रतिष्ठित प्रोफ़ेसर डॉ विजय पाटिल सामने आए और एक ऐसी थेरेपी (CAR T Cell Therapy) का विकल्प सामने रखा, जिसका ग्लोबल खर्च साढ़े चार लाख अमेरिकी डॉलर अर्थात करीब पौने चार करोड़ भारतीय मुद्रा है. मेरे लिए यह रकम इतनी बड़ी है कि शायद मैं मौत को चुनता, इस थेरेपी को नहीं.
लेकिन, आपको यह जानकर खुशी होगी, आश्चर्य भी कि डॉ विजय पाटिल ने मेरी यह थेरेपी मुफ्त में करने की पहल की है. यह एक तरह का ट्रांसप्लांट है, जो ठाणे (मुंबई) के टाइटन मेडिसिटी सुपर स्पेशलटी हॉस्पिटल में होगा. मैं इसके लिए 22 जुलाई को मुंबई जा रहा हूं. इस थेरेपी से भारत में पहला ट्रांसप्लांट डॉ विजय पाटिल ने ही किया था. कहते हैं न कि न जाने किस रुप में तुमको नारायण मिल जाएंगे. मुझे डॉ विजय पाटिल और डॉ कुमार प्रभाष के रुप में नारायण मिल चुके हैं.
ईश्वर उन्हें हमेशा स्वस्थ रखें और उनको शानदार सफलता दें. उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी करें. मुझपर जो अहसान वे लाद रहे हैं, मेरा परिवार सर्वदा उनका आभारी रहेगा.
डॉ विजय पाटिल से ईटीवी भारत की बातचीत
डॉ विजय पाटिल ने ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत में बताया कि 24 जुलाई से रवि प्रकाश का इलाज शुरु हो जाएगा. उन्होंने कहा कि इस थेरेपी से इंडिया में इलाज कराने वाले संभवत: ये सातवें या आठवें मरीज होंगे.
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