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सत्ता परिवर्तन की पहली झलक, सीनियर आईएएस अविनाश कुमार को मिली एक और जिम्मेदारी, मेन स्ट्रीम में लौटे सुनील कुमार श्रीवास्तव - Senior IAS Avinash Kumar

हेमंत सोरेन के सीएम बनने के साथ ही प्रशासनिक फेरबदल शुरू हो गया है. एक तरफ जहां सीनियर आईएएस अधिकारी अविनाश कुमार को एक और अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है. वहीं दूसरी तरफ सुनील कुमार श्रीवास्तव की भी मेन स्ट्रीम में वापसी हुई है.

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 4, 2024, 10:31 PM IST

SENIOR IAS AVINASH KUMAR
राज्यपाल के साथ सीएम हेमंत सोरेन (फोटो- ईटीवी भारत)

रांची: झारखंड में चंपाई राज खत्म हो चुका है. सत्ता की कमान हेमंत सोरेन ने फिर अपने हाथों में ले ली है. सीएम पद की शपथ लेते ही उन्होंने प्रशासनिक व्यवस्था को अपनी जरूरत के हिसाब शेप देना शुरू कर दिया है. सीनियर आईएएस अविनाश कुमार को मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया गया है.

फिलहाल, अविनाश कुमार, ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव हैं. इसके अलावा विकास आयुक्त, झारखंड ऊर्जा विकास निगम के एमडी, झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड के एमडी के अलावा दिल्ली में झारखंड भवन के स्थानिक आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार पहले से है. कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग की ओर से इस बाबत अधिसूचना जारी कर दी गई है. इसके अलावा सहायक अभियंता के पद से सेवानिवृत सुनील कुमार श्रीवास्तव को वाह्य कोटा से मुख्यमंत्री का वरीय आप्त सचिव नियुक्त किया गया है. पूर्व में भी जब हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री थे, तब सुनील कुमार श्रीवास्तव उनके आप्त सचिव की भूमिका निभा रहे थे.

दरअसल, हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद अविनाश कुमार एक ब्रिज का काम कर रहे थे. इसकी चर्चा प्रशासनिक महकमे में भी थी. सूत्र बताते हैं कि चंपाई सोरेन द्वारा कई ऐसे फैसले लिए गए जिसकी वजह से व्यवस्था पर असर पड़ रहा था. अब स्पष्ट हो गया है कि आने वाले दिनों में व्यापक स्तर पर ट्रांसफर पोस्टिंग देखने को मिलेगी. इससे पहले मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही चंपाई सोरेन ने आईएएस अरवा राजकमल को कल्याण विभाग से हटकर अपना सचिव बनाया था. उनके पास नगर विकास विभाग समेत कई महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी दी गई थी.

खास बात है कि 28 जून को हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने के साथ ही उनके स्वागत में सभी चौक चौराहों पर तस्वीर लगाई गई थी. उनके जेल जाने से पहले 'हेमंत है तो हिम्मत है' का नारा दिया गया था. जेल जाने पर 'जेल का ताला टूटेगा, हेमंत सोरेन छूटेगा' का नारा चला था. अब " साजिशों के खेल का हुआ अंत, आ गया अपना हेमंत " का नारा चल रहा है. जेल से बाहर आते ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी साफ कर दिया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को सबक सिखाया जाएगा. लिहाजा, झारखंड का राजनीतिक समीकरण बदल गया है.

रांची: झारखंड में चंपाई राज खत्म हो चुका है. सत्ता की कमान हेमंत सोरेन ने फिर अपने हाथों में ले ली है. सीएम पद की शपथ लेते ही उन्होंने प्रशासनिक व्यवस्था को अपनी जरूरत के हिसाब शेप देना शुरू कर दिया है. सीनियर आईएएस अविनाश कुमार को मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया गया है.

फिलहाल, अविनाश कुमार, ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव हैं. इसके अलावा विकास आयुक्त, झारखंड ऊर्जा विकास निगम के एमडी, झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड के एमडी के अलावा दिल्ली में झारखंड भवन के स्थानिक आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार पहले से है. कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग की ओर से इस बाबत अधिसूचना जारी कर दी गई है. इसके अलावा सहायक अभियंता के पद से सेवानिवृत सुनील कुमार श्रीवास्तव को वाह्य कोटा से मुख्यमंत्री का वरीय आप्त सचिव नियुक्त किया गया है. पूर्व में भी जब हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री थे, तब सुनील कुमार श्रीवास्तव उनके आप्त सचिव की भूमिका निभा रहे थे.

दरअसल, हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद अविनाश कुमार एक ब्रिज का काम कर रहे थे. इसकी चर्चा प्रशासनिक महकमे में भी थी. सूत्र बताते हैं कि चंपाई सोरेन द्वारा कई ऐसे फैसले लिए गए जिसकी वजह से व्यवस्था पर असर पड़ रहा था. अब स्पष्ट हो गया है कि आने वाले दिनों में व्यापक स्तर पर ट्रांसफर पोस्टिंग देखने को मिलेगी. इससे पहले मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही चंपाई सोरेन ने आईएएस अरवा राजकमल को कल्याण विभाग से हटकर अपना सचिव बनाया था. उनके पास नगर विकास विभाग समेत कई महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी दी गई थी.

खास बात है कि 28 जून को हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने के साथ ही उनके स्वागत में सभी चौक चौराहों पर तस्वीर लगाई गई थी. उनके जेल जाने से पहले 'हेमंत है तो हिम्मत है' का नारा दिया गया था. जेल जाने पर 'जेल का ताला टूटेगा, हेमंत सोरेन छूटेगा' का नारा चला था. अब " साजिशों के खेल का हुआ अंत, आ गया अपना हेमंत " का नारा चल रहा है. जेल से बाहर आते ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी साफ कर दिया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को सबक सिखाया जाएगा. लिहाजा, झारखंड का राजनीतिक समीकरण बदल गया है.

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