लखनऊ : केजीएमयू के ब्राउन हाल में शुक्रवार को विश्व रक्तदाता दिवस के मौके पर एक सेमिनार हुआ. जिसमें विभिन्न रक्तदाताओं को सम्मानित किया गया. इस दौरान उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी मौजूद रहीं.
इस दौरान उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत उनको भी शामिल करना चाहिए और इसके लिए भी स्टूडेंट्स को अंक देना चाहिए. राज्यपाल ने कहा कि रक्तदान महादान है. मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पतालों की नेतृत्व में हमेशा रक्तदान शिविर आयोजित होता है. जिसमें बहुत सारे लोग आगे बढ़कर रक्तदान करते हैं. लेकिन, बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो रक्तदान करने में आगे नहीं आते हैं.
उन्होंने कहा कि 21 जून को विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा. जिन जगहों पर योगा होगा उन जगहों पर हजारों की संख्या में लोग मौजूद होंगे. उन्हीं जगहों पर रक्तदान शिविर आयोजित होगा. अधिक से अधिक लोग रक्तदान करने के लिए प्रेरित होंगे. केजीएमयू को यह निर्धारित करना होगा कि लक्ष्य रखना होगा. उस लक्ष्य के अनुरूप प्रदेश अन्य जिलों में जाकर ब्लड डोनेशन कैंप लगाए और लोगों को ब्लड डोनेट करने के लिए जागरूक करें. साथ ही युवाओं को प्रेरित करें.
विशिष्ट अतिथि चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य एवं परिवार के संसदीय कार्य राज्य मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने कहा कि 'रक्तदाता से सीखना चाहिए जो हर तीन महीने में रक्तदान करते हैं.' चिकित्सा शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा कि स्वैच्छिक रक्तदान एक सुरक्षित रक्तदान है. जो व्यक्ति रक्तदान करता है उसके सेहत के लिए काफी फायदेमंद है. 1991 में पहली बार ब्लड डोनेट किया था. रक्त इसलिए भी करना चाहिए ताकि किसी जरूरतमंद व्यक्ति की मदद हो सकें. वर्ष 2022-23 में 48 प्रतिशत उत्तर प्रदेश में रक्तदान हुआ था.
कई बार रक्तदान कर दिया राष्ट्रहित में योगदान : कई बार ऐसा होता है कि किसी अपने की जान सिर्फ इसलिए चली जाती है कि मरीज को समय पर ब्लड नहीं उपलब्ध हो पता है. कोविड के बाद एक ऐसा समय आया था, जब ब्लड बैंक में ब्लड की कमी थी. हालांकि, अब ऐसी स्थिति नहीं है. अधिक से अधिक संख्या में लोग रक्तदान करने के लिए आगे आते हैं. बहुत से ऐसे रक्तदाता है, जो हर दो महीने पर रक्तदान कर किसी न किसी की जान बचाते हैं.
67 बार रक्तदान किया : लखनऊ के मनीष अग्रवाल जो पेशे से एक व्यापारी है. उन्होंने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि अब तक मैंने 67 बार रक्तदान किया है. 2003 से लगातार वह रक्तदान करते आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस रक्तदान नहीं. बल्कि, इसे मैं रक्त सेवा बोलता हूं. क्योंकि, मानव शरीर से ही मानव की उत्पत्ति होती है रक्त ऐसी चीज है, जो किसी पेड़ पर नहीं उगता कहीं बाजार में नहीं बनता इसलिए जरूरी है कि समय-समय पर रक्तदान कर दूसरों की मदद करनी चाहिए कैलेंडर पर मैं हमेशा एक गोल बनाकर रखता हूं जैसे ही तीन महीना पूरे होंगे. कोई काम हो या न हो रक्तदान के लिए किसी भी नजदीकी ब्लड बैंक में जाकर रक्तदान करता हूं.
26 बार डोनेट कर चुका हूं ब्लड : उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में उप निरीक्षक के पद पर तैनात जितेंद्र सिंह ने बताया कि 1995 में पहली बार पीजीआई में ब्लड डोनेट किया था. अब तक मैं 26 बार ब्लड डोनेट कर चुका हूं. भविष्य में भी करता रहूंगा. वह मैंने अपने छोटे भाई के लिए किया था. फिर उसके बाद से ब्लड डोनेट करने का सिलसिला शुरू हुआ. उसके बाद मुझे महसूस हुआ कि समय-समय पर रक्तदान करते रहना चाहिए. उसके बाद से मैं और भी लोगों को जागरूक करता हूं कि वह ब्लड डोनेट करने के लिए आगे आए.
केजीएमयू के ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्र ने बताया कि ब्लड डोनेट करने से कमजोरी आ जाएगी यह सबसे बड़ी भ्रांति है. इसलिए जरूरी है कि लोगों के मन से यह डर दूर हो ब्लड डोनेट करने से शरीर की पुरानी रक्त कोशिकाएं जाती हैं. और नई कोशिकाएं बनती हैं जो अधिक ताकतवर होती है. इसके अलावा ब्लड डोनेट करने में कोई भी दर्द नहीं होता है. लोगों को यह डर सताता है कि ब्लड डोनेट करने में दर्द होता है कोई संक्रमण हो सकता है. यह एक मिथ्या बात है.
इन बीमारियों की होती है जांच : डॉ. तूलिका चंद्र ने बताया कि जब भी कोई व्यक्ति ब्लड डोनेट करने के लिए आता है तो ब्लड डोनेट के बाद लैब में उसे डोनेट ब्लड की जांच होती है. जिनमें कुछ प्रमुख बीमारियों की जांच आवश्यक तौर से होती है. इसमें एचआईवी, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, मलेरिया, सिफलिस, ब्लड ग्रुपिंग, एंटीबॉडी स्क्रीनिंग, हीमोग्लोबिन डायबीटीज, हाई ब्लड प्रेशर, ब्लड सिरोसिस इत्यादि जांच होती है.
हिंदुस्तान में सबसे अधिक केजीएमयू में होता ब्लड डोनेशन : डॉ. तूलिका चंद्र ने बताया कि हर महीने साढ़े छह से सात हजार यूनिट ब्लड डोनेशन हो रहे हैं. जो पूरे हिंदुस्तान में सबसे अधिक है. इस समय गर्मी के दिनों में भी लोग पीछे नहीं है रहे हैं जब कभी ब्लड डोनेशन कैंप लगता है तो वह ब्लड डोनेट करने के लिए कैंप में आते हैं. बहुत से ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने 50 से अधिक बार ब्लड डोनेट किया है. एक स्वास्थ्य व्यक्ति हर तीन महीने पर ब्लड डोनेट कर सकता है.
थीम पर मनाया गया विश्व रक्तदाता दिवस : उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग में शुक्रवार को कुलपति प्रो. डॉ प्रभात कुमार ने रक्तदान शिविर का उद्घाटन किया और इस अवसर पर उन्होंने कहा कि रक्तदान करना हम सबकी एक सामाजिक जिम्मेदारी है जिससे लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है. इसीलिए इस दिन मैं सभी सहयोगी संस्थाओं को धन्यवाद कहना चाहता हूं, जिन्होंने बढ़-चढ़कर रक्तदान किया. रक्तदान शिविर में 23 लोगों ने रक्तदान किया.
ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ आदित्य शिवहरे ने बताया कि विश्व रक्तदाता दिवस की 20वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है. इस वर्ष रक्तदान दिवस की थीम '20 ईयर आफ सेलिब्रेटिंग गिविंग थैंक यू ब्लड डोनर्स' है. इस दिवस को मनाने का प्रमुख उद्देश्य है युवा लोगों और आम जनता के बीच नियमित रक्तदान की संस्कृति को बढ़ावा दिया जाए, जिससे स्वैच्छिक रक्तदान के लिए लोग आगे आएं. उन्होंने बताया कि ब्लड बैंक द्वारा मार्च 2023 से अप्रैल 2024 तक लगभग एक हजार यूनिट रक्त (विदाउट एक्सचेंज) जरूरतमंदों को दिया गया. ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग के डॉ यतेंद्र ने बताया कि विभिन्न सहयोगी संस्थाएं जो समय-समय पर रक्तदान शिविर आयोजित कर रक्तदान करवाती हैं उनको आज कुलपति द्वारा सम्मानित किया गया.