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इंद्रेश कुमार बोले- देश में यूसीसी जरूरी, इससे किसी को कोई खतरा नहीं, पाकिस्तान पर कही ये बात

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 7, 2024, 10:40 PM IST

जयपुर में आयोजित हुई 'एक देश एक कानून' विषय पर संगोष्ठी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य इंद्रेश कुमार ने पाकिस्तान और यूसीसी समेत कई मुद्दों पर अपनी राय रखी. इस दैरान उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि यूसीसी को लेकर राजस्थान में प्रयास हो रहे हैं.

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'एक देश एक कानून' विषय पर हुई संगोष्ठी.

जयपुर. पाथेय भवन में राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच की ओर से आयोजित 'एक देश एक कानून' विषय पर हुई संगोष्ठी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा कि आज देश में ये स्थिति नहीं है कि विशेष धर्म के वोट नहीं, तो राज नहीं कर सकते. 2014 में भी किया, 2019 में किया. दो बार उत्तर प्रदेश में रिपीट किया और फिर हिंदुस्तान में रिपीट करेंगे. स्टेट जीत करके आए हैं, सेंट्रल तो 100 फीसदी जीतना ही है. आज भारत हिप्पोक्रेसी से भी मुक्त है और वोट बैंक की राजनीति से भी मुक्त है. उन्होंने कहा कि अब तो देश के मुसलमानों को भी लग रहा है कि 10 साल उनको भड़काया गया.

पाकिस्तान टूट रहा हैः पाकिस्तान के हालात के बारे में बोलते हुए इंद्रेश कुमार ने कहा कि पाकिस्तान टूट रहा है, हो सकता है आपके जीवन में आपकी आंखों के सामने ये हो भी जाए. हो सकता है जयपुर के लोग लाहौर में जाकर एक दुकान खोल लें. पाकिस्तान 1947 से पहले नहीं था और आज नहीं रहा तो कोई बड़ी बात नहीं. जो गलती हुई थी, वो सुधर जाएगी. इस देश के हर नागरिक के लिए एक ही वाक्य है, हम हिंदुस्तानी, भारतीय, इंडियन, हिंदू, हिंदी, आर्य थे, हैं और रहेंगे.

इसे भी पढ़ें-उत्तराखंड के बाद राजस्थान में यूसीसी होगा लागू! भाजपा नेता और मंत्रियों ने जताई मंशा

इंद्रेश कुमार ने कहा कि भारत के विभाजन में अंग्रेजों से वार्ता के लिए जब जिन्ना और पंडित नेहरू भेजे गए, तो सामने आया कि एकता और अखंडता दोनों का विभाजन हो गया. लोगों का मानना है कि अगर वहां पर उस समय महर्षि अरविंद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, मौलाना आजाद या फिर डॉ. बाबा साहब अंबेडकर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी में से कोई भेजे जाते, तो फिर अंग्रेज चयन नहीं करता. भारत के स्वतंत्रता संग्राम वाले इसका चयन करते और अंग्रेजों को बोरिया बिस्तर बांधकर जाना पड़ता. संभव है कि भारत का विभाजन नहीं होता.

यूसीसी का महत्व बतायाः यूसीसी की महत्ता को समझाते हुए उन्होंने कहा कि "यूनिफॉर्म सिविल कोड एक देश, एक संविधान, एक झंडा, एक नागरिकता, एक राष्ट्रगान, एक कानून इसलिए जरूरी है, क्योंकि हम एक देश हैं और एक देश बने रहें. ये कानून किसी की भी धार्मिक स्वतंत्रता, जातीय स्वतंत्रता और तौर तरीकों में दखल नहीं देता है. ये हर एक के धर्म, जाति, अभिमान की सुरक्षा का गारंटर है ताकि दूसरा कोई दखल न दे सके. जिसको जिस ढंग से पूजा करनी है और पूजा घर बनाना है वो बना सकता है और अपना 'वे ऑफ वरशिप' अडॉप्ट कर सकता है. कोई भी अपनी ताकत और संख्या के नाम पर दूसरे का शोषण न करे, चाहे छुआछूत के रूप में जातीय शोषण हो, दंगे के रूप में चाहे मजहबी शोषण हो, चाहे नारी के रूप में जेंडर शोषण हो. गरीब और पिछड़े को भी शोषण से मुक्ति का नाम ही यूसीसी है. इसलिए जो लोग गलतफहमियां पैदा कर रहे हैं, वह लोग गलत हैं, उन्हें ये गलतफहमियां पैदा नहीं करनी चाहिए."

इसे भी पढ़ें-आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत बोले- दुनिया को धर्म की राह दिखाता है भारत, विश्व में कई दुष्ट, उनसे घबराना नहीं है

इंद्रेश कुमार ने यूसीसी लागू होने में लगने वाले समय को लेकर कहा कि "ये एक सेंसिटिव मामला है. भारत सर्वाधिक जातियों-उप जातीय, भाषा-बोलियां, पंथों-उपपंथों का देश है. दुनिया में जितने भी रिलिजन हैं, उन सबको मानने वाले लोग यहां पर हैं, इसलिए सबके बीच में समन्वय बैठाते हुए किसी पर जबरदस्ती न करते हुए बिल को लाना और कानून में बदलने के लिए उतना समय लगना आवश्यक था, जो केंद्र सरकार और राज्य सरकारें ले रही हैं. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के एक्सपीरियंस से सामने आया कि यहां नो प्रॉब्लम तो धीरे-धीरे समझ में आ रहा है कि बांटने वाले इसमें शामिल नहीं होंगे. इसलिए ये धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है. राजस्थान में भी इस तरह की आवाज आई है, क्योंकि धीरे-धीरे देश के सभी प्रांत सभी दल भी समझेंगे. बांटने भड़काने और लड़वाने का काम सभी रोकेंगे और एक ऐसा वातावरण बनेगा, जैसे 370 हटाने पर घर-घर तिरंगा लहराया. इसी तरह राम मंदिर के निर्णय के बाद देश में शांति बनी रही, ऐसे ही कल यूसीसी और सीएए जब आएगा तो देश में शांति होगी, सद्भाव होगा.

उन्होंने कहा कि यूसीसी कहती है कि महिलाओं का समान सम्मान होना चाहिए. सोसायटी को पॉलिटिकल कैंसर से मुक्त करने से यूसीसी को लेकर कोई प्रॉब्लम नहीं आएगा और उसमें ये गारंटी देना कि किसी के भी इंडिविजुअल राइट और ड्यूटीज पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. किसी की भी पर्सनल रिलिजियस, कास्ट, लैंग्वेज, आइडेंटिटी को कोई खतरा यूसीसी से नहीं है. उसकी फुल फ्रीडम और फुल रिस्पेक्ट है. उन्होंने कहा कि योगी ने पहले अपने अखाड़ों से लाउडस्पीकर बंद करवाए, फिर मस्जिदों से बंद करवाया.

इसे भी पढ़ें-भाजपा सरकार आने के बाद एक भी पेपर लीक नहीं हुआ, डोटासरा अपनी ढपली बजाते रहते हैं - प्रेमचंद बैरवा

ज्ञानवापी को लेकर कही ये बातः इंद्रेश कुमार ने ज्ञानवापी के मुद्दे पर कहा कि ज्ञानवापी को लेकर दोनों पार्टियों 31 वर्षों से कोर्ट में लड़ रही थी. संवाद से फैसला नहीं हो रहा था, इसलिए कोर्ट से फैसला आ गया. अब वहां का फैसला पसंद नहीं आए तो ऊपर जाओ, वहां से और ऊपर चले जाओ, नहीं तो मान लो.

डिप्टी सीएम बैरवा बोले, यूसीसी की तैयारी होनी चाहिएः प्रदेश के उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि "यूसीसी लागू करने की निश्चित रूप से तैयारी होनी चाहिए और जब एक देश एक कानून है तो फिर उसमें भेद किस बात का. इसलिए निश्चित रूप से इसमें प्रयास हो रहा है. उन्होंने कहा कि यूसीसी की जरूरत सबके लिए है. अपोजिशन जो भी कह रही है, वो अपने लिए कह रही है. बीजेपी को पूरे राजस्थान और हिंदुस्तान के लिए काम करना है. उन्होंने बताया कि मुख्य बजट जुलाई में आएगा, अभी लेखानुदान है. निश्चित रूप से राजस्थान की जनता के हित में आएगा.

'एक देश एक कानून' विषय पर हुई संगोष्ठी.

जयपुर. पाथेय भवन में राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच की ओर से आयोजित 'एक देश एक कानून' विषय पर हुई संगोष्ठी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा कि आज देश में ये स्थिति नहीं है कि विशेष धर्म के वोट नहीं, तो राज नहीं कर सकते. 2014 में भी किया, 2019 में किया. दो बार उत्तर प्रदेश में रिपीट किया और फिर हिंदुस्तान में रिपीट करेंगे. स्टेट जीत करके आए हैं, सेंट्रल तो 100 फीसदी जीतना ही है. आज भारत हिप्पोक्रेसी से भी मुक्त है और वोट बैंक की राजनीति से भी मुक्त है. उन्होंने कहा कि अब तो देश के मुसलमानों को भी लग रहा है कि 10 साल उनको भड़काया गया.

पाकिस्तान टूट रहा हैः पाकिस्तान के हालात के बारे में बोलते हुए इंद्रेश कुमार ने कहा कि पाकिस्तान टूट रहा है, हो सकता है आपके जीवन में आपकी आंखों के सामने ये हो भी जाए. हो सकता है जयपुर के लोग लाहौर में जाकर एक दुकान खोल लें. पाकिस्तान 1947 से पहले नहीं था और आज नहीं रहा तो कोई बड़ी बात नहीं. जो गलती हुई थी, वो सुधर जाएगी. इस देश के हर नागरिक के लिए एक ही वाक्य है, हम हिंदुस्तानी, भारतीय, इंडियन, हिंदू, हिंदी, आर्य थे, हैं और रहेंगे.

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इंद्रेश कुमार ने कहा कि भारत के विभाजन में अंग्रेजों से वार्ता के लिए जब जिन्ना और पंडित नेहरू भेजे गए, तो सामने आया कि एकता और अखंडता दोनों का विभाजन हो गया. लोगों का मानना है कि अगर वहां पर उस समय महर्षि अरविंद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, मौलाना आजाद या फिर डॉ. बाबा साहब अंबेडकर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी में से कोई भेजे जाते, तो फिर अंग्रेज चयन नहीं करता. भारत के स्वतंत्रता संग्राम वाले इसका चयन करते और अंग्रेजों को बोरिया बिस्तर बांधकर जाना पड़ता. संभव है कि भारत का विभाजन नहीं होता.

यूसीसी का महत्व बतायाः यूसीसी की महत्ता को समझाते हुए उन्होंने कहा कि "यूनिफॉर्म सिविल कोड एक देश, एक संविधान, एक झंडा, एक नागरिकता, एक राष्ट्रगान, एक कानून इसलिए जरूरी है, क्योंकि हम एक देश हैं और एक देश बने रहें. ये कानून किसी की भी धार्मिक स्वतंत्रता, जातीय स्वतंत्रता और तौर तरीकों में दखल नहीं देता है. ये हर एक के धर्म, जाति, अभिमान की सुरक्षा का गारंटर है ताकि दूसरा कोई दखल न दे सके. जिसको जिस ढंग से पूजा करनी है और पूजा घर बनाना है वो बना सकता है और अपना 'वे ऑफ वरशिप' अडॉप्ट कर सकता है. कोई भी अपनी ताकत और संख्या के नाम पर दूसरे का शोषण न करे, चाहे छुआछूत के रूप में जातीय शोषण हो, दंगे के रूप में चाहे मजहबी शोषण हो, चाहे नारी के रूप में जेंडर शोषण हो. गरीब और पिछड़े को भी शोषण से मुक्ति का नाम ही यूसीसी है. इसलिए जो लोग गलतफहमियां पैदा कर रहे हैं, वह लोग गलत हैं, उन्हें ये गलतफहमियां पैदा नहीं करनी चाहिए."

इसे भी पढ़ें-आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत बोले- दुनिया को धर्म की राह दिखाता है भारत, विश्व में कई दुष्ट, उनसे घबराना नहीं है

इंद्रेश कुमार ने यूसीसी लागू होने में लगने वाले समय को लेकर कहा कि "ये एक सेंसिटिव मामला है. भारत सर्वाधिक जातियों-उप जातीय, भाषा-बोलियां, पंथों-उपपंथों का देश है. दुनिया में जितने भी रिलिजन हैं, उन सबको मानने वाले लोग यहां पर हैं, इसलिए सबके बीच में समन्वय बैठाते हुए किसी पर जबरदस्ती न करते हुए बिल को लाना और कानून में बदलने के लिए उतना समय लगना आवश्यक था, जो केंद्र सरकार और राज्य सरकारें ले रही हैं. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के एक्सपीरियंस से सामने आया कि यहां नो प्रॉब्लम तो धीरे-धीरे समझ में आ रहा है कि बांटने वाले इसमें शामिल नहीं होंगे. इसलिए ये धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है. राजस्थान में भी इस तरह की आवाज आई है, क्योंकि धीरे-धीरे देश के सभी प्रांत सभी दल भी समझेंगे. बांटने भड़काने और लड़वाने का काम सभी रोकेंगे और एक ऐसा वातावरण बनेगा, जैसे 370 हटाने पर घर-घर तिरंगा लहराया. इसी तरह राम मंदिर के निर्णय के बाद देश में शांति बनी रही, ऐसे ही कल यूसीसी और सीएए जब आएगा तो देश में शांति होगी, सद्भाव होगा.

उन्होंने कहा कि यूसीसी कहती है कि महिलाओं का समान सम्मान होना चाहिए. सोसायटी को पॉलिटिकल कैंसर से मुक्त करने से यूसीसी को लेकर कोई प्रॉब्लम नहीं आएगा और उसमें ये गारंटी देना कि किसी के भी इंडिविजुअल राइट और ड्यूटीज पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. किसी की भी पर्सनल रिलिजियस, कास्ट, लैंग्वेज, आइडेंटिटी को कोई खतरा यूसीसी से नहीं है. उसकी फुल फ्रीडम और फुल रिस्पेक्ट है. उन्होंने कहा कि योगी ने पहले अपने अखाड़ों से लाउडस्पीकर बंद करवाए, फिर मस्जिदों से बंद करवाया.

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ज्ञानवापी को लेकर कही ये बातः इंद्रेश कुमार ने ज्ञानवापी के मुद्दे पर कहा कि ज्ञानवापी को लेकर दोनों पार्टियों 31 वर्षों से कोर्ट में लड़ रही थी. संवाद से फैसला नहीं हो रहा था, इसलिए कोर्ट से फैसला आ गया. अब वहां का फैसला पसंद नहीं आए तो ऊपर जाओ, वहां से और ऊपर चले जाओ, नहीं तो मान लो.

डिप्टी सीएम बैरवा बोले, यूसीसी की तैयारी होनी चाहिएः प्रदेश के उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि "यूसीसी लागू करने की निश्चित रूप से तैयारी होनी चाहिए और जब एक देश एक कानून है तो फिर उसमें भेद किस बात का. इसलिए निश्चित रूप से इसमें प्रयास हो रहा है. उन्होंने कहा कि यूसीसी की जरूरत सबके लिए है. अपोजिशन जो भी कह रही है, वो अपने लिए कह रही है. बीजेपी को पूरे राजस्थान और हिंदुस्तान के लिए काम करना है. उन्होंने बताया कि मुख्य बजट जुलाई में आएगा, अभी लेखानुदान है. निश्चित रूप से राजस्थान की जनता के हित में आएगा.

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