नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: ग्रेटर नोएडा के गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 मॉडल पाठ्यक्रम और दर्शनशास्त्र में पाठ्य सामग्री को लेकर चर्चा की गई. संगोष्ठी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति की अनिवार्यता और प्रासंगिकता से भी प्रतिभागियों को अवगत कराया गया. इसके साथ ही नई प्रौद्योगिकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला गया.
29 मार्च और 30 मार्च को आयोजित इस संगोष्ठी में मॉडल पाठ्यक्रम और दर्शनशास्त्र में पाठ्य सामग्री उच्च शिक्षा के अन्य विषयों में दर्शनशास्त्र की भूमिका और प्रासंगिकता पर चर्चा हुई. संगोष्ठी के पहले दिन उद्घाटन सत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अंबेडकर मुख्य वक्ता रहे.
इस संगोष्ठी को संबोधित करते हुए सुनील अंबेडकर ने दर्शनशास्त्र और अन्य विषयों में सामग्री की उपलब्धता पर और अध्ययन सामग्री को विकसित करने की अनिवार्यता पर प्रकाश डाला. सुनील अंबेडकर ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की अनिवार्यता और प्रासंगिकता से भी प्रतिभागियों को अवगत कराया. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रविंद्र कुमार सिन्हा ने नई प्रौद्योगिकी की उपयोगिता पर प्रकाश डाला और दर्शनशास्त्र विषय की प्रासंगिकता पर अपने विचार व्यक्त किए. सामाजिक विज्ञान और अधिष्ठाता प्रोफेसर वंदना पांडे ने भी दर्शनशास्त्र विषय और अन्य विषयों के संबंध में विस्तार से चर्चा की.
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संगोष्ठी में देशभर से आए दर्शनशास्त्र के मूर्धन्य विद्वानों का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ. कार्यशाला में सुनील अंबेडकर ने कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली आध्यात्मिक वैज्ञानिक और आर्थिक विकास के साथ सहमति पूर्ण रूप से विकसित हुई है. वही विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान के राष्ट्रीय संगठन मंत्री के एन रघुनंदन ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की उच्च शिक्षा में उपयोगिता पर प्रकाश डाला. इसके साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप अन्य विषयों में दर्शनशास्त्र की उपयोगिता और प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला. उन्होंने उच्च शिक्षा को भारतीय मूल्यों के अनुरूप करने के लिए भी प्रतिभागियों से विषय सामग्री विकसित करने का आग्रह किया.
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