अजमेर: देश में नई शिक्षा नीति सन 2020 में लागू हुई थी, लेकिन विगत तीन-चार वर्षों में शिक्षा नीति पर राजस्थान में कोई काम नहीं हुआ है. यह कहना है राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी का. वे शुक्रवार को अजमेर में महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में आयोजित 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में शिक्षण संस्थानों की भूमिका' विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे. संगोष्ठी का आयोजन विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग, सिंधु शोध पीठ, छात्र कल्याण विभाग और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राजस्थान क्षेत्र के संयुक्त तत्वाधान में हुआ था.
देवनानी ने कहा कि वर्ष 2020 में देश में नई शिक्षा नीति लागू होने के बावजूद राजस्थान में तीन-चार वर्षों में कोई प्रगति नहीं हुई है. शिक्षा नीति के मूल में देश और विद्यार्थी केंद्रित हैं. उन्होंने कहा कि भारत को हम कैसा देखना चाहते है? शिक्षा नीति में इसको लेकर कई प्रावधान है. नई शिक्षा नीति के तहत विश्वविद्यालय की भूमिका क्या होनी चाहिए? इसको लेकर संगोष्ठी में विचार विमर्श किया गया. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत पहले शिक्षकों की दिशा तय होनी चाहिए. उसके बाद पाठ्यक्रम की संरचना की जाए. विद्यार्थियों में शैक्षणिक माहौल बने. देवनानी ने कहा कि नई शिक्षा नीति भारत को सिरमौर बनने वाली है. 200 सालों में अंग्रेजों के राज में भारतीयता को काटने की नीतियां चली.
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केवल नौकरी करने वाले युवा तैयार हुए: विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि आज़ादी के बाद 75 वर्षों तक केवल डिग्री और नौकरी करने वाले युवा ही तैयार कर पाए. देवनानी ने कहा कि 2047 में जब हम विकसित भारत देखना चाह रहे हैं तो नई पीढ़ी को भारतीयता के आधार पर शिक्षा दें, ताकि उनके जीवन में राष्ट्र प्रथम हो, तभी देश आगे बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर अपनी फैकल्टी और एकेडमी काउंसिल के माध्यम से आवश्यक परिवर्तन करके नई और श्रेष्ठ शिक्षा नीति को लागू करें.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक उत्कृष्ट दस्तावेज: नई दिल्ली में संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव डॉ अतुल कोठारी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एक उत्कृष्ट दस्तावेज है, जिसका उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति को बौद्धिक एवं कार्य व्यवहार की दृष्टि से भारतीय बनाना है. शिक्षा क्षेत्र में देश में इससे पूर्व जिन नीतियों को लागू किया गया, वे सामाजिक और ऐतिहासिक स्तर पर भारतीय संस्कृति का अपमान करने वाली थी. इनको वर्तमान शिक्षा नीति से बाहर कर दिया गया है और मल्टी डिसिप्लिन शिक्षण व्यवस्था को अपना कर विभिन्न विषयों के बीच आने वाले स्पीड ब्रेकर को भी तोड़ दिया है.