अलवर : जिले की महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए सरकार की ओर से राजीविका मिशन की शुरुआत की गई. इसके चलते विभिन्न संस्थाओं ने भी महिलाओं को समूह से जोड़ने का कार्य किया. आज कई संस्थाओं की मदद से महिलाएं न सिर्फ आजीविका कमा रही हैं, बल्कि घर से बाहर निकल कर अपने हुनर के दम पर प्रदेश में अपनी पहचान बना रही हैं. महिलाओं को संस्थाओं की ओर से विभिन्न उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग दिलवाई गई. अब महिलाओं के बनाए गए उत्पाद लोगों को काफी पसंद आ रहे हैं. इतना ही नहीं महिलाओं के बनाए गए उत्पाद की दिल्ली, आगरा, भरतपुर सहित अन्य जगहों से भी अच्छी डिमांड आ रही है.
गौधन में डाला जाता है तुलसी का बीज : जिले के बानसूर क्षेत्र के जागृति युवा संस्थान से जुड़ी कंचन सैनी ने बताया कि इस संस्थान से स्वयं सहायता समूह के करीब 5 हजार महिलाएं जुड़ी हुईं हैं, जो विभिन्न तरह के कार्य करती हैं. वैसे तो गौधन से कई चीजें तैयार की जाती हैं, लेकिन युवा जागृति संस्थान के साथ जुड़ी महिलाएं गौधन से विभिन्न तरह के उत्पाद तैयार करती हैं, जो लोगों को काफी आकर्षक लगते हैं. उनकी काफी डिमांड भी होती है. यहां महिलाओं की ओर से गौधन से दीपक, राधा कृष्ण, लक्ष्मी गणेश जी की मूर्ति, शुभ लाभ सहित घर के सजावटी सामान बनाए जाते हैं. उनके यहां तैयार किए हुए गौधन से उत्पाद को इस्तेमाल करने के बाद खाद के रूप में भी काम में लिया जा सकता है. गौधन में तुलसी का बीज डाला जाता है, जिससे बाद में तुलसी का पौधा भी उग जाता है. महिलाओं की ओर से बनाए गए यह सभी उत्पाद इको फ्रेंडली हैं. दिल्ली, भरतपुर, जयपुर, अलवर सहित अन्य जगहों से भी ऑर्डर आते हैं.
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दीपावली पर रहती है डिमांड, लाखों की होती है सेल : कंचन सैनी ने बताया कि गौधन से बने उत्पादों की डिमांड दीपावली के अवसर पर बढ़ जाती है. बीते वर्ष भी उन्हें लाखों रुपए के ऑर्डर मिले. गौधन से झूमर, अगरबत्ती, कान्हा जी का पालना, चप्पल सहित अन्य उत्पाद बनते हैं. इसमें कुछ खास आइटम हैं, जो महिलाओं के हुनर के बारे में भी बताते हैं कि किस तरह से महिलाओं की ओर से यह तैयार किए जाते हैं.
पोटली बैग, डॉक्यूमेंट फाइल, लैपटॉप बैग भी बनाए जाते हैं : युवा जागृति संस्थान से जुड़ी वंदना ने बताया कि इस संस्थान से जुड़कर महिलाओं को पहचान के साथ-साथ रोजगार भी मिल रहा है. इसके चलते वह अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं. पहले के समय में महिलाएं घरों तक सीमित थीं, लेकिन अब संस्थानों के साथ मिलकर अपने हुनर के दम पर महिलाएं भी पहचान बना रही हैं. उनकी संस्था की ओर से महिलाओं को ट्रेनिंग दिलवाई गई, इसके बाद से महिलाएं परिपक्व हो रही हैं. साथ ही महिलाओं को घर से बाहर निकलता देख अन्य महिलाएं भी कार्य करने के प्रति प्रेरित हो रही हैं. संस्था के साथ जुड़कर महिलाएं गलीचे, पोटली बैग, डॉक्यूमेंट फाइल, लैपटॉप बैग, बाजरे के बिस्किट सहित कई अन्य उत्पाद बना रही हैं. बैग, डॉक्यूमेंट फाइल जैसी कुछ चीज ऑफिस के लोगों की ओर से इस्तेमाल में लिए जाते हैं.
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ऑनलाइन सेल के लिए भी प्रयास कर रहे : लोक विकास शिक्षण संस्थान की सेक्रेटरी अंशु कुमारी ने बताया कि उनका संस्थान पिछले 26 वर्षों से सामाजिक सरोकार से जुड़ा हुआ है. संस्थान के माध्यम से महिलाओं को मिट्टी के आर्टिकल बनाने की ट्रेनिंग करवाई गई. इसके बाद से महिलाओं ने हाथों से विभिन्न तरह के मिट्टी के आर्टिकल्स तैयार किए. संस्थान की ओर से गांव में स्वरोजगार उत्पन्न करवाने के लिए महिलाओं को विभिन्न तरह की ट्रेनिंग समय-समय पर करवाई जाती है. उनके साथ करीब 300 स्वयं सहायता समूह जुड़े हुए हैं. हमारे साथ जुड़कर महिलाएं कार्य कर अपने लिए रोजगार के साधन पैदा कर रही हैं. वहीं, अन्य महिलाओं को भी प्रेरित कर उन्हें जोड़ने का कार्य कर रही हैं. इससे महिलाएं अपने आप को ही नहीं, बल्कि अपने परिवार व गांव को भी प्रगति की ओर ले जा रही हैं. उन्होंने बताया कि वह महिलाओं को अपने उत्पाद बेचने के लिए ऑनलाइन सेल के लिए भी प्रयास कर रहे हैं, जल्दी ही महिलाओं के उत्पाद ऑनलाइन भी सेल होंगे.
महिलाओं को भी मिल रहा परिवार का साथ : अंशु कुमारी ने बताया कि पहले के समय में महिलाओं को घरों से निकलने पर ताने सुनाने पड़ते थे, लेकिन आज महिलाएं घर से बाहर निकाल कर अपना नाम बना रही हैं. जब भी अपने परिवार के साथ बाहर निकलती है, तो लोग उन्हें अपने नाम से पहचानते हैं. इस पर उनके परिवार को भी गर्व महसूस होता है, जिसके चलते अब परिवार के लोग भी महिलाओं का साथ देने लगे हैं. इसी हौसले के चलते महिलाएं भी पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं.