जयपुर. हाईकोर्ट की फटकार के बाद आखिरकार 6 मार्च को हेरिटेज नगर निगम की साधारण सभा की बैठक होने जा रही है. तीन साल में ये दूसरी बैठक होगी. हालांकि, महापौर के नाते ये मुनेश गुर्जर की आखिरी बोर्ड बैठक हो सकती है. इसका कारण ये है कि अब तक बीजेपी के पार्षद ही उनके खिलाफ आक्रामक थे, लेकिन अब बड़ी संख्या में कांग्रेस के पार्षद भी उनके विरोध में आ खड़े हुए हैं. यदि विपक्ष मुनेश गुर्जर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाता है तो कांग्रेसी पार्षदों ने भी उसका समर्थन करने का मन बना लिया है.
कमिश्नर के पास जा पहुंचे सभी पार्षद : साल 2020 में जयपुर में हेरिटेज और ग्रेटर दो नगर निगम बनाए गए. ग्रेटर निगम में बीजेपी का बोर्ड है और वहां अब तक 6 बार साधरण सभा की बैठक हो चुकी है. वहीं, हेरिटेज निगम में कांग्रेस का बोर्ड है, लेकिन वहां अब तक केवल एक बार ही साधारण सभा में पार्षदों को अपनी बात रखने का मौका मिल पाया है. इस बार भी हेरिटेज निगम ने करीब 1100 करोड़ रुपए का बजट सरकार को सीधे भेजा गया है. ये विपक्ष के साथ ही कांग्रेस के पार्षदों को भी रास नहीं आया. यही वजह है कि बुधवार को कांग्रेस बीजेपी के बीच की खाई को पाटते हुए सभी पार्षद कमिश्नर के पास जा पहुंचे और बोर्ड बैठक में ही बजट को पास करने के बाद सरकार को भेजने की अपील की.
इस बोर्ड को भंग कर देना चाहिए : कांग्रेस पार्षद दशरथ सिंह ने बताया कि जब से बोर्ड इलेक्ट हुआ है, तब से एक बार साधारण सभा की बैठक हुई है. कभी किसी पार्षद से प्रस्ताव नहीं लिया गया. इससे बेहतर तो इस बोर्ड को भंग कर देना चाहिए. बिना बात करोड़ों रुपए गाड़ी और इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च हो रहा है. स्वच्छ सर्वेक्षण में भी जयपुर की रैंक गिर गई. ऐसे में इस बोर्ड को भंग करके वापस से कार्य प्रणाली प्रशासक को दे देनी चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि पार्षदों को इंवॉल्व भी नहीं किया जाता, जबकि जनता को जवाब पार्षदों को ही देना होता है.
बजट पर चर्चा करने का हक : कांग्रेस पार्षद ज्योति चौहान ने कहा कि 2022-23 में 879 करोड़ और फिर 2023-24 में 1082 करोड़ रुपए का बजट भी सीधे सरकार को भेजा गया था. इस बार भी इसी तरह बजट सीधे सरकार को भेज दिया, जबकि पार्षदों को जनता के मुद्दे उठाते हुए बजट पर चर्चा करने का हक है. ऐसे में उनसे सलाह-मशवरा जरूर होना चाहिए. उनका तो ये मानना है कि एसीबी प्रकरण में दो बार सस्पेंड होने के बाद नैतिकता के आधार पर मुनेश गुर्जर को खुद ही इस्तीफा दे देना चाहिए था. कांग्रेस पार्षद उत्तम शर्मा ने कहा कि विकास के मुद्दे पर वो कांग्रेस-बीजेपी नहीं करेंगे. केंद्र में बीजेपी की सरकार है, राज्य में बीजेपी की सरकार है, तो यहां पर भी ट्रिपल इंजन की सरकार बनाओ. कम से कम विकास तो हो. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर विश्वास प्रस्ताव आएगा तो विकास के मुद्दे पर वो विपक्ष का साथ देंगे.
पार्षदों के कोई काम नहीं हुए: विपक्ष में बैठे बीजेपी के पार्षद विमल अग्रवाल ने महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की ओर इशारा करते हुए कहा कि यदि संगठन आदेश देगा तो अविश्वास प्रस्ताव तो तैयार है. कांग्रेस के पार्षद भी साथ में हैं. हेरिटेज निगम के पिछले 3 साल जिस तरह बीते हैं, उसमें पार्षदों के कोई काम नहीं हुए. बजट भी सरकार को भेज दिया, इसके बाद कौन सी मद में कितना पैसा खर्च हो रहा है, ये पार्षदों को ही नहीं पता. लोकसभा में चर्चा होती है, विधानसभा में चर्चा होती है तो नगर निगम में पार्षदों के साथ चर्चा क्यों नहीं हो सकती?
कांग्रेसी पार्षदों को भी मेयर ने परेशान किया: बीजेपी की ओर से मेयर की प्रत्याशी रहीं वरिष्ठ पार्षद कुसुम यादव ने कहा कि आज बीजेपी की सरकार आने के बाद साधारण सभा होने वाली है, लेकिन अधिकारी और मेयर ने चालाकी से बजट सीधा राज्य सरकार को भेज दिया. महापौर पार्षदों का सामना करने से डरतीं हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेसी पार्षदों को भी मेयर ने परेशान किया है, जमकर भ्रष्टाचार किए हैं. दो बार कांग्रेस सरकार में ही मुनेश गुर्जर को पद से हटाया. बावजूद इसके नैतिकता के आधार पर उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया. अब जल्द ही ऐसा फैसला आएगा, जिससे जयपुर की जनता और सभी पार्षद खुश होंगे.
बता दें कि नगर पालिका अधिनियम के तहत एक वर्ष में 6 बार साधारण सभा की बैठक बुलानी होती है. हेरिटेज निगम में बीते तीन वर्ष में महज एक साधारण सभा की बैठक ही हुई है. उसमें भी बीजेपी पार्षदों ने वॉक आउट कर दिया था. अब हेरिटेज नगर निगम की साधारण सभा की बैठक को लेकर सारी तैयारी है, लेकिन ये बैठक महापौर के नाते मुनेश गुर्जर की आखिरी बैठक न हो, उसे देखते हुए मुनेश गुर्जर को डैमेज कंट्रोल के लिए जुटना होगा.