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जशपुर में अवैध रूप से हॉस्टल का संचालन, एसडीएम ने की कार्रवाई - action on Illegal hostel in Jashpur

जशपुर में अवैध रूप से हॉस्टल का संचालन किया जा रहा था. जानकारी के बाद एसडीएम ने कार्रवाई की. एसडीएम ने बच्चों को शासकीय छात्रावास में शिफ्ट किया. साथ ही जो बच्चे अस्वस्थ पाए गए उनको जिला अस्पताल इलाज के लिए भेजा.

SDM action on Illegal hostel in Jashpur
जशपुर में अवैध रूप से हॉस्टल का संचालन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 10, 2024, 9:42 PM IST

जशपुर एसडीएम ने की कार्रवाई (ETV BHARAT)

जशपुर: जशपुर में जिला प्रशासन ने शनिवार को बड़ी कार्रवाई की है. यहां अवैध तरीके से संचालित छात्रावास को आज खाली करवाया गया. जानकारी के मुताबिक अवैध तरीके से संचालित छात्रावास में छोटे-छोटे बच्चों थे. इस हॉस्टल को संचालित करने की ना प्रशासन से अनुमति थी और ना ही कोई इंतजाम. फिलहाल जिला प्रशासन ने अवैध रूप से संचालित हॉस्टल को बंद करवा दिया है. साथ ही बच्चों को शासकीय छात्रावास शिफ्ट कर दिया है.

जानिए क्या है पूरा मामला: दअरसल, जशपुर एसडीएम प्रशांत कुशवाहा शहर के दीपू बगीचा में बने भवन का आकस्मिक निरीक्षण करने पहुंचे. इस दौरान उन्हें पता चला कि यहां पर नियम के खिलाफ हॉस्टल संचालित किया जा रहा है. इसके बाद उन्होंने त्वरित कार्रवाई की. यहां पर रह रहे बच्चों का रेस्क्यू कर शासकीय छात्रावास पहुंचाया गया. एसडीएम की उपस्थिति में छात्रावास भवन को लॉक कर चाबी नगर पालिका अधिकारी को सौंपी गई.

जांच के दौरान पाई गई बदइंतजामी: एसडीएम ने कार्रवाई के दौरान समाज प्रमुखों की मांग पर पूजा-पाठ के लिए चाबी दिए जाने के निर्देश दिए. इस दौरान एसडीएम ने संस्कृति कला केंद्र की जांच में पाया कि यहां पर संस्कृति कला केंद्र और राजी पड़हा नाम से दो भवन निर्मित है, उस भवन में महामानव कार्तिक उरांव विद्यालय राजी पड़हा टिकैटगंज में संचालित स्कूल के बच्चों को हॉस्टल के रूप में संचालित किया जा रहा है. हॉस्टल संचालन के लिए किसी तरह की अनुमति नहीं ली गई थी. जांच के दौरान हॉस्टल में कई तरह की अनियमितताएं भी पाई गई.

अस्वस्थ बच्चों को भेजा गया जिला अस्पताल: कार्रवाई के दौरान एसडीएम की जांच टीम ने पाया कि छात्रावास में 29 बच्चे रह रहे हैं. अभी 27 बच्चे वहां पर मौजूद थे, जिनकी उम्र लगभग 3 वर्ष से लेकर 14 वर्ष तक है. जांच के दौरान यह भी पाया गया कि इसमें से 3 बच्चे का स्वास्थ्य ठीक नहीं था. इस पर जिला प्रशासन की टीम ने त्वरित कार्रवाई की. साथ ही बेहतर इलाज के लिए जिला अस्पताल भेज दिया. फिलहाल अस्वस्थ बच्चों का इलाज चल रहा है. एसडीएम ने बच्चों के बेहतर इलाज के लिए अस्पताल प्रबंधन को निर्देश भी दिए हैं. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की चिरायु की टीम की ओर से बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया. जांच में 15 बच्चे कुपोषित और एक बालिका एनिमिक पाई गई.

निरीक्षण के दौरान पाया गया कि छात्रावास के संचालकों ने नगर पालिका से परमिशन भी नहीं लिया था. यहां पर बालक-बालिकाओं को एक ही कमरे में रखा गया था. संस्था में एक अनाथ बच्चा भी मिला. जांच में पाया गया कि संचालन के संबंध में किसी भी विभाग से अनुमति नहीं ली गई है. छात्रावास में बच्चों को परोसे जाने वाले भोजन के लिए मीनू चार्ट भी नहीं था. इसके साथ ही संचालक को किस उम्र के बच्चो को क्या पोषण दिया जाना है, उसकी भी जानकारी नहीं है. इसके अलावा छात्रावास में स्वास्थ्य परीक्षण भी नहीं किया जाता है. -प्रशांत कुशवाहा, SDM जशपुर

बच्चों को नहीं मिल रहा शासकीय योजनाओं का लाभ:बता दें कि कार्रवाई के दौरान पाया गया कि छात्रावास में शासन से मिलने वाली योजनाओं का लाभ भी बच्चों को नहीं दिया जा रहा था. साफ-सफाई की भी व्यवस्था नहीं थी. बच्चों का नियमित रूप से टीकाकरण भी नहीं किया जा रहा है. न ही पंजी का संधारण किया गया है. छात्रावास में पानी की पर्याप्त व्यवस्था भी नहीं है. सार्वजनिक नल के पानी का उपयोग किया जाता है. इसके अलावा छात्रावास में फायर सेफ्टी की भी व्यवस्था नहीं है. यहां पर सुरक्षा संबंधी भी कोई व्यवस्था नहीं है. जांच के दौरान स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, पुलिस विभाग, नगर पालिका, श्रम विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग एवं समाज के पदाधिकारी मौजूद रहे.

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जानिए क्या है पूरा मामला: दअरसल, जशपुर एसडीएम प्रशांत कुशवाहा शहर के दीपू बगीचा में बने भवन का आकस्मिक निरीक्षण करने पहुंचे. इस दौरान उन्हें पता चला कि यहां पर नियम के खिलाफ हॉस्टल संचालित किया जा रहा है. इसके बाद उन्होंने त्वरित कार्रवाई की. यहां पर रह रहे बच्चों का रेस्क्यू कर शासकीय छात्रावास पहुंचाया गया. एसडीएम की उपस्थिति में छात्रावास भवन को लॉक कर चाबी नगर पालिका अधिकारी को सौंपी गई.

जांच के दौरान पाई गई बदइंतजामी: एसडीएम ने कार्रवाई के दौरान समाज प्रमुखों की मांग पर पूजा-पाठ के लिए चाबी दिए जाने के निर्देश दिए. इस दौरान एसडीएम ने संस्कृति कला केंद्र की जांच में पाया कि यहां पर संस्कृति कला केंद्र और राजी पड़हा नाम से दो भवन निर्मित है, उस भवन में महामानव कार्तिक उरांव विद्यालय राजी पड़हा टिकैटगंज में संचालित स्कूल के बच्चों को हॉस्टल के रूप में संचालित किया जा रहा है. हॉस्टल संचालन के लिए किसी तरह की अनुमति नहीं ली गई थी. जांच के दौरान हॉस्टल में कई तरह की अनियमितताएं भी पाई गई.

अस्वस्थ बच्चों को भेजा गया जिला अस्पताल: कार्रवाई के दौरान एसडीएम की जांच टीम ने पाया कि छात्रावास में 29 बच्चे रह रहे हैं. अभी 27 बच्चे वहां पर मौजूद थे, जिनकी उम्र लगभग 3 वर्ष से लेकर 14 वर्ष तक है. जांच के दौरान यह भी पाया गया कि इसमें से 3 बच्चे का स्वास्थ्य ठीक नहीं था. इस पर जिला प्रशासन की टीम ने त्वरित कार्रवाई की. साथ ही बेहतर इलाज के लिए जिला अस्पताल भेज दिया. फिलहाल अस्वस्थ बच्चों का इलाज चल रहा है. एसडीएम ने बच्चों के बेहतर इलाज के लिए अस्पताल प्रबंधन को निर्देश भी दिए हैं. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की चिरायु की टीम की ओर से बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया. जांच में 15 बच्चे कुपोषित और एक बालिका एनिमिक पाई गई.

निरीक्षण के दौरान पाया गया कि छात्रावास के संचालकों ने नगर पालिका से परमिशन भी नहीं लिया था. यहां पर बालक-बालिकाओं को एक ही कमरे में रखा गया था. संस्था में एक अनाथ बच्चा भी मिला. जांच में पाया गया कि संचालन के संबंध में किसी भी विभाग से अनुमति नहीं ली गई है. छात्रावास में बच्चों को परोसे जाने वाले भोजन के लिए मीनू चार्ट भी नहीं था. इसके साथ ही संचालक को किस उम्र के बच्चो को क्या पोषण दिया जाना है, उसकी भी जानकारी नहीं है. इसके अलावा छात्रावास में स्वास्थ्य परीक्षण भी नहीं किया जाता है. -प्रशांत कुशवाहा, SDM जशपुर

बच्चों को नहीं मिल रहा शासकीय योजनाओं का लाभ:बता दें कि कार्रवाई के दौरान पाया गया कि छात्रावास में शासन से मिलने वाली योजनाओं का लाभ भी बच्चों को नहीं दिया जा रहा था. साफ-सफाई की भी व्यवस्था नहीं थी. बच्चों का नियमित रूप से टीकाकरण भी नहीं किया जा रहा है. न ही पंजी का संधारण किया गया है. छात्रावास में पानी की पर्याप्त व्यवस्था भी नहीं है. सार्वजनिक नल के पानी का उपयोग किया जाता है. इसके अलावा छात्रावास में फायर सेफ्टी की भी व्यवस्था नहीं है. यहां पर सुरक्षा संबंधी भी कोई व्यवस्था नहीं है. जांच के दौरान स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, पुलिस विभाग, नगर पालिका, श्रम विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग एवं समाज के पदाधिकारी मौजूद रहे.

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