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100 करोड़ घोटाले का मामला: एसीबी ने मांगी दो अधिकारियों पर कार्रवाई की मंजूरी, विदेश भागने की फिराक में थे आरोपी - सहकारिता विभाग में घोटाला

Scam In Cooperative Department: हरियाणा सहकारिता विभाग में 100 करोड़ रुपये के घोटाले में एंटी करप्शन ब्यूरो ने नोडल अधिकारी नरेश गोयल समेत एक अन्य गजेटेड अधिकारी पर कार्रवाई करने की तैयारी कर ली है.

Scam In Cooperative Department
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Feb 4, 2024, 5:05 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा सहकारिता विभाग में 100 करोड़ रुपये के घोटाले में एसीबी की नजर अब प्रोजेक्ट के नोडल अधिकारी नरेश गोयल समेत एक अन्य गजेटेड अधिकारी तत्कालीन असिस्टेंट रजिस्ट्रार पर है. जांच टीम ने प्रदेश सरकार से इन आरोपियों पर केस दर्ज करने की मंजूरी मांगी है. इस संबंधी फाइल फिलहाल चीफ सेक्रेटरी, हरियाणा के टेबल पर मौजूद है.

सरकार से मंजूरी मिलते ही इन आरोपियों पर भी कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी. इस घोटाले के मुख्य आरोपियों में तत्कालीन ICDP रेवाड़ी, महाप्रबंधक एवं अब सहायक रजिस्टर सहकारी समितियां अनु कौशिक समेत आरोपी स्टालिन जीत बैनब्रिज कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, बैंटम ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड, बैंटम इंडिया लिमिटेड, लोडलिंक सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड और लेबे इंडिया लिमिटेड के निदेशक शामिल हैं.

विदेश भागने की फिराक में थे आरोपी: एसीपी की जांच में पता लगा कि ये आरोपी सरकारी धन को बटोरकर विदेश भागने की फिराक में थे, लेकिन इससे पहले ही जांच टीम को उनकी भनक लग गई.

ACB की FIR में खुलासा: 2023 में गुरुग्राम में दर्ज एफआईआर नंबर-21 के तहत राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) ने रेवाड़ी में प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (PACS) के विकास के लिए ICDP के तहत धन स्वीकृत किया था. 2017-18 से 2020-21 तक राज्य सरकार के माध्यम से 22.15 करोड़ की ग्रांट प्राप्त हुई. इसमें से 15.67 करोड़ रुपए खर्च किए गए, लेकिन जिन फर्मों को नियमों का उल्लंघन कर काम पर रखा गया, उन्होंने अनु कौशिक और उसके पारिवारिक सदस्यों को रिश्वत दी. जांच में सामने आया कि ICDP रेवाड़ी 31 मार्च, 2022 तक संचालित थी और 26 जुलाई 2022 को बैनब्रिज कंस्ट्रक्शन को निर्माण कार्यों के लिए 25 लाख रुपए का भुगतान किया गया. बैंटम इंडिया को कंप्यूटर, इंटरनेट मॉडम और प्रिंटर की खरीद के लिए 46.10 लाख रुपए का भुगतान किया गया.

यहां दिखाया फर्जी भुगतान: फर्म पैक्स के सदस्यों को प्रशिक्षण देने के लिए 32.13 लाख रुपए का भुगतान दिखाया गया. जबकि असल में ये सारा भुगतान फर्जी बिलों के आधार पर किया गया. इसके अलावा पैक्स के लिए सीसीटीवी कैमरे और लैपटॉप के लिए लेबे इंडिया को 24.82 लाख रुपए का भुगतान किया गया था. लोडलिंक सिस्टम को कंप्यूटर और प्रिंटर के लिए 10.97 लाख रुपए मिले. कुल मिलाकर बैंटम इंडिया, लेबे इंडिया, लोडलिंक सिस्टम और बैनब्रिज कंस्ट्रक्शन से उनके बैंक खातों में 55.30 लाख रुपए मिले.

बिना मंजूरी फर्म को 15 लाख दिए: घोटाले के लिए विजय सिंह को नियमों का उल्लंघन कर विकास अधिकारी नियुक्त कर उनकी फर्म सरल कोऑपरेटिव को 15 लाख रुपए का भुगतान किया गया. यहां पता लगा कि स्वयं सहायता समूहों को बिना अनुमति के लाखों का भुगतान कर दिया गया.

चपरासी को बनाया लखपति: एसीबी की जांच में पता लगा कि संविदा पर लगे चपरासी नरेंद्र सिंह ने अनु कौशिश की मिलीभगत से वर्ष 2019 से 2022 तक अवैध तरीके से 8.23 लाख रुपए हासिल किए. साथ ही अपने परिवार के नाम पर खोली गई मानव उत्थान सोसाइटी में 3.60 लाख रुपए भी मिले. नियमों का उल्लंघन कर अलग-अलग बैंकों में 21.94 करोड़ रुपए की एफडी कराकर अधिकारियों ने ब्याज हड़प लिया.

अपार्टमेंट खरीद के लिए ICDP खाते से ट्रांसफर की रकम: साल 2023 में गुरुग्राम में दर्ज एफआईआर संख्या-22 व 23 के अनुसार एसीबी जांच टीम ने जीएम ICDP योगेंद्र अग्रवाल के नाम पर एसआरके अपार्टमेंट, जीरकपुर में एक फ्लैट खरीदने के लिए ICDP रेवाड़ी के बैंक खाते से 43.8 लाख रुपए के ट्रांसफर का पता लगाया. इसका भुगतान साल 2018 में किया गया था. इसमें अकाउंटेंट सुमित अग्रवाल और विकास अधिकारी नितिन शर्मा भी शामिल थे. जबकि साल 2019 में नितिन शर्मा और योगेंद्र अग्रवाल की पत्नी रचना अग्रवाल के नाम पर SRK अपार्टमेंट में एक फ्लैट खरीदने के लिए ICDP से 45.50 लाख रुपए ट्रांसफर किए गए.

मुख्य आरोपी कौशिश ने 4 करोड़ निकाले: गुरुग्राम में दर्ज एफआईआर संख्या-29 के अनुसार ICDP अवधि समाप्त होने के बाद मुख्य आरोपी अनु कौशिश ने चार करोड़ रुपए निकाले. फिर इस रकम को विभिन्न लोगों को ट्रांसफर किया. इसमें से 54.60 लाख रुपए की धनराशि कौशिक परिवार को वापस कर दी गई. साथ ही सिरसा में कौशिक के लिए 1.22 करोड़ रुपए की जमीन खरीदी गई. इसके अलावा, सहायक रजिस्ट्रार सहकारी समिति राम कुमार के लिए कुरुक्षेत्र में एक प्लॉट खरीदने के लिए 60 लाख रुपए, स्टालिन की पहली पत्नी पूनम को 28.93 लाख रुपए, दूसरी पत्नी कंवलजीत को 50 लाख रुपए, जागो प्रिंटिंग प्रेस को 50 लाख रुपए और बैनब्रिज कंस्ट्रक्शन को 45 लाख रुपए मिले.

2022 से जांच जारी, अब तक 14 गिरफ्तार: इस घोटाले का पता लगने पर एसीबी ने साल 2022 में जांच शुरू की और मई 2023 में तीन-चार गजेटेड अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया. इस घोटाले में अब तक कुल 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें ऑडिट अफसर बलविंदर, डिप्टी चीफ एडिटर योगेंद्र अग्रवाल, जिला रजिस्ट्रार सहकारी समितियां, करनाल रोहित गुप्ता, सहायक रजिस्ट्रार सहकारी समिति (एआरसीएस) अनु कौशिक, रामकुमार, जितेंद्र कौशिक और कृष्ण बेनीवाल शामिल हैं. इनके अलावा इसी विभाग के आईडीपी रेवाड़ी के लेखाकार सुमित अग्रवाल, डेवलपमेंट अधिकारी नितिन शर्मा और विजय सिंह और चार निजी लोगों स्तालिन जीत, नताशा कौशिक, सुभाष और रेखा को गिरफ्तार किया गया है.

अब तक 10 एफआईआर दर्ज: एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम सहकारिता विभाग के इस घोटाले की जांच वर्ष 2022 से कर रही है. जांच टीम ने इस संबंध में अब तक गुरुग्राम समेत अंबाला और करनाल रेंज में दस एफआईआर दर्ज की हैं. डीजीपी हरियाणा शत्रुजीत कपूर ने सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि भ्रष्टाचार करने वाले किसी आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा.

ये भी पढ़ें- हरियाणा सहकारिता विभाग में 100 करोड़ का घोटाला, सरकारी पैसे से खरीदी जमीन-घर, 10 अफसरों समेत 14 गिरफ्तार

चंडीगढ़: हरियाणा सहकारिता विभाग में 100 करोड़ रुपये के घोटाले में एसीबी की नजर अब प्रोजेक्ट के नोडल अधिकारी नरेश गोयल समेत एक अन्य गजेटेड अधिकारी तत्कालीन असिस्टेंट रजिस्ट्रार पर है. जांच टीम ने प्रदेश सरकार से इन आरोपियों पर केस दर्ज करने की मंजूरी मांगी है. इस संबंधी फाइल फिलहाल चीफ सेक्रेटरी, हरियाणा के टेबल पर मौजूद है.

सरकार से मंजूरी मिलते ही इन आरोपियों पर भी कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी. इस घोटाले के मुख्य आरोपियों में तत्कालीन ICDP रेवाड़ी, महाप्रबंधक एवं अब सहायक रजिस्टर सहकारी समितियां अनु कौशिक समेत आरोपी स्टालिन जीत बैनब्रिज कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, बैंटम ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड, बैंटम इंडिया लिमिटेड, लोडलिंक सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड और लेबे इंडिया लिमिटेड के निदेशक शामिल हैं.

विदेश भागने की फिराक में थे आरोपी: एसीपी की जांच में पता लगा कि ये आरोपी सरकारी धन को बटोरकर विदेश भागने की फिराक में थे, लेकिन इससे पहले ही जांच टीम को उनकी भनक लग गई.

ACB की FIR में खुलासा: 2023 में गुरुग्राम में दर्ज एफआईआर नंबर-21 के तहत राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) ने रेवाड़ी में प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (PACS) के विकास के लिए ICDP के तहत धन स्वीकृत किया था. 2017-18 से 2020-21 तक राज्य सरकार के माध्यम से 22.15 करोड़ की ग्रांट प्राप्त हुई. इसमें से 15.67 करोड़ रुपए खर्च किए गए, लेकिन जिन फर्मों को नियमों का उल्लंघन कर काम पर रखा गया, उन्होंने अनु कौशिक और उसके पारिवारिक सदस्यों को रिश्वत दी. जांच में सामने आया कि ICDP रेवाड़ी 31 मार्च, 2022 तक संचालित थी और 26 जुलाई 2022 को बैनब्रिज कंस्ट्रक्शन को निर्माण कार्यों के लिए 25 लाख रुपए का भुगतान किया गया. बैंटम इंडिया को कंप्यूटर, इंटरनेट मॉडम और प्रिंटर की खरीद के लिए 46.10 लाख रुपए का भुगतान किया गया.

यहां दिखाया फर्जी भुगतान: फर्म पैक्स के सदस्यों को प्रशिक्षण देने के लिए 32.13 लाख रुपए का भुगतान दिखाया गया. जबकि असल में ये सारा भुगतान फर्जी बिलों के आधार पर किया गया. इसके अलावा पैक्स के लिए सीसीटीवी कैमरे और लैपटॉप के लिए लेबे इंडिया को 24.82 लाख रुपए का भुगतान किया गया था. लोडलिंक सिस्टम को कंप्यूटर और प्रिंटर के लिए 10.97 लाख रुपए मिले. कुल मिलाकर बैंटम इंडिया, लेबे इंडिया, लोडलिंक सिस्टम और बैनब्रिज कंस्ट्रक्शन से उनके बैंक खातों में 55.30 लाख रुपए मिले.

बिना मंजूरी फर्म को 15 लाख दिए: घोटाले के लिए विजय सिंह को नियमों का उल्लंघन कर विकास अधिकारी नियुक्त कर उनकी फर्म सरल कोऑपरेटिव को 15 लाख रुपए का भुगतान किया गया. यहां पता लगा कि स्वयं सहायता समूहों को बिना अनुमति के लाखों का भुगतान कर दिया गया.

चपरासी को बनाया लखपति: एसीबी की जांच में पता लगा कि संविदा पर लगे चपरासी नरेंद्र सिंह ने अनु कौशिश की मिलीभगत से वर्ष 2019 से 2022 तक अवैध तरीके से 8.23 लाख रुपए हासिल किए. साथ ही अपने परिवार के नाम पर खोली गई मानव उत्थान सोसाइटी में 3.60 लाख रुपए भी मिले. नियमों का उल्लंघन कर अलग-अलग बैंकों में 21.94 करोड़ रुपए की एफडी कराकर अधिकारियों ने ब्याज हड़प लिया.

अपार्टमेंट खरीद के लिए ICDP खाते से ट्रांसफर की रकम: साल 2023 में गुरुग्राम में दर्ज एफआईआर संख्या-22 व 23 के अनुसार एसीबी जांच टीम ने जीएम ICDP योगेंद्र अग्रवाल के नाम पर एसआरके अपार्टमेंट, जीरकपुर में एक फ्लैट खरीदने के लिए ICDP रेवाड़ी के बैंक खाते से 43.8 लाख रुपए के ट्रांसफर का पता लगाया. इसका भुगतान साल 2018 में किया गया था. इसमें अकाउंटेंट सुमित अग्रवाल और विकास अधिकारी नितिन शर्मा भी शामिल थे. जबकि साल 2019 में नितिन शर्मा और योगेंद्र अग्रवाल की पत्नी रचना अग्रवाल के नाम पर SRK अपार्टमेंट में एक फ्लैट खरीदने के लिए ICDP से 45.50 लाख रुपए ट्रांसफर किए गए.

मुख्य आरोपी कौशिश ने 4 करोड़ निकाले: गुरुग्राम में दर्ज एफआईआर संख्या-29 के अनुसार ICDP अवधि समाप्त होने के बाद मुख्य आरोपी अनु कौशिश ने चार करोड़ रुपए निकाले. फिर इस रकम को विभिन्न लोगों को ट्रांसफर किया. इसमें से 54.60 लाख रुपए की धनराशि कौशिक परिवार को वापस कर दी गई. साथ ही सिरसा में कौशिक के लिए 1.22 करोड़ रुपए की जमीन खरीदी गई. इसके अलावा, सहायक रजिस्ट्रार सहकारी समिति राम कुमार के लिए कुरुक्षेत्र में एक प्लॉट खरीदने के लिए 60 लाख रुपए, स्टालिन की पहली पत्नी पूनम को 28.93 लाख रुपए, दूसरी पत्नी कंवलजीत को 50 लाख रुपए, जागो प्रिंटिंग प्रेस को 50 लाख रुपए और बैनब्रिज कंस्ट्रक्शन को 45 लाख रुपए मिले.

2022 से जांच जारी, अब तक 14 गिरफ्तार: इस घोटाले का पता लगने पर एसीबी ने साल 2022 में जांच शुरू की और मई 2023 में तीन-चार गजेटेड अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया. इस घोटाले में अब तक कुल 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें ऑडिट अफसर बलविंदर, डिप्टी चीफ एडिटर योगेंद्र अग्रवाल, जिला रजिस्ट्रार सहकारी समितियां, करनाल रोहित गुप्ता, सहायक रजिस्ट्रार सहकारी समिति (एआरसीएस) अनु कौशिक, रामकुमार, जितेंद्र कौशिक और कृष्ण बेनीवाल शामिल हैं. इनके अलावा इसी विभाग के आईडीपी रेवाड़ी के लेखाकार सुमित अग्रवाल, डेवलपमेंट अधिकारी नितिन शर्मा और विजय सिंह और चार निजी लोगों स्तालिन जीत, नताशा कौशिक, सुभाष और रेखा को गिरफ्तार किया गया है.

अब तक 10 एफआईआर दर्ज: एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम सहकारिता विभाग के इस घोटाले की जांच वर्ष 2022 से कर रही है. जांच टीम ने इस संबंध में अब तक गुरुग्राम समेत अंबाला और करनाल रेंज में दस एफआईआर दर्ज की हैं. डीजीपी हरियाणा शत्रुजीत कपूर ने सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि भ्रष्टाचार करने वाले किसी आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा.

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