बाड़मेर. सावन का पावन महीना सोमवार से शुरू हो गया है. सावन में भगवान शिव की पूजा और उपासना का विशेष महत्व है. आज सावन के पहले सोमवार के मौके पर हम आपको राजस्थान के सरहदी जिले बाड़मेर में स्थित एक ऐसे सफेद आकड़ा धाम के सिद्धेश्वर महादेव के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि यहां के लोगो की बड़ी आस्था का केंद्र है.
आक के पौधे से जुड़ी आस्था : जिला मुख्यालय के पास स्थित महाबार गांव में करीब साल 1975 में एक आक के पौधे में कुछ लोगों को भगवान शिव का अक्स दिखा. लोगों ने उसे पूजना शुरू कर दिया. बात धीरे-धीरे गांव से शहर तक पहुंची. लोगो की आस्था बढ़ती गई. देखते ही देखते यह 'सफेद आकड़ा धाम' बन गया. यही वजह है कि पूरे सावन माह में भक्तों की भीड़ लगी रहती है और सावन के सोमवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालु सिद्धेश्वर महादेव के दर्शन के लिए आते हैं.
आक के पौधे से हुई थी शुरुआत : मंदिर में व्यवस्था देख रहे बुजुर्ग दीप सिंह बताते है कि शुरुआत में यहां एक सफेद आक का पौधा था, जिसकी लोग पूजा अर्चना करते थे. दस साल बाद पौधा सूख गया और फिर लोगों की आस्था कम हो गई. इसके बाद यहां सोमवार को सांप दिखाई दिया और फिर इसी जगह फिर से महादेव की पूजा अर्चना का दौर शुरू हो गया. 1986 में यहां मूर्ति की स्थापना की गई. ट्रस्ट बना कर लोगों के सहयोग से 40-45 सालो में सिद्धेश्वर महादेव सहित वीर हनुमान, संतोषी माता, राधा कृष्ण, रामदेव मन्दिरों के साथ यह अब भव्य 'सफेद आंकड़ा धाम' बन गया है.
सावन में श्रद्धालुओं का तांता : उन्होंने बताया कि वह करीब 35 सालों से इस मन्दिर में सेवा कार्य कर रहे हैं. यहां आम दिनों में भी 4-5 हजार लोग प्रतिदिन दर्शन करने आते हैं. सावन के सोमवार को 20-25 हजार लोग आते हैं जिससे यहां पैर रखने की जगह नहीं होती है. श्रद्धालु सोनाराम बताते है कि वह पिछले करीब 13 सालों से इस मंदिर में आ रहे है. सच्चे मन के साथ जो कोई भी आता है तो उसकी मनोकामना पूरी होती है. सावन के महीने में यहां मेला लगता है. इसी तरह श्रद्धालु प्रेमीदेवी बताती है कि दो-तीन सालों से वो मन्दिर में आ रही है. महिलाओं और बच्चों के लिए झूले, पार्क आदि की व्यवस्था यहां की हुई है. सावन में यहां बड़ा मेला लगता है.