वाराणसी: उत्तर प्रदेश में कांवड़ मार्ग पर पड़ने वाली दुकानों के मालिकों को अपनी पहचान उजागर करने के लिए दुकान के बाहर अपना पूरा नाम लिखने के उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश के बाद हर तरफ खलबली है. बाबा भोलेनाथ के शहर में भी सरकार के इस आदेश के बाद श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास अपनी तैयारी में जुटा है. विश्वनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष प्रोफेसर नागेंद्र पांडेय का कहना है, कि यह आवश्यक है कि दुकानों के बाहर नाम लिखा जाए. उन्होंने यह भी कहा, कि हिंदू धर्म में स्वच्छता और पवित्रता विशेष महत्व रखती है, जो अन्य धर्म में फॉलो नहीं की जाती. इसलिए आवश्यक है कि इस नियम का जल्द से जल्द पालन हो और विश्वनाथ मंदिर न्यास भी अपने मंदिर परिसर में मौजूद दुकानों पर इसे लागू कराए.
प्रोफेसर नागेंद्र पांडेय ने कहा कि न्यास का स्पष्ट मत है, यह बहुत पहले व्यवस्था हो जानी चाहिए थी. देर से ही सही लेकिन हो गई, ये तो अच्छी बात है. उन्होंने कहा, कि जो भी सामान बेचने वाले हैं. मंदिरों के बाहर या कांवड़ रूट पर उन्हें अपनी पहचान उजागर करनी चाहिए न कि छुपानी चाहिए. काशी की परंपरा रही है जो भी यहां दुकानदार है, वह गंगा स्नान करता है. स्वच्छ होकर अपनी दुकान पर आता है. फिर उसके बाद विश्वनाथ जी का दर्शन भी करता है. तब वह अपनी दुकान पर बैठता है. अगर दुकान पर भी रहता है, तो भगवान की पूजा करने के बाद वह दुकानदारी शुरू करता है. पूरी पवित्रता के साथ वह कार्य करता है, जो कि अन्य धर्म में इस तरह की बातें नहीं होती है. यह सिर्फ हिंदू धर्म में दिखाई देती है.
दुकानदार की पहचान ग्राहक का मौलिक अधिकार : न्यास के अध्यक्ष ने कहा कि मेरा मानना है कि दुकान के बाहर नाम लिखना इसलिए जरूरी है क्योंकि हम जो सामान खरीद रहे हैं, वह किससे खरीद रहे हैं, यह पता होना चाहिए. सड़क पर चार तरह की दुकान चल रही है. बोर्ड भी लगे हुए हैं. अब खरीदार की इच्छा है, कि वह किस दुकान से सामान खरीदेगा. वह बोर्ड देखकर पहचान लेगा कि यह सामान्य है या ब्रांडेड है. यहां पर कैसा सामान मिलेगा. ऐसे में भक्तों को आम जनता को यह मौलिक अधिकार होना चाहिए. हम जिससे सामान खरीद रहे हैं, वह अपनी पहचान छिपाए नहीं बल्कि अपनी पहचान बताए. अगर हमारा मन होगा तो हम उससे सामान खरीदेंगे, नहीं मन होगा तो नहीं खरीदेंगे. इसमें कोई भेदभाव नहीं है. हम बस यही जानना चाहते हैं कि वह किस वर्ग का है, किस प्रणाली का है, किस पद्धति का है और कैसी मान्यता रखता है. जिससे हम सामान खरीद रहे हैं, यह सामान खरीदने वाले को अधिकार मिलना चाहिए.
हिंदू धर्म में मांसाहार का उपयोग नहीं : न्यास के अध्यक्ष का कहना है कि मंदिर के बाहर दुकान चलाने वालों के लिए यह महत्व रखता है कि वह पवित्रता के साथ दुकान खोल रहा है कि नहीं खोल रहा है, यह बहुत मायने रखती है. जिसका जो आचरण है वह भी बहुत महत्वपूर्ण होता है, जैसे हम लोगों का आचरण है नित्य कर्म पद्धति को पालन करने के बाद ही हम चीजों को आगे बढ़ाते हैं. यह परंपरा का हिस्सा दूसरे धर्म में ऐसी कोई परंपरा नहीं है, क्या खाए हैं, हाथ साफ सुथरा है कि नहीं यह बहुत सी चीजों पर निर्भर करता है. उन्होंने कहा, कि हमारे धर्म में मांसाहार का उपयोग नहीं होता. मांसाहार खाकर दुकानों पर नहीं बैठा जा सकता. क्योंकि वह अपवित्र हो जाता है. इसलिए, विपरीत आचरण वालों से हमें बचाना चाहिए. मैं अपील करता हूं जनता से और शासन से भी कि जितना जल्दी हो सके इस पहचान को स्पष्ट करें.
पहचान छिपाकर सामान बेचना बड़ा अपराध : न्यास के अध्यक्ष ने कहा, कि इस आदेश के बाद विश्वनाथ मंदिर न्यास बाहर की दुकानों के लिए प्रशासन से बात करेगा. जहां भी सुविधा होगी हम प्रशासन के साथ खड़े होकर काम करेंगे, लेकिन जो मंदिर परिसर के अंदर दुकान हैं. उसमें हम तुरंत पहचान उजागर करेंगे. इसमें देरी नहीं लगेगी. न्यास के अध्यक्ष का कहना है, कि मंदिर के बाहर की जो भी दुकानें हैं, मंदिर में आने के लिए काशी में प्रवेश का जो भी रास्ता है, उनमें जो भी दुकान पड़ती हैं, जहां भी पूजा पाठ का सामान बिक रहा है वहां पर पहचान उजागर होनी चाहिए. पहचान छिपाकर सामान बेच रहे हैं तो यह बहुत बड़ा अपराध है.