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जोधपुर का 300 साल पुराना मंदिर, जहां धन ऐश्वर्य की होती है प्राप्ति, सिर्फ पुरुष ही करते हैं जलाभिषेक - Sawan 2024 - SAWAN 2024

जोधपुर में फतेहसागर की पाल पर एक अद्भुत शिव मंदिर स्थित है. यहां केवल पुरुष ही जलाभिषेक कर सकते हैं, लेकिन केवल पीतांबर वस्त्र धारण करने पर. महिलाओं का जलाभिषेक करना वर्जित है. श्रावण मास के तीसरे सोमवार पर जानिए जोधपुर के अद्भुत उत्तरमुखी नीलकंठ महादेव मंदिर के बारे में...

300 साल पुराना नीलकंठ महादेव मंदिर
300 साल पुराना नीलकंठ महादेव मंदिर (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 5, 2024, 6:31 AM IST

अद्भुत उत्तरमुखी नीलकंठ महादेव मंदिर के बारे में जानिए (ETV Bharat Jodhpur)

जोधपुर : सूर्यनगरी में यूं तो बहुत शिव मंदिर हैं. शहर में कुछ मंदिर ऐसे हैं, जिनको लेकर लोगों को श्रद्धाभाव अत्याधिक रहता है. खास कर श्रावण मास में लोग इन विशिष्ठ मंदिरों में पूजा अर्चना करने आते हैं. ऐसा ही एक मंदिर है भीतरी शहर के फतेहसागर की पाल पर स्थिति नीलकंठ महादेव मंदिर, जो करीब 300 साल पुराना है.

शिवलिंग का अभिषेक के बाद श्रृंगार : पुजारी पंडित ओमप्रकाश दवे ने बताया कि इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां का शिवलिंग उत्तरमुखी हैं. यहां सिर्फ पुरुष ही भगवान शिव को जलाभिषेक कर सकते हैं. इस शिवलिंग की पूजा अर्चना करने से धनैश्वर्य की प्राप्ति होती है. विशेष कर श्रावण मास में यहां लोग पूजा करने के लिए आते हैं. श्रावण मास में मंदिरों में श्रृंगार भी अलग होता है. उज्जैन के महाकाल मंदिर की तरह शिवलिंग का अभिषेक के बाद श्रृंगार किया जाता है.

श्रावण मास में यहां उत्सव जैसा माहौल रहता है. श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को कई प्रकार के द्रव्यों से भगवान का अभिषेक और श्रृंगार किया जाता है. इस बार भी भगवान का अलग-अलग प्रकार का श्रृंगार किया जा रहा है. : पियूष महाराज, पुजारी

पढ़ें. Neelkanth Mahadev Temple : बिना नींव के सदियों से खड़ा है नीलकंठ महादेव मंदिर, पांडवों ने भी यहां बिताया था समय

पुरुषों के लिए पीतांबर अनिवार्य : ये शिवलिंग उत्तरमुखी दिशा में है. शास्त्रों में लिखा है कि जो महादेव मंदिर उत्तरमुखी दिशा में होता है, उससे धन और ऐश्वर्य की प्राप्ती होती है. हर श्रावण मास में महाश्रृंगार का आयोजन किया जाता है. इस मंदिर का शिवलिंग स्वयंभू है. मंदिर की स्थापना राजा महाराजाओं के समय शिवलिंग की पूजा करने वाले साधु संतों ने यहां की थी. तब से यहां एक परंपरा चली आ रही है कि इस उत्तरमुखी शिवलिंग पर कोई महिला जल अर्पित नहीं करती है. वह सिर्फ दर्शन मात्र ही करती हैं. पुरुष भी जलाभिषेक इस स्थिति में कर सकता है जब उसने पीतांबर (धोती) धारण किया हो. पेंट शर्ट में यहां जल चढ़ाना वर्जित है. नीलकंठ महादेव मंदिरा को लेकर भक्तों की श्रद्धा भी अटूट है. यही कारण है कि इस मंदिर में हमेशा भक्तों का तांता लगा रहता है.

मैं 3 साल से इस मंदिर में आ रहा हूं. यहां महिलाएं जल नहीं चढ़ा सकती हैं. यहां केवल पुरुष ही जल चढ़ा सकते हैं. हर श्रावण में यहां शिवलिंग का अभिषेक होता है, जो सुबह 4 बजे से लेकर शाम तक चलता है. : सौरभ परिहार, श्रद्धालु

नीलकंठ महादेव का किया गया श्रृंगार
नीलकंठ महादेव का किया गया श्रृंगार (ETV Bharat Jodhpur)

अद्भुत उत्तरमुखी नीलकंठ महादेव मंदिर के बारे में जानिए (ETV Bharat Jodhpur)

जोधपुर : सूर्यनगरी में यूं तो बहुत शिव मंदिर हैं. शहर में कुछ मंदिर ऐसे हैं, जिनको लेकर लोगों को श्रद्धाभाव अत्याधिक रहता है. खास कर श्रावण मास में लोग इन विशिष्ठ मंदिरों में पूजा अर्चना करने आते हैं. ऐसा ही एक मंदिर है भीतरी शहर के फतेहसागर की पाल पर स्थिति नीलकंठ महादेव मंदिर, जो करीब 300 साल पुराना है.

शिवलिंग का अभिषेक के बाद श्रृंगार : पुजारी पंडित ओमप्रकाश दवे ने बताया कि इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां का शिवलिंग उत्तरमुखी हैं. यहां सिर्फ पुरुष ही भगवान शिव को जलाभिषेक कर सकते हैं. इस शिवलिंग की पूजा अर्चना करने से धनैश्वर्य की प्राप्ति होती है. विशेष कर श्रावण मास में यहां लोग पूजा करने के लिए आते हैं. श्रावण मास में मंदिरों में श्रृंगार भी अलग होता है. उज्जैन के महाकाल मंदिर की तरह शिवलिंग का अभिषेक के बाद श्रृंगार किया जाता है.

श्रावण मास में यहां उत्सव जैसा माहौल रहता है. श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को कई प्रकार के द्रव्यों से भगवान का अभिषेक और श्रृंगार किया जाता है. इस बार भी भगवान का अलग-अलग प्रकार का श्रृंगार किया जा रहा है. : पियूष महाराज, पुजारी

पढ़ें. Neelkanth Mahadev Temple : बिना नींव के सदियों से खड़ा है नीलकंठ महादेव मंदिर, पांडवों ने भी यहां बिताया था समय

पुरुषों के लिए पीतांबर अनिवार्य : ये शिवलिंग उत्तरमुखी दिशा में है. शास्त्रों में लिखा है कि जो महादेव मंदिर उत्तरमुखी दिशा में होता है, उससे धन और ऐश्वर्य की प्राप्ती होती है. हर श्रावण मास में महाश्रृंगार का आयोजन किया जाता है. इस मंदिर का शिवलिंग स्वयंभू है. मंदिर की स्थापना राजा महाराजाओं के समय शिवलिंग की पूजा करने वाले साधु संतों ने यहां की थी. तब से यहां एक परंपरा चली आ रही है कि इस उत्तरमुखी शिवलिंग पर कोई महिला जल अर्पित नहीं करती है. वह सिर्फ दर्शन मात्र ही करती हैं. पुरुष भी जलाभिषेक इस स्थिति में कर सकता है जब उसने पीतांबर (धोती) धारण किया हो. पेंट शर्ट में यहां जल चढ़ाना वर्जित है. नीलकंठ महादेव मंदिरा को लेकर भक्तों की श्रद्धा भी अटूट है. यही कारण है कि इस मंदिर में हमेशा भक्तों का तांता लगा रहता है.

मैं 3 साल से इस मंदिर में आ रहा हूं. यहां महिलाएं जल नहीं चढ़ा सकती हैं. यहां केवल पुरुष ही जल चढ़ा सकते हैं. हर श्रावण में यहां शिवलिंग का अभिषेक होता है, जो सुबह 4 बजे से लेकर शाम तक चलता है. : सौरभ परिहार, श्रद्धालु

नीलकंठ महादेव का किया गया श्रृंगार
नीलकंठ महादेव का किया गया श्रृंगार (ETV Bharat Jodhpur)
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