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सावन 2024: भगवान दूधेश्वर के द्वार से कोई खाली हाथ नहीं लौटता, इसलिए उमड़ता है भक्तों का सैलाब - Dudeshwarnath temple Ghaziabad - DUDESHWARNATH TEMPLE GHAZIABAD

Dudeshwarnath temple Ghaziabad: गाजियाबाद के प्रसिद्ध दूधेश्वर नाथ मंदिर में बीती रात से ही श्रद्धालु दर्शन करने के लिए कतारों में लगे हुए है. सुबह से ही भक्त बम बम भोले के नारे लगा रहे हैं. अनुमान है कि अब तक करीब 10 लाख श्रद्धालु भोले बाबा के दर्शन कर चुके हैं. भीड़ के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.

गाजियाबाद का दुधेश्वरनाथ मंदिर
गाजियाबाद का दुधेश्वरनाथ मंदिर (SOURCE: ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 2, 2024, 1:10 PM IST

Updated : Aug 3, 2024, 12:23 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: आज सावन की शिवरात्रि के पावन मौके पर गाजियाबाद के दूधेश्वरनाथ मंदिर में रात 12 बजे से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी हुई है. जल शुक्रवार सुबह 3:30 बजे से चढ़ना शुरू हुआ है. महंत नारायण गिरी के मुताबिक सुबह 10:00 बजे तक अब तक दस लाख श्रद्धालु मंदिर में दर्शन कर चुके हैं. प्राचीन दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर उत्तर भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है. प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर की काफी मान्यता है. जिसके चलते देश भर से यहां श्रद्धालु आते हैं.

दूधेश्वर नाथ मंदिर, गाजियाबाद (SOURCE: ETV BHARAT)

श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के चलते मंदिर में दर्शन करने में करीब तीन से चार घंटे का समय लग रहा है. दरअसल मंदिर के बाहर लंबी कतारें हैं. ऐसे में भक्तों को तीन से चार घंटे तक कतारों में खड़े रहना पड़ रहा है. भक्तों का कहना है कि समय कब बीत रहा है इसका एहसास नहीं हो रहा हम तो बस भगवान दूधेश्वर के दर्शन करने की प्रतीक्षा में खड़े हुए हैं.

लाखों की संख्या में श्रद्धालु सावन शिवरात्रि पर दूधेश्वर नाथ मंदिर पहुंचते हैं. ऐसे में पुलिस, प्रशासन, नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग और मंदिर प्रशासन द्वारा विशेष तैयारी की जाती है ताकि मंदिर में आने वाले किसी भी भक्त को परेशानी ना हो और आसानी से दर्शन हो सके. सावन शिवरात्रि को लेकर मंदिर के आसपास रूट डायवर्ट किया गया है. भारी पुलिस फोर्स की तैनाती है. साथ ही सिविल डिफेंस और मंदिर समिति के वॉलिंटियर्स भी तैनात हैं.

मंदिर का इतिहास जानिए

दरअसल, मंदिर की स्थापना रावण के पिता ऋषि विश्वश्रवा ने की थी. मान्यता है कि रावण ने अपना दसवां शीश भगवान शिव के चरणों में अर्पित किया था. बताया जाता है कि प्राचीन काल में मंदिर के स्थान पर टीला हुआ करता था, जहां पर गाय आकर स्वयं दूध दिया करती थी. इस स्थान पर भगवान दूधेश्वर स्थापित हैं. मंदिर को लेकर मान्यता है कि भगवान दूधेश्वर के द्वार से कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता है. यही वजह है कि सावन शिवरात्रि पर प्राचीन दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर में श्रद्धालुओं का जलसलाब उमड़ता है. प्राचीन दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर के महंत नारायण गिरी बताते हैं वेद पुराणों में भी प्राचीन दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर का वर्णन है. प्राचीन काल में मंदिर में रावण ने भी पूजा-अर्चना की थी. इतना ही नहीं, रावण ने अपना 10वां शीष भगवान भोलेनाथ के चरणों में अर्पित कर दिया था.

मंदिर के मीडिया प्रभारी एस आर सुथार ने बताया कि कांवड़ियों को कोई दिक्कत ना हो, इसके लिए महापौर सुनीता दयाल, नगरायुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक से लेकर जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह और पुलिस आयुक्त अजय कुमार मिश्र ना सिर्फ मंदिर का निरीक्षण कर चुके हैं, बल्कि सभी व्यवस्थाओं पर नजर भी रखी जा रही है. उन्होंने बताया कि इस बार की व्यवस्था इतनी अच्छी है कि बिना किसी परेशानी व बाधा के जलाभिषेक हो रहा है.

ये भी पढ़ें- श्री दूधेश्वरनाथ महादेव मठ मंदिर में 10 लाख शिवभक्त के पहुंचने की उम्मीद, शुक्रवार को होगी आठ प्रहर की पूजा

ये भी पढ़ें- गाजियाबाद में लापरवाही पर 5 पुलिसकर्मी सस्पेंड, कांवड़ियों की रिजर्व लेन में घुसी थी

नई दिल्ली/गाजियाबाद: आज सावन की शिवरात्रि के पावन मौके पर गाजियाबाद के दूधेश्वरनाथ मंदिर में रात 12 बजे से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी हुई है. जल शुक्रवार सुबह 3:30 बजे से चढ़ना शुरू हुआ है. महंत नारायण गिरी के मुताबिक सुबह 10:00 बजे तक अब तक दस लाख श्रद्धालु मंदिर में दर्शन कर चुके हैं. प्राचीन दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर उत्तर भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है. प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर की काफी मान्यता है. जिसके चलते देश भर से यहां श्रद्धालु आते हैं.

दूधेश्वर नाथ मंदिर, गाजियाबाद (SOURCE: ETV BHARAT)

श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के चलते मंदिर में दर्शन करने में करीब तीन से चार घंटे का समय लग रहा है. दरअसल मंदिर के बाहर लंबी कतारें हैं. ऐसे में भक्तों को तीन से चार घंटे तक कतारों में खड़े रहना पड़ रहा है. भक्तों का कहना है कि समय कब बीत रहा है इसका एहसास नहीं हो रहा हम तो बस भगवान दूधेश्वर के दर्शन करने की प्रतीक्षा में खड़े हुए हैं.

लाखों की संख्या में श्रद्धालु सावन शिवरात्रि पर दूधेश्वर नाथ मंदिर पहुंचते हैं. ऐसे में पुलिस, प्रशासन, नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग और मंदिर प्रशासन द्वारा विशेष तैयारी की जाती है ताकि मंदिर में आने वाले किसी भी भक्त को परेशानी ना हो और आसानी से दर्शन हो सके. सावन शिवरात्रि को लेकर मंदिर के आसपास रूट डायवर्ट किया गया है. भारी पुलिस फोर्स की तैनाती है. साथ ही सिविल डिफेंस और मंदिर समिति के वॉलिंटियर्स भी तैनात हैं.

मंदिर का इतिहास जानिए

दरअसल, मंदिर की स्थापना रावण के पिता ऋषि विश्वश्रवा ने की थी. मान्यता है कि रावण ने अपना दसवां शीश भगवान शिव के चरणों में अर्पित किया था. बताया जाता है कि प्राचीन काल में मंदिर के स्थान पर टीला हुआ करता था, जहां पर गाय आकर स्वयं दूध दिया करती थी. इस स्थान पर भगवान दूधेश्वर स्थापित हैं. मंदिर को लेकर मान्यता है कि भगवान दूधेश्वर के द्वार से कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता है. यही वजह है कि सावन शिवरात्रि पर प्राचीन दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर में श्रद्धालुओं का जलसलाब उमड़ता है. प्राचीन दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर के महंत नारायण गिरी बताते हैं वेद पुराणों में भी प्राचीन दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर का वर्णन है. प्राचीन काल में मंदिर में रावण ने भी पूजा-अर्चना की थी. इतना ही नहीं, रावण ने अपना 10वां शीष भगवान भोलेनाथ के चरणों में अर्पित कर दिया था.

मंदिर के मीडिया प्रभारी एस आर सुथार ने बताया कि कांवड़ियों को कोई दिक्कत ना हो, इसके लिए महापौर सुनीता दयाल, नगरायुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक से लेकर जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह और पुलिस आयुक्त अजय कुमार मिश्र ना सिर्फ मंदिर का निरीक्षण कर चुके हैं, बल्कि सभी व्यवस्थाओं पर नजर भी रखी जा रही है. उन्होंने बताया कि इस बार की व्यवस्था इतनी अच्छी है कि बिना किसी परेशानी व बाधा के जलाभिषेक हो रहा है.

ये भी पढ़ें- श्री दूधेश्वरनाथ महादेव मठ मंदिर में 10 लाख शिवभक्त के पहुंचने की उम्मीद, शुक्रवार को होगी आठ प्रहर की पूजा

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Last Updated : Aug 3, 2024, 12:23 PM IST
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