सतना। लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान जारी है. इसी चरण में मध्यप्रदेश की 6 लोकसभा सीटें जिनमें टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा, होशंगाबाद शामिल हैं. इन सभी सीटों पर सुबह 7 बजे से मतदान शुरु हुआ जो कि शाम 6 बजे तक चलेगा.
सतना में अबतक क्या-क्या हुआ
- मध्यप्रदेश में सतना होशंगाबाद के बाद दूसरी सीट, जहां दोपहर 1 बजे सबसे तेज मतदान हुआ.
- सतना में भाजपा प्रत्याशी गणेश सिंह ने बिरला रोड स्थित आईटीआई विद्यालय में पहुंचकर सपरिवार मतदान किया. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धार्थ कुशवाहा ने भी वोट डाला.
- सतना लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 09 में 11 बजे तक 30.32 प्रतिशत मतदान
- सतना सुबह 7 से 9 बजे तक मतदान 13.59%
सतना में सुबह से ही वोटर्स में उत्साह
सतना में सुबह वोटिंग शुरू होते ही वोटर्स में जबर्दस्त उत्साह देखने को मिल रहा है. यहां लोकतंत्र के इस महापर्व का हिस्सा बनने के लिए सुबह 6 बजे से ही लाइनें लगना शुरू हो गई थीं. वहीं कई बूथ पर दिव्यांग वोटर्स ने पहुंचकर वोट डाला.
सतना लोकसभा सीट के प्रत्याशी
बात करें सतना संसदीय क्षेत्र की तो इस सीट पर भाजपा के गणेश सिंह 4 बार से सांसद हैं और 5वीं बार भी चुनावी मैदान में भाजपा की तरफ से उतारे गए हैं. वहीं कांग्रेस ने सतना विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा को टिकट दिया है. सिद्धार्थ के पिता सुखलाल कुशवाहा सतना से बहुजन समाज पार्टी के सांसद रह चुके हैं. वहीं मैहर से भाजपा के पूर्व नेता व विधायक नारायण त्रिपाठी को बसपा ने सतना लोकसभा सीट से उतारा है.
2023 के विधानसभा चुनाव परिणाम
गौरतलब है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सतना विधानसभा सीट से सांसद गणेश सिंह को मौका दिया था और कांग्रेस ने सिद्धार्थ कुशवाहा को चुनावी मैदान में उतारा था. लेकिन सिद्धार्थ कुशवाहा ने इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी गणेश सिंह को लगभग 70000 वोटों से मात दी थी. इसीलिए सतना लोकसभा सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है. गणेश सिंह और सिद्धार्थ कुशवाहा में मुकाबला टफ है. इस संसदीय क्षेत्र में 7 विधानसभा क्षेत्र हैं जिनमें से पांच पर भाजपा का कब्जा है और दो कांग्रेस के पास हैं.
सतना लोकसभा सीट का इतिहास
सतना लोकसभा सीट की बात करें तो अब तक यहां 15 लोकसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें कांग्रेस को 5 बार जीत मिली है. साल 1991 से कांग्रेस सतना में जीत की राह देख रही है. 1991 में अर्जुन सिंह ने चुनाव जीता था. इसके बाद 1996 में BSP के सुखलाल कुशवाहा ने बाजी मारी थी. फिर 1998 व 1999 में BJP के रामानंद सिंह, 2004, 2009, 2014 और 2019 में BJP के गणेश सिंह ने इस लोकसभा सीट पर भाजपा का परचम फहराया है. बात करें इस जिले के विधानसभा चुनाव के परिणामों की.
2014 और 2019 का जनादेश
सतना लोकसभा सीट में 2009 और 2014 के लोकसभा चुनावों में गणेश सिंह ने भले ही बाजी मारी हो लेकिन जीत का अंतर 10 हजार कम था. 2009 में बसपा के सुखलाल कुशवाहा को महज 4000 वोटों से हार का मुंह देखना पड़ा था. वहीं 2014 के चुनाव में कांग्रेस के अजय सिंह राहुल 8 हजार वोटों से हारे थे. वहीं 2019 के चुनाव की बात करें तो कांग्रेस ने राजाराम त्रिपाठी और BSP ने अच्छेलाल कुशवाहा को टिकट दिया था. लेकिन बीजेपी के गणेश सिंह ने इस चुनाव में दोनों पार्टियों को बुरी तरह से हराया था. भाजपा प्रत्याशी गणेश सिंह को इस चुनाव में राजाराम त्रिपाठी को ढाई लाख से ज्यादा वोटों से हराया था.
जातीय समीकरण
सतना संसदीय क्षेत्र के जाति समीकरण पर नजर डालें तो भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी ओबीसी वर्ग हैं. कुर्मी समाज और कुशवाहा समाज के मतदाता लगभग बराबर हैं. यहां के पिछले चुनाव परिणामों को देखकर ये बात स्पष्ट होती है कि इस समाज (कुर्मी और कुशवाहा) अपने ही कास्ट के उम्मीदवारों को वोट देना ज्यादा पसंद करते हैं. वहीं इनके बाद इस सीट पर ब्राह्मण सबसे ज्यादा हैं. बसपा के प्रत्याशी नारायण त्रिपाठी भी ब्राह्मण समाज से आते हैं और यह क्षेत्र उत्तर प्रदेश की सीमा से लगा हुआ है और यहां बीएसपी का भी अपना वोट बैंक है. साथ ही नारायण त्रिपाठी मैहर विधानसभा से चार बार विधायक भी रह चुके हैं. यही वजह है कि सतना लोकसभा की इस सीट पर मामला त्रिकोणी हो चुका है. सतना लोकसभा सीट में 19 उम्मीदवार चुनावी रण में मुकाबला करने को तैयार हैं.
खबर अपडेट हो रही है....