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सतना जिले के खोहर गांव का 35 साल पहले अपहरण! अब तक नहीं लगा सुराग, जानिए- आखिर क्या है माजरा - Taos Hydroelectric Project

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 25, 2024, 3:52 PM IST

मध्य प्रदेश के सतना जिले में एक ऐसा भी गांव है, जो राजस्व रिकॉर्ड से गायब है. खोहर के ग्रामीणों की जमीन बिजली परियोजना के लिए ली गई. बाद में बांध की ऊंचाई कम होने पर सारी जमीन लौटाने के आदेश कागजों में हुए. लेकिन आज तक ग्रामीणों को अपनी जमीन नहीं मिल सकी है. ग्रामीण स्थानीय नेताओं व अफसरों के 35 साल से चक्कर लगा रहे हैं लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला.

Taos Hydroelectric Project
राजस्व रिकॉर्ड से गायब खोहर गांव (ETV BHARAT)

सतना। टोस जल विद्युत परियोजना बकिया बैराज के लिए वर्ष 1990- 91 में रामपुर बघेलान क्षेत्र के 44 गांवों के करीब 5 हजार किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया. खोहर गांव उन 44 गांवों में से एक है, जहां के ग्रामीणों ने सरकार के कहने पर अपनी जमीन टोस जल विद्युत परियोजना बकिया बराज के निर्माण के लिए दे दी. लेकिन खोहर के ग्रामीणों की पीड़ा इन सबसे अलग है. दूसरे डूब प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है लेकिन खोहर के ग्रामीणों को यह भी नसीब नहीं है. क्योंकि खोहर अब तक सरकारी दस्तावेजों में राजस्व गांव के तौर पर ही दर्ज नहीं है.

मध्य प्रदेश के सतना जिले का गांव खोहर (ETV BHARAT)

बकिया बैराज के लिए जमीन देने वालों की व्यथा

बकिया बैराज के निर्माण के लिए अपनी जमीन देने वाले खोहर के ग्रामीणों की समस्याओं की कोई सुध नहीं ले रहा है. रामपुर तहसील व सिरमौर स्थित टोंस हाइडल प्रोजेक्ट कार्यालय के बीच यहां के ग्रामीण 35 साल से चक्कर लगा रहे हैं. बता दें कि सरकार का अनुमान था कि इस परियोजना के लिए 282.5 मीटर बांध बनाने की आवश्यकता है. इसी के अनुरूप जमीन का अधिग्रहण किया गया, लेकिन जब परियोजना ने आकार लिया तो पाया गया कि 280 हजार मीटर की उचाई पर्यात है. बाथ की उचाई 2 मीटर घट जाने से लगभग 2 हजार किसानों की अधिग्रहित जमीन का एक बड़ा हिस्सा डूब क्षेत्र से बाहर आ गया.

Taos Hydroelectric Project
टोस जल विद्युत परियोजना बकिया बैराज (ETV BHARAT)

डूब क्षेत्र के बाहर की जमीन लौटाने का हुआ था आदेश

डूब क्षेत्र के बाहर हुई जमीन को किसानों को वापस लौटाने का निर्णय लिया और आदेश जारी किए. सरकार ने डूब क्षेत्र से बाहर हुई जमीन को लौटाने के आदेश तो जारी किए लेकिन जमीन वापसी की प्रक्रिया पूरी नहीं की. किसानों ने आंदोलन किए तो वर्ष 2007 में जन दर्शन कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से मुलाकात कर आश्वस्त किया. लेकिन अब तक किसानों को अपनी जमीन के पट्टे नहीं मिल सके.

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बकिया बैराज संघर्ष समिति ने कई बार किए आंदोलन

स्थानीय किसानों ने टोस हाइड्रल प्रोजेक्ट बकिया बैराज संघर्ष समिति के बैनर तले समिति के संयोजक कमलेंद्र सिंह कमलू व समिति अध्यक्ष अवधेश सिंह के नेतृत्व में आंदोलन किया. सांसद गणेश सिंह ने भी तत्कालीन मुख्यमंत्री चौहान से चर्चा की. लेकिन टोस हाइइल प्रोजेक्ट के अलावा सबंधित विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के कारण ग्रामीण अभी भी परेशान हैं. तमाम दिशा निर्देशों के बावजूद खोहर गांव राजस्व विभाग के दस्तावेजों में दर्ज नहीं हुआ. नतीजतन, किसान हर प्रकार के सरकारी लाभ से वंचित हैं. किसान हेमराज सिंह ने बताया कि ना तो हमारे गरीबी रेखा के कार्ड बनते हैं और न ही सरकार द्वारा चलाई जाने वाली किसी भी हितग्राही योजनाओं का लाभ मिलता है.

सतना। टोस जल विद्युत परियोजना बकिया बैराज के लिए वर्ष 1990- 91 में रामपुर बघेलान क्षेत्र के 44 गांवों के करीब 5 हजार किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया. खोहर गांव उन 44 गांवों में से एक है, जहां के ग्रामीणों ने सरकार के कहने पर अपनी जमीन टोस जल विद्युत परियोजना बकिया बराज के निर्माण के लिए दे दी. लेकिन खोहर के ग्रामीणों की पीड़ा इन सबसे अलग है. दूसरे डूब प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है लेकिन खोहर के ग्रामीणों को यह भी नसीब नहीं है. क्योंकि खोहर अब तक सरकारी दस्तावेजों में राजस्व गांव के तौर पर ही दर्ज नहीं है.

मध्य प्रदेश के सतना जिले का गांव खोहर (ETV BHARAT)

बकिया बैराज के लिए जमीन देने वालों की व्यथा

बकिया बैराज के निर्माण के लिए अपनी जमीन देने वाले खोहर के ग्रामीणों की समस्याओं की कोई सुध नहीं ले रहा है. रामपुर तहसील व सिरमौर स्थित टोंस हाइडल प्रोजेक्ट कार्यालय के बीच यहां के ग्रामीण 35 साल से चक्कर लगा रहे हैं. बता दें कि सरकार का अनुमान था कि इस परियोजना के लिए 282.5 मीटर बांध बनाने की आवश्यकता है. इसी के अनुरूप जमीन का अधिग्रहण किया गया, लेकिन जब परियोजना ने आकार लिया तो पाया गया कि 280 हजार मीटर की उचाई पर्यात है. बाथ की उचाई 2 मीटर घट जाने से लगभग 2 हजार किसानों की अधिग्रहित जमीन का एक बड़ा हिस्सा डूब क्षेत्र से बाहर आ गया.

Taos Hydroelectric Project
टोस जल विद्युत परियोजना बकिया बैराज (ETV BHARAT)

डूब क्षेत्र के बाहर की जमीन लौटाने का हुआ था आदेश

डूब क्षेत्र के बाहर हुई जमीन को किसानों को वापस लौटाने का निर्णय लिया और आदेश जारी किए. सरकार ने डूब क्षेत्र से बाहर हुई जमीन को लौटाने के आदेश तो जारी किए लेकिन जमीन वापसी की प्रक्रिया पूरी नहीं की. किसानों ने आंदोलन किए तो वर्ष 2007 में जन दर्शन कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से मुलाकात कर आश्वस्त किया. लेकिन अब तक किसानों को अपनी जमीन के पट्टे नहीं मिल सके.

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स्थानीय किसानों ने टोस हाइड्रल प्रोजेक्ट बकिया बैराज संघर्ष समिति के बैनर तले समिति के संयोजक कमलेंद्र सिंह कमलू व समिति अध्यक्ष अवधेश सिंह के नेतृत्व में आंदोलन किया. सांसद गणेश सिंह ने भी तत्कालीन मुख्यमंत्री चौहान से चर्चा की. लेकिन टोस हाइइल प्रोजेक्ट के अलावा सबंधित विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के कारण ग्रामीण अभी भी परेशान हैं. तमाम दिशा निर्देशों के बावजूद खोहर गांव राजस्व विभाग के दस्तावेजों में दर्ज नहीं हुआ. नतीजतन, किसान हर प्रकार के सरकारी लाभ से वंचित हैं. किसान हेमराज सिंह ने बताया कि ना तो हमारे गरीबी रेखा के कार्ड बनते हैं और न ही सरकार द्वारा चलाई जाने वाली किसी भी हितग्राही योजनाओं का लाभ मिलता है.

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