सतना: मुंबई में बाबा सिद्दीकी की हत्या की जिम्मेदारी लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने ली है. जिसके बाद से लॉरेंस बिश्नोई का नाम पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है. अब हर कोई इस नाम का उपयोग अपने निजी कार्यों में करने लगे हैं. कुछ ऐसा ही देखने को मिला भगवान श्री राम की तपोभूमि चित्रकूट में. जहां दीपावली के दूसरे दिन तीन दिवसीय गधे एवं खच्चरों का मेला लगता है. यहां पर गधों के अलग-अलग नाम भी रखे जाते हैं. पिछले साल तक जहां बॉलीवुड सितारों के नाम पर गधों का बोलबाला रहता था. लेकिन इस बार मेले में लॉरेंस नाम का गधा सबसे महंगा बिका है.
मंदाकिनी नदी के किनारे गधों के मेला
चित्रकूट में दीपदान मेले का शुक्रवार को चौथा दिन है. दीपावली मेले के दूसरे दिन अन्नकूट से मंदाकिनी नदी के किनारे गधों का मेला लगता आ रहा है. गधों का यह ऐतिहासिक मेला मुगल शासक औरंगजेब के जमाने से लगता चला आ रहा. गधों के इस बाजार में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत अलग-अलग प्रांतों के व्यापारी गधों को बेचने और खरीदने आते हैं. मंदाकिनी नदी के किनारे हजारों की संख्या में गधों और खच्चरों का मेला लगा है, जिसकी बाकायदा नगर परिषद चित्रकूट द्वारा व्यवस्था की गई है.
1 लाख से ज्यादा में बिका गधा
इस बार भी मेले में देश के कोने-कोने से गधा व्यापारी अपने पशुओं के साथ आए हैं. सबसे खास बात यह है कि इस मेले में विगत वर्ष से फिल्मी सितारों के नाम से गधों और खच्चरों को खरीदा और बेचा जाता है, इनके नाम शाहरुख, सलमान, कैटरीना, माधुरी होते हैं. लेकिन इस बार गधों के बाजार में देश में कौतूहल का विषय बने गैंगस्टर लॉरेंस विश्नोई के नाम पर गधे और खच्चर बिकने आया. लॉरेंस विश्नोई नाम के गधे को सबसे ज्यादा एक लाख 25 हजार रुपये में बेचा गया. वहीं सलमान और शाहरुख नाम के गधे को कम कीमत मिली.
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खात्मे की कगार पर गधों का मेला
इस मेले में आए व्यापारियों का कहना है कि यहां व्यवस्था का अभाव रहता है. मुगल काल से चली आ रही ये परंपरा सुविधाओं के अभाव में अब लगभग खात्मे की कगार पर है. गधा मेले में सुरक्षा के नाम पर होमगार्ड तक के जवान नहीं लगाए जाते. इसलिए धीरे-धीरे व्यापारियों का आना कम हो रहा है. गधा व्यापरियों ने बताया कि मेले में ढेकेदार द्वारा 30 रु प्रति खूंटा जानवर बांधने का लिया जाता है और 600 रु प्रति जानवर इंट्री का लिया जाता है. जबकि सुविधा कुछ भी नहीं दी जाती.
मेले में बनाए जाएंगे स्थाई शौचालय
चित्रकूट नगर परिषद के CMO विशाल सिंह ने बताया कि, ''यह मेला मुगलकाल से चला आ रहा है, जो दीपावली के एक दिन बाद होता है. मेले को लेकर नगर परिषद ने पहले ही सभी व्यवस्थाएं कर दी थीं. पीने के पानी के टैंकर लगाए गए हैं. आगामी भविष्य में यहां स्थाई शौचालय की व्यवस्था की जाएगी, ताकि मेला सुचारू रूप से चल सके.''