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सरगुजा में बायोडिग्रेडिबल सेनेटरी पैड बना कर महिलाएं कर रही लाखों की आय, जानिए क्यों खास है ये पैड - Sarguja Women making sanitary pad

सरगुजा में स्वसहायता समूह की महिलाएं बायोडिग्रेडिबल सेनेटरी पैड बना रही हैं. इस पैड को तैयार कर ये महिलाएं लाखों रुपए इनकम कर रही है. खास बात यह है कि इस पैड से ना तो प्रकृति को कोई नुकसान पहुंचता है, ना ही इसे इस्तेमाल करने पर संक्रमण का खतरा रहता है. इस लिए लोगों में इस सेनेटरी पैड की डिमांड भी बहुत है.

biodegradable sanitary pad
बायोडिग्रेडिबल सेनेटरी पैड (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 29, 2024, 5:23 PM IST

Updated : Jun 29, 2024, 6:14 PM IST

सरगुजा में बायोडिग्रेडिबल सेनेटरी पैड (ETV Bharat)

सरगुजा: आदिवासी बाहुल्य सरगुजा ने बीते वर्षों में महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में तेजी से उन्नति की है. यहां की आदिवासी और गैर आदिवासी महिलाएं आत्मनिर्भर बन चुकी हैं. सैकड़ों की संख्या में ऐसी ग्रामीण महिला हैं, जो अपने स्टार्टअप से पैसे कमा रही हैं. ऐसी ही कुछ महिलाओं ने सेनेटरी पैड बनाकर ना सिर्फ पैसे कमाए हैं, बल्कि बायोडिग्रेडिबल सेनेटरी पैड देकर लोगों को संक्रमण से बचाने का भी काम किया है.

हर माह होती है 50 से 60 हजार की आमदनी: समूह की सदस्य रजनी श्रीवास्तव ने ईटीवी भारत को बताया, "हम लोगों के समूह का नाम महिला उद्दमी बहुद्देश्यीय सहकारी समिति है. इसके तहत हम लोग सेनेटरी पैड बनाने का काम करते हैं. ये सेनेटरी पैड बायो डिग्रेडेबल हैं. इस यूनिट में हम 3 लोग काम करते हैं. हर महीने अभी 3 से साढ़े 3 हजार पैकेट पैड तैयार करते हैं. इसमें करीब डेढ़ से 2 लाख की लागत होती है. इसको हम लोग सरकारी संस्थानों में, सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाओं को बेचते हैं. सब खर्चा काटकर हर महीने 50 से 60 हजार की आमदनी होती है."

हम लोगों को अभी स्वच्छ भारत मिशन के तरफ से सरकारी ऑर्डर मिला है. बतौली ब्लॉक की दीदियां हैं, जो 54 गांव में सेनेटरी पैड बांटती हैं. उनका हम लोगों को 1 लाख पैकेट का ऑर्डर मिला है. पहले हमारी ग्रामीण महिलाएं घर पर ही रहती थी. आज सीएसआर के जरिए महिलाओं को आर्थिक गतिविधियों से जोड़ा गया, जिससे महिलाएं घर का खर्च चला रही हैं. -रजनी श्रीवास्तव, समूह की सदस्य

मिला है 1 लाख पैकेट का ऑर्डर: बता दें कि इन महिलाओं को 1 लाख पैकेट पैड बनाने का ऑर्डर उसी महिला समूह ने दिया है, जिसकी सफलता की कहानी ETV भारत ने 9 फरवरी 2024 को दिखाई थी. यहां आदिवासी अंचल बतौली विकासखंड के मंगारी गांव में रहने वाली मुनीता एक वनवासी स्वच्छाग्राही हैं. 33 साल की उम्र में इस ग्रामीण महिला ने कमाल कर दिया. घर बैठे ऐसा बिजनेस शुरू किया, जिससे सालाना 9 लाख की बिक्री कर रही हैं. मुनीता ने अपने साथ करीब 200 महिलाओं को भी रोजगार दिया है. बड़ी बात यह है कि इनके स्वरोजगार ने क्षेत्र में माहवारी स्वच्छता जागरूकता की क्रांति पैदा कर दी है. मुनीता के इस प्रयास का लाभ उदयपुर की उन महिलाओं को भी मिल रहा है, जो सेनेटरी पैड का निर्माण करती हैं. इन्होंने एक बार में ही 1 लाख पैड का ऑर्डर कर दिया है. हालांकि यह ऑर्डर जिला प्रशासन की तरफ से दिया गया है, लेकिन इसका वितरण मुनीता की टीम करेगी.

जानिए क्या है बायोडिग्रेडिबल सेनेटरी पैड के फायदे: बायोडिग्रेडिबल सेनेटरी पैड ऐसे पैड होते हैं, जो प्राकृतिक रूप से विघटित हो जाते हैं. इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाता है. इन्हें बनाने में जैविक और प्राकृतिक सामग्रियों का उपयोग किया जाता है. जैसे बांस, कॉटन और अन्य बायोडिग्रेडेबल सामग्रियां. ये पैड पारंपरिक सेनेटरी पैड के मुकाबले अधिक पर्यावरण के अनुकूल होते हैं, क्योंकि ये प्लास्टिक और अन्य गैर-बायोडिग्रेडेबल सामग्री का उपयोग नहीं करते हैं. जो कि पर्यावरण में लंबे समय तक बने रहते हैं. साथ ही प्रदूषण का कारण बनते हैं.

साधारण सेनेटरी पैड के नुकसान:

रासायनिक अवशेष: कई सेनेटरी पैड में रासायनिक यौगिक होते हैं. जैसे कि डाइऑक्सिन और अन्य ब्लीचिंग एजेंट. जो त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं. हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकते हैं.

त्वचा में जलन और एलर्जी: सेनेटरी पैड में उपयोग किए गए प्लास्टिक और सिंथेटिक सामग्री त्वचा में जलन, खुजली और एलर्जी प्रतिक्रियाएं पैदा कर सकते हैं.

संक्रमण का खतरा: यदि सेनेटरी पैड को लंबे समय तक उपयोग किया जाए, तो इससे बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है, जिससे प्राइवेट पार्ट में संक्रमण हो सकता है.

पर्यावरणीय प्रभाव: अधिकांश सेनेटरी पैड बायोडिग्रेडेबल नहीं होते हैं. इससे वे पर्यावरण में प्लास्टिक कचरा बढ़ाते हैं. इनमें लगे हुए संक्रमित रक्त के संपर्क में आने से इंसान या जानवर भी संक्रमण का शिकार हो सकते हैं.

असुविधा: कई महिलाएं लंबे समय तक सेनेटरी पैड पहनने पर असुविधा और चकत्ते की शिकायत करती हैं. इन दुष्परिणामों के कारण, कई महिलाएं अब कपड़े के पैड, मेंस्ट्रुअल कप और बायोडिग्रेडेबल सेनेटरी पैड जैसे वैकल्पिक विकल्पों की ओर रुख कर रही हैं.

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हर माह होती है 50 से 60 हजार की आमदनी: समूह की सदस्य रजनी श्रीवास्तव ने ईटीवी भारत को बताया, "हम लोगों के समूह का नाम महिला उद्दमी बहुद्देश्यीय सहकारी समिति है. इसके तहत हम लोग सेनेटरी पैड बनाने का काम करते हैं. ये सेनेटरी पैड बायो डिग्रेडेबल हैं. इस यूनिट में हम 3 लोग काम करते हैं. हर महीने अभी 3 से साढ़े 3 हजार पैकेट पैड तैयार करते हैं. इसमें करीब डेढ़ से 2 लाख की लागत होती है. इसको हम लोग सरकारी संस्थानों में, सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाओं को बेचते हैं. सब खर्चा काटकर हर महीने 50 से 60 हजार की आमदनी होती है."

हम लोगों को अभी स्वच्छ भारत मिशन के तरफ से सरकारी ऑर्डर मिला है. बतौली ब्लॉक की दीदियां हैं, जो 54 गांव में सेनेटरी पैड बांटती हैं. उनका हम लोगों को 1 लाख पैकेट का ऑर्डर मिला है. पहले हमारी ग्रामीण महिलाएं घर पर ही रहती थी. आज सीएसआर के जरिए महिलाओं को आर्थिक गतिविधियों से जोड़ा गया, जिससे महिलाएं घर का खर्च चला रही हैं. -रजनी श्रीवास्तव, समूह की सदस्य

मिला है 1 लाख पैकेट का ऑर्डर: बता दें कि इन महिलाओं को 1 लाख पैकेट पैड बनाने का ऑर्डर उसी महिला समूह ने दिया है, जिसकी सफलता की कहानी ETV भारत ने 9 फरवरी 2024 को दिखाई थी. यहां आदिवासी अंचल बतौली विकासखंड के मंगारी गांव में रहने वाली मुनीता एक वनवासी स्वच्छाग्राही हैं. 33 साल की उम्र में इस ग्रामीण महिला ने कमाल कर दिया. घर बैठे ऐसा बिजनेस शुरू किया, जिससे सालाना 9 लाख की बिक्री कर रही हैं. मुनीता ने अपने साथ करीब 200 महिलाओं को भी रोजगार दिया है. बड़ी बात यह है कि इनके स्वरोजगार ने क्षेत्र में माहवारी स्वच्छता जागरूकता की क्रांति पैदा कर दी है. मुनीता के इस प्रयास का लाभ उदयपुर की उन महिलाओं को भी मिल रहा है, जो सेनेटरी पैड का निर्माण करती हैं. इन्होंने एक बार में ही 1 लाख पैड का ऑर्डर कर दिया है. हालांकि यह ऑर्डर जिला प्रशासन की तरफ से दिया गया है, लेकिन इसका वितरण मुनीता की टीम करेगी.

जानिए क्या है बायोडिग्रेडिबल सेनेटरी पैड के फायदे: बायोडिग्रेडिबल सेनेटरी पैड ऐसे पैड होते हैं, जो प्राकृतिक रूप से विघटित हो जाते हैं. इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाता है. इन्हें बनाने में जैविक और प्राकृतिक सामग्रियों का उपयोग किया जाता है. जैसे बांस, कॉटन और अन्य बायोडिग्रेडेबल सामग्रियां. ये पैड पारंपरिक सेनेटरी पैड के मुकाबले अधिक पर्यावरण के अनुकूल होते हैं, क्योंकि ये प्लास्टिक और अन्य गैर-बायोडिग्रेडेबल सामग्री का उपयोग नहीं करते हैं. जो कि पर्यावरण में लंबे समय तक बने रहते हैं. साथ ही प्रदूषण का कारण बनते हैं.

साधारण सेनेटरी पैड के नुकसान:

रासायनिक अवशेष: कई सेनेटरी पैड में रासायनिक यौगिक होते हैं. जैसे कि डाइऑक्सिन और अन्य ब्लीचिंग एजेंट. जो त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं. हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकते हैं.

त्वचा में जलन और एलर्जी: सेनेटरी पैड में उपयोग किए गए प्लास्टिक और सिंथेटिक सामग्री त्वचा में जलन, खुजली और एलर्जी प्रतिक्रियाएं पैदा कर सकते हैं.

संक्रमण का खतरा: यदि सेनेटरी पैड को लंबे समय तक उपयोग किया जाए, तो इससे बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है, जिससे प्राइवेट पार्ट में संक्रमण हो सकता है.

पर्यावरणीय प्रभाव: अधिकांश सेनेटरी पैड बायोडिग्रेडेबल नहीं होते हैं. इससे वे पर्यावरण में प्लास्टिक कचरा बढ़ाते हैं. इनमें लगे हुए संक्रमित रक्त के संपर्क में आने से इंसान या जानवर भी संक्रमण का शिकार हो सकते हैं.

असुविधा: कई महिलाएं लंबे समय तक सेनेटरी पैड पहनने पर असुविधा और चकत्ते की शिकायत करती हैं. इन दुष्परिणामों के कारण, कई महिलाएं अब कपड़े के पैड, मेंस्ट्रुअल कप और बायोडिग्रेडेबल सेनेटरी पैड जैसे वैकल्पिक विकल्पों की ओर रुख कर रही हैं.

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Last Updated : Jun 29, 2024, 6:14 PM IST
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