पौड़ी: जिला मुख्यालय पौड़ी की विभिन्न समस्याओं को लेकर मुखर हुए संयुक्त संघर्ष समिति ने ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग के दफ्तर में तालाबंदी की. समिति का कहना है कि पहाड़ों में घोस्ट विलेज में तब्दील हो चुके गांवों को फिर से बसाने और पलायन के कारणों को जानने के लिए स्थापित हुए पलायन आयोग के उपाध्यक्ष खुद पौड़ी से पलायन कर गए हैं. अपने स्थापना से लेकर अभी तक आयोग ने पलायन को रोकने के लिए कोई ठोस ब्लू प्रिंट प्रस्तुत नहीं किया है.
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मंगलवार को संयुक्त संघर्ष समिति ने पौड़ी में पलायन ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग के दफ्तर में तालाबंदी कर दी. समिति के पदाधिकारियों ने कार्यालय के कर्मचारियों को बाहर कर दिया. चेतावनी दी कि जब तक पलायन आयोग के उपाध्यक्ष अपने पौड़ी दफ्तर में आकर समिति के साथ वार्ता नहीं करते, तब तक कार्यालय में ताला बंदी जारी रहेगी.
समिति के संयोजक नमन चंदोला ने कहा कि विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी मिली है कि पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एसएस नेगी पौड़ी गांव स्थित अपने पुस्तैनी घर को बेचकर खुद पलायन कर चुके हैं. संघर्ष समिति ने कर्मचारियों को यह भी चेतावनी दी कि यदि कार्यालय का ताला खोला गया तो किसी भी प्रकार की अनहोनी की जिम्मेदारी प्रशासन और कार्यालय के कर्मचारियों की होगी.
पलायन आयोग का काम: उत्तराखंड के गांवों से पलायन को रोकने के लिए तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 17 सितंबर 2017 को पलायन आयोग का गठन किया था. खुद सीएम इसके अध्यक्ष बने थे. जबकि, एसएस नेगी को इसका उपाध्यक्ष बनाया गया था. इसका मुख्यालय पौड़ी में बनाया गया है. सरकार का मकसद ग्रामीण इलाकों से लगातार हो रहे पलायन को रोकना था. बकायदा लोगों की समस्या जानने को लेकर पलायन आयोग की वेबसाइट भी बनाई गई है.
ये भी पढ़ेंः हरिद्वार जिले में पलायन की हकीकत, 153 ग्राम पंचायतों से 10 साल में 8166 लोग हुए माइग्रेट