वाराणसी: सनातन धर्म में माघ कृष्ण चतुर्थी को श्रीगणेश जी का जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस दिन संकष्ठी श्री गणेश चतुर्थी व्रत करने का शास्त्रीय विधान है. माघ महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली गणेश संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2024) का विशेष महत्व है. कारण यह है कि भगवान गणेश का प्राकट्य माघ महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि पर ही हुआ था. इस वर्ष यह तिथि सर्वार्थसिद्धि योग के साथ 29 जनवरी यानी आज है.
ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी ने बताया कि भगवान श्रीगणेश जी की प्रथम पूज्य विघ्न विनाशक तथा सभी तरह की बाधाओं को दूर करने वाले देवता के रूप में मान्यता है. माघ कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि 28/29 जनवरी को भोर 03 बजकर 55 मिनट पर लगी है जो 30/31 जनवरी को भोर 06:05 मिनट तक रहेगी. चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिथि में चतुर्थी का व्रत रखने का विधान है. इसलिए यह व्रत 29 जनवरी को रखा जाएगा. चंद्रोदय 29 जनवरी को रात्रि 08 बजकर 48 मिनट पर होगा.
तिथि विशेष पर प्रथम पूज्य भगवान गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए व्रतियों को सायंकाल गणेश जी का और चंद्रोदय के समय चंद्रोदय का इस दिन भगवान गणेश को नैवेद्य स्वरूप काला तिल, गुड़, लड्डू, ऋतु फल, दुर्बा इत्यादि अर्पित करें. व्रतियों को चाहिए कि चंद्रोदय से पूर्व गणेश जी का विधिवत पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करें. तदुपरांत रात्रि में चंद्रोदय के समय अर्घ्य दें. इस व्रत को करने से संतति दीर्घायु होते हैं. इसी के साथ व्रतियों के जीवन में आने वाली सभी तरह की बाधाएं दूर होते हैं यह व्रत महिला-पुरुष दोनों के लिए समान रूप से फलदायी है. विद्यार्थियों को भी यह व्रत रखना चाहिए. श्रीगणेश की कृपा से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस अवसर पर काशी के प्रमुख गणेश मंदिरों में विशेष अनुष्ठान किए जाएंगे.
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