शिमला: हिमाचल की राजधानी शिमला के सबसे बड़े उपनगर संजौली की मस्जिद में विवादित निर्माण का मामला उलझता ही जा रहा है. शनिवार को नगर निगम कमिश्नर कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान कई नए खुलासे हुए. मस्जिद कमेटी के 2012 तक मुखिया रहे मोहम्मद लतीफ आज पहली बार कोर्ट में पेश हुए. वहीं, पहले इस मामले में नगर निगम की तरफ से नोटिस सलीम टेलर के नाम जाते रहे. मोहम्मद लतीफ को पहली बार नोटिस जारी हुआ और वे शनिवार को कोर्ट में पेश भी हुए. वक्फ बोर्ड के पास मस्जिद का जिम्मा पिछले साल ही आया है. पहले नोटिस सलीम टेलर के नाम जाते रहे, लेकिन ये सलीम टेलर है कहां, किसी को पता नहीं. सलीम टेलर संजौली में टेलरिंग की दुकान करता है. उसका रोल मामले में अहम है, लेकिन वो कहां है, इस पर कोई जानकारी नहीं है.
वक्फ बोर्ड और सरकार का दावा
वहीं, अब वक्फ बोर्ड इस केस में कूद गया है. शनिवार को वक्फ बोर्ड के वकील ने कोर्ट में कहा कि जिस जमीन पर मस्जिद बनी है, वो वक्फ के नाम है. वहीं, लोकल रेजीडेंट की तरफ से पेश हुए वकील ने दावा किया कि जमीन का मालिकाना हक सरकार के पास है. यही दावा, कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने भी विधानसभा में किया था कि जमीन सरकार की है और वक्फ कब्जाधारी है. लोकल रेजिडेंट यानी संजौली के स्थानीय नागरिकों की तरफ से भी शनिवार को कोर्ट में आवेदन किया गया कि उन्हें भी मामले में पक्ष मानकर उनकी बात सुनी जाए. संजौली के नागरिकों की तरफ से पेश हुए वकील ने दावा किया कि मस्जिद कागजों में गैर मुमकिन के तौर पर दर्ज है. इससे स्पष्ट है कि जमीन सरकार की है.
मोहम्मद लतीफ बोले, अवैध हो तो कार्रवाई होनी चाहिए
मस्जिद कमेटी संजौली के पूर्व मुखिया मोहम्मद लतीफ ने बताया कि वे 2012 तक इस मस्जिद के प्रधान थे. उसके बाद बाहरी लोगों ने मस्जिद की एक लोकल कमेटी गठित की थी. लतीफ ने कहा कि यदि निर्माण गलत हुआ है तो कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि बाहरी लोगों ने मस्जिद कमेटी बनाई, जिसके बाद ही सारा झगड़ा हुआ है. उन्होंने बताया कि मामले में पहली बार उनको नोटिस आया और वे कमिश्नर की अदालत में पेश हुए. हालांकि उन्होंने ये दावा किया कि जमीन वक्फ बोर्ड की है. उन्होंने बताया कि 2012 से पहले मस्जिद कच्ची थी. उन्होंने कहा कि वर्ष 2012 के बाद क्या हुआ, क्या नहीं, उसके बारे में जानकारी नहीं है. वक्फ बोर्ड ने अब सारा रिकार्ड कमिश्नर कोर्ट में पेश कर दिया है.