ETV Bharat / state

पुजारी, मंदिर प्रबंधन के लिए MBA जैसा कोर्स: संपूर्णानंद विवि कराएगा टेंपल मैनेजमेंट में पढ़ाई, 10 से अधिक कोर्सेज

author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 12, 2024, 12:46 PM IST

Updated : Mar 12, 2024, 4:01 PM IST

वाराणसी में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय मंदिर मैनेजमेंट का कोर्स शुरू करने जा रहा है. इसके लिए तैयार पाठ्यक्रम बिलकुल MBA की तरह होगा.

Etv Bharat
Etv Bharat

वाराणसी में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय मंदिर मैनेजमेंट का कोर्स शुरू करने जा रहा है.

वाराणसी : अलग-अलग क्षेत्रों में MBA के कोर्स के बारे में आपने काफी सुना होगा, लेकिन मंदिर प्रबंधन में भी इसी तरह के पाठ्यक्रम के बारे में नहीं पता होगा. दरअसल, वाराणसी स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय मंदिर मैनेजमेंट का कोर्स शुरू करने जा रहा है. इस कोर्स के माध्यम से मंदिर निर्माण से लेकर मंदिर संचालन तक की प्रक्रिया के बारे में बताया जाएगा. इसके लिए विश्वविद्यालय बाकायदा MBA की तरह की एक पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है, जिससे पब्लिक मैनेजमेंट भी सीखा जा सकेगा. यह कोर्स पूरी तरह से ऑनलाइन होगा, जिसे विश्वविद्यालय द्वारा ही संचालित किया जाएगा.

रोजगार परक कई कोर्सेज की शुरुआत

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय इस समय कई तरह के कोर्स ला रहा है. विश्वविद्यालय द्वारा अब तक तमाम ऐसे कोर्सेज की शुरुआत की गई है, जिससे कि उन लोगों को रोजगार पाने में आसानी हो सके, जो किसी कारण से पढ़ाई करने क्लास में नहीं जा सकते हैं. लगभग 10 से अधिक कोर्सेज को ऑनलाइन शुरू किया गया है. इसमें खासकर पंडित-पुजारियों के लिए भी कोर्स तैयार किए गए हैं. अब एक बार फिर नई शुरुआत करते हुए विश्वविद्यालय मंदिर प्रबंधन के लिए कोर्स शुरू करने जा रहा है. इससे न सिर्फ मंदिर मैनेजमेंट सीखा जा सकेगा, बल्कि मंदिर बनने, मंदिर में मूर्ति लगाने आदि संबंधी जानकारी भी ली जा सकेगी.

2 नए सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने का फैसला

कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय ने हाल ही में 10 ऑनलाइन कोर्सेज की शुरुआत की है. उन कोर्सेज की सफलता को देखते हुए दो और सर्टिफिकेट कोर्स तैयार करने का फैसला लिया है. इसमें से एक है मंदिर प्रबंधन. भारत धर्मपरायण देश है. लोगों की आस्था मठ, मंदिरों में रहती है. इसलिए मंदिर प्रबंधन कैसे किया जाए, इसको भी सिखाया जाएगा. जब हम मंदिर प्रबंधन की बात करते हैं तो उसमें केवल बने हुए मंदिरों की बात नहीं होती है.

कोर्स में मंदिर निर्माण से मूर्ति स्थापना तक जानकारी

कुलपति ने कहा कि अगर मंदिर निर्माण भी करना है तो उसे आधारभूत वास्तुशास्त्रीय सिद्धांत और नियम हैं, उनका भी हम ज्ञान देंगे. मंदिर बनने के बाद अगर उसमें मू्र्ति की स्थापना करनी है तो कौन सी और कैसी मूर्ति होनी चाहिए, किस तरफ उसका मुख होना चाहिए, क्या उसकी ऊंचाई होनी चाहिए और उसकी प्राण-प्रतिष्ठा का क्या विधि-विधान होना चाहिए, ये सभी चीजें बारीकी से हम मंदिर प्रबंधन में सिखाएंगे. इस संदर्भ में हमारे आदिशंकराचार्य ने मठामनाय ग्रंथ का निर्माण किया है कि मठ-मंदिरों का प्रबंधन कैसे हो, पुजारी को किन नियमों का पालन करना चाहिए, पुजारी में किन-किन योग्यताओं का होना आवश्यक है.

पाठ्यक्रम में इन बातों का भी ध्यान

प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि इसके साथ ही इस बात की भी जानकारी होगी कि पुजारी किन-किन तरीकों से मंदिर को स्वच्छ, शुद्ध और जागृत भाव में रख पाएं, इस दृष्टि से जो-जो चीजें आवश्यक हैं, वह हम पाठ्यक्रम में शामिल करेंगे. इससे मंदिर में हर प्रकार का जो प्रबंधन है, चाहे वह मंदिर में दर्शनार्थियों की भीड़ हो, उनको कैसे हम व्यावहारिक रूप से नियंत्रित करें, जिससे लोगों को बुरा भी न लगे और व्यवस्थित तरीके से सभी लोग एक जैसे भाव से दर्शन का लाभ भी ले सकें और वहां उचित दर्शन-पूजन की व्यवस्था भी हो सके. इस तरह से प्रबंधन कौशल का विकास पाठ्यक्रम में शामिल करने जा रहे हैं.

शुरुआत में सर्टिफिकेट कोर्स

कुलपति ने बताया कि अभी शुरुआती तौर पर हम इसे सर्टिफिकेट कोर्स के रूप में शुरू करेंगे. इसकी सफलता और इसकी मांग को देखते हुए, उस कोर्स को हम और एडवांस करके आगे बढाएंगे. इस कोर्स को भी ऑनलाइन संचालित किया जाएगा. लोग ऑनलाइन शिक्षा के लिए एडमिशन ले सकेंगे. इसका उद्देश्य ये है कि हम मंदिर प्रबंधन का कौशल भी विकसित कर सकें. काशी सामान्य धरती नहीं है और संपूर्णानंद सामान्य संस्था नहीं है. इसलिए इसका दायित्व भी बड़ा है. वर्तमान में जब भारत सबल और प्रबल दायित्व की ओर बढ़ रहा है तो इस संस्था का भी दायित्व है कि हमारी भारतीय ज्ञान परंपरा को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाए.

कोर्स से जुड़ी खास बातें

- वाराणसी में पहली बार शुरू होगा मंदिर प्रबंधन का पाठ्यक्रम.
- संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय पहली बार शुरू कर रहा है ऐसा पाठ्यक्रम.
- मंदिर प्रबंधन के कोर्स में मंदिर निर्माण से लेकर मैनेजमेंट की चीजें सिखाई जाएंगी.
- संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय इस कोर्स को ऑनलाइन शुरू करने जा रहा है.
- ऑनलाइन शुरू होने वाले इस कोर्स के लिए सर्टिफिकेट दिया जाएगा.

यह भी पढ़ें : पुजारी बनने के लिए कीजिए ये कैप्सूल कोर्स, सैलरी मिलेगी 45 से 90 हजार रुपए महीना

यह भी पढ़ें : IMS BHU Varanasi: 113 सीनियर रेजिडेंट के पद खाली, अब वैकेंसी निकालने की तैयारी

वाराणसी में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय मंदिर मैनेजमेंट का कोर्स शुरू करने जा रहा है.

वाराणसी : अलग-अलग क्षेत्रों में MBA के कोर्स के बारे में आपने काफी सुना होगा, लेकिन मंदिर प्रबंधन में भी इसी तरह के पाठ्यक्रम के बारे में नहीं पता होगा. दरअसल, वाराणसी स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय मंदिर मैनेजमेंट का कोर्स शुरू करने जा रहा है. इस कोर्स के माध्यम से मंदिर निर्माण से लेकर मंदिर संचालन तक की प्रक्रिया के बारे में बताया जाएगा. इसके लिए विश्वविद्यालय बाकायदा MBA की तरह की एक पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है, जिससे पब्लिक मैनेजमेंट भी सीखा जा सकेगा. यह कोर्स पूरी तरह से ऑनलाइन होगा, जिसे विश्वविद्यालय द्वारा ही संचालित किया जाएगा.

रोजगार परक कई कोर्सेज की शुरुआत

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय इस समय कई तरह के कोर्स ला रहा है. विश्वविद्यालय द्वारा अब तक तमाम ऐसे कोर्सेज की शुरुआत की गई है, जिससे कि उन लोगों को रोजगार पाने में आसानी हो सके, जो किसी कारण से पढ़ाई करने क्लास में नहीं जा सकते हैं. लगभग 10 से अधिक कोर्सेज को ऑनलाइन शुरू किया गया है. इसमें खासकर पंडित-पुजारियों के लिए भी कोर्स तैयार किए गए हैं. अब एक बार फिर नई शुरुआत करते हुए विश्वविद्यालय मंदिर प्रबंधन के लिए कोर्स शुरू करने जा रहा है. इससे न सिर्फ मंदिर मैनेजमेंट सीखा जा सकेगा, बल्कि मंदिर बनने, मंदिर में मूर्ति लगाने आदि संबंधी जानकारी भी ली जा सकेगी.

2 नए सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने का फैसला

कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय ने हाल ही में 10 ऑनलाइन कोर्सेज की शुरुआत की है. उन कोर्सेज की सफलता को देखते हुए दो और सर्टिफिकेट कोर्स तैयार करने का फैसला लिया है. इसमें से एक है मंदिर प्रबंधन. भारत धर्मपरायण देश है. लोगों की आस्था मठ, मंदिरों में रहती है. इसलिए मंदिर प्रबंधन कैसे किया जाए, इसको भी सिखाया जाएगा. जब हम मंदिर प्रबंधन की बात करते हैं तो उसमें केवल बने हुए मंदिरों की बात नहीं होती है.

कोर्स में मंदिर निर्माण से मूर्ति स्थापना तक जानकारी

कुलपति ने कहा कि अगर मंदिर निर्माण भी करना है तो उसे आधारभूत वास्तुशास्त्रीय सिद्धांत और नियम हैं, उनका भी हम ज्ञान देंगे. मंदिर बनने के बाद अगर उसमें मू्र्ति की स्थापना करनी है तो कौन सी और कैसी मूर्ति होनी चाहिए, किस तरफ उसका मुख होना चाहिए, क्या उसकी ऊंचाई होनी चाहिए और उसकी प्राण-प्रतिष्ठा का क्या विधि-विधान होना चाहिए, ये सभी चीजें बारीकी से हम मंदिर प्रबंधन में सिखाएंगे. इस संदर्भ में हमारे आदिशंकराचार्य ने मठामनाय ग्रंथ का निर्माण किया है कि मठ-मंदिरों का प्रबंधन कैसे हो, पुजारी को किन नियमों का पालन करना चाहिए, पुजारी में किन-किन योग्यताओं का होना आवश्यक है.

पाठ्यक्रम में इन बातों का भी ध्यान

प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि इसके साथ ही इस बात की भी जानकारी होगी कि पुजारी किन-किन तरीकों से मंदिर को स्वच्छ, शुद्ध और जागृत भाव में रख पाएं, इस दृष्टि से जो-जो चीजें आवश्यक हैं, वह हम पाठ्यक्रम में शामिल करेंगे. इससे मंदिर में हर प्रकार का जो प्रबंधन है, चाहे वह मंदिर में दर्शनार्थियों की भीड़ हो, उनको कैसे हम व्यावहारिक रूप से नियंत्रित करें, जिससे लोगों को बुरा भी न लगे और व्यवस्थित तरीके से सभी लोग एक जैसे भाव से दर्शन का लाभ भी ले सकें और वहां उचित दर्शन-पूजन की व्यवस्था भी हो सके. इस तरह से प्रबंधन कौशल का विकास पाठ्यक्रम में शामिल करने जा रहे हैं.

शुरुआत में सर्टिफिकेट कोर्स

कुलपति ने बताया कि अभी शुरुआती तौर पर हम इसे सर्टिफिकेट कोर्स के रूप में शुरू करेंगे. इसकी सफलता और इसकी मांग को देखते हुए, उस कोर्स को हम और एडवांस करके आगे बढाएंगे. इस कोर्स को भी ऑनलाइन संचालित किया जाएगा. लोग ऑनलाइन शिक्षा के लिए एडमिशन ले सकेंगे. इसका उद्देश्य ये है कि हम मंदिर प्रबंधन का कौशल भी विकसित कर सकें. काशी सामान्य धरती नहीं है और संपूर्णानंद सामान्य संस्था नहीं है. इसलिए इसका दायित्व भी बड़ा है. वर्तमान में जब भारत सबल और प्रबल दायित्व की ओर बढ़ रहा है तो इस संस्था का भी दायित्व है कि हमारी भारतीय ज्ञान परंपरा को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाए.

कोर्स से जुड़ी खास बातें

- वाराणसी में पहली बार शुरू होगा मंदिर प्रबंधन का पाठ्यक्रम.
- संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय पहली बार शुरू कर रहा है ऐसा पाठ्यक्रम.
- मंदिर प्रबंधन के कोर्स में मंदिर निर्माण से लेकर मैनेजमेंट की चीजें सिखाई जाएंगी.
- संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय इस कोर्स को ऑनलाइन शुरू करने जा रहा है.
- ऑनलाइन शुरू होने वाले इस कोर्स के लिए सर्टिफिकेट दिया जाएगा.

यह भी पढ़ें : पुजारी बनने के लिए कीजिए ये कैप्सूल कोर्स, सैलरी मिलेगी 45 से 90 हजार रुपए महीना

यह भी पढ़ें : IMS BHU Varanasi: 113 सीनियर रेजिडेंट के पद खाली, अब वैकेंसी निकालने की तैयारी

Last Updated : Mar 12, 2024, 4:01 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.