झालावाड़. जिले में सोमवार को बड़ी संख्या में महिलाओं ने संतान की दीर्घायु के लिए सकट चौथ व्रत रखा. इस दौरान बड़ा बाजार स्थित चौथ माता मंदिर पर 25 किलो तिल व गुड़ से बने हुए लड्डू का भोग लगाया गया. भगवान गणेश की आरती पूजन में बड़ी संख्या में महिलाएं पहुंची. चौथ व्रत के लिए महिलाएं कई दिनों से तैयारियों में जुटी हुई थी. इस दिन हिंदू विधि विधान में महिलाएं दिनभर निर्जला रहकर शाम को भगवान गणेश का पूजन करती हैं. बाद में चंद्रमा को अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करती हैं. भगवान गणेश को लड्डू अत्यंत प्रिय हैं, ऐसे में 25 किलो तिल व गुड़ से बना लड्डू शहर में चर्चा का विषय बना.
निर्जला व्रत रखती है महिलाएं : चौथ माता मंदिर के पुजारी सत्य प्रकाश शर्मा ने बताया कि जनवरी को माघ माह की चतुर्थी तिथि भगवान श्री गणेश के पूजन के लिए शुभ मानी गई है. हिंदू मान्यता के अनुसार इस दिन महिलाएं अपने संतान की दीर्घायु और सफलता के लिए व्रत रखती हैं. सकट चौथ व्रत के दौरान कुछ महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत यानी बिना पानी पिए व्रत रखती हैं और शाम को भगवान श्री गणेश का पूजन करती हैं. इसके बाद चंद्रमा का दर्शन कर उसे अर्घ्य देकर जल ग्रहण करती हैं. व्रत के फलस्वरूप विघ्न हरण गणेश व्रती महिलाओं की संतानों को रिद्धि-सिद्धि प्रदान करते हैं.
इसे भी पढ़ें- बाणगंगा चौथ माता के मंदिर में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, 2 लाख से ज्यादा भक्तों ने किए दर्शन
तिल चौथ के नाम से मशहूर ये व्रत : उन्होंने बताया कि इस दिन भगवान गणेश को प्रसाद के रूप में तिल-गुड़ से बने हुए व्यंजन का भोग लगाया जाता है. इस दौरान महिलाओं की ओर से नैवेद्य के रूप में तिल व गुड़ से बने लड्डू, ईख, शकरकंद, अमरूद, गुड़ व घी को अर्पित करने का विधान भी है. पुजारी सत्य प्रकाश शर्मा ने बताया कि इस व्रत को सकट चौथ, तिल चौथ और तिलकुट चौथ के नाम से भी जाना जाता है. व्रत को अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है. इसे तिल चौथ, तिलकुट चौथ, माही चौथ, तिलकुटा चौथ, सकट चौथ, वक्र तुण्डी चतुर्थी भी कहते हैं.