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34 साल पहले ली थी 20 रुपये की रिश्वत, अब होगी सिपाही की गिरफ्तारी, सहरसा कोर्ट ने दिया आदेश - Saharsa Court

Saharsa Railway Station : सहरसा में एक हैरान कर देनेवाला मामला सामने आया है, जहां कोर्ट ने 34 साल पुराने एक केस में हलवदार सुरेश प्रसाद को गिरफ्तार करने का आदेश दिया है. हवलदार को 34 साल पहले एक सब्जीवाली से 20 रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में कोर्ट ने गिरफ्तारी का आदेश दिया है, पढ़िये पूरी खबर.

34 साल बाद हवलदार की तलाश
34 साल बाद हवलदार की तलाश (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 6, 2024, 1:26 PM IST

Updated : Sep 6, 2024, 1:58 PM IST

सहरसाः कहा जाता है न कि अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो कानून के लंबे हाथों से बच नहीं सकता.बिहार के सहरसा जिले से आया एक केस इसकी बड़ी बानगी है. दरअसल सहरसा के विशेष निगरानी कोर्ट ने 34 साल बाद 20 रुपये की रिश्वत लेने के आरोपी एक हवलदार की गिरफ्तारी का आदेश जारी किया है.

सब्जी बेचनेवाली महिला से ली थी घूसः आरोप के मुताबिक हवलदार सुरेश प्रसाद ने 6 मई 1990 को सब्जी बेचनेवाली एक महिला से सहरसा रेलवे प्लेटफॉर्म पर 20 रुपये की रिश्वत ली थी. तब तत्कालीन सहरसा रेल थानाध्यक्ष ने पुलिस टीम के साथ 6 मई 1990 को सीता देवी से वर्दी में ड्यूटी के समय 20 रुपये की रिश्वत लेते हुए आरोपी हवलदार को गिरफ्तार किया था.

सब्जीवाली से ली थी 20 रुपये की रिश्वत
सब्जीवाली से ली थी 20 रुपये की रिश्वत (ETV BHARAT)

जमानत मिलने के बाद नहीं आया कोर्टः बताया जा रहा है कि उस समय गिरफ्तार हवलदार ने चालाकी से अपना पता सहरसा के महेशखूंट लिखवाया था. जबकि वह तत्कालीन मुंगेर और अब लखीसराय जिले के बड़हिया स्थित बिजॉय गांव में रहता है. मामले में जमानत मिलने के बाद सुरेश सिंह कभी कोर्ट नहीं आया. वो पूरी तरह बेफिक्र था कि उसने गलत पता लिखवाया है तो उसे कोई ढूंढ नहीं पाएगा.

1999 में जारी हुआ था गिरफ्तारी वारंटः तारीख दर तारीख पेशी में नहीं आने पर कोर्ट ने 1999 में उसका बेल बांड कैंसिल कर गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. कुर्की आदेश भी जारी हुआ लेकिन उसका कहीं कुछ पता नहीं चल पाया. कोई भी आदेश तामील नहीं हो पा रहा था. ऐसे में सर्विस बुक की जांच के दौरान यह बात पकड़ में आई कि हवलदार ने फर्जी पता लिखवाया था.

अब कोर्ट ने दिया गिरफ्तारी का आदेशः लेकिन कहते है न कि कानून के हाथ लंबे होते है. अपराधी कोई न कोई सबूत छोड़ता है और आखिर पकड़ा जाता है. आखिरकार हवलदार की पोल खुल गयी और अब सहरसा के विशेष निगरानी जज सुदेश श्रीवास्तव ने बिहार डीजीपी को पत्र जारी कर ये निर्देश दिया है कि ''आरोपी फरार हवलदार को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जाए.''

कोर्ट ने दिया गिरफ्तारी का आदेश
कोर्ट ने दिया गिरफ्तारी का आदेश (ETV BHARAT)

सीता देवी को मिलेगा इंसाफ ?: निश्चित तौर पर 34 साल के बाद 20 रुपये की घूस के मामले में आरोपी हलवदार को गिरफ्तार करने का आदेश अपराधियों के लिए कड़ा संदेश है, लेकिन साथ ही ये हमारी न्याय-प्रणाली पर बड़ा सवाल भी है. सवाल कि आखिर 20 साल की रिश्वत का केस इतना लंबा कैसे खिंचा और कोर्ट अपने फैसले से महेशखूंट झिटकिया की रहनेवाली पीड़ित सीता देवी के साथ कितना न्याय कर सका ?

ये भी पढ़ेंः सहरसा में तीन दिन से लापता युवक का रेलवे ट्रैक किनारे मिला शव, परिजनों में मचा कोहराम - dead body found on railway track

ये भी पढ़ेंः बिहार में डबल मर्डर से सनसनी, अपराधियों ने मां बेटी को चाकुओं से किया छलनी, हत्यारे अब भी पुलिस की पकड़ से दूर - Saharsa Double murder

सहरसाः कहा जाता है न कि अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो कानून के लंबे हाथों से बच नहीं सकता.बिहार के सहरसा जिले से आया एक केस इसकी बड़ी बानगी है. दरअसल सहरसा के विशेष निगरानी कोर्ट ने 34 साल बाद 20 रुपये की रिश्वत लेने के आरोपी एक हवलदार की गिरफ्तारी का आदेश जारी किया है.

सब्जी बेचनेवाली महिला से ली थी घूसः आरोप के मुताबिक हवलदार सुरेश प्रसाद ने 6 मई 1990 को सब्जी बेचनेवाली एक महिला से सहरसा रेलवे प्लेटफॉर्म पर 20 रुपये की रिश्वत ली थी. तब तत्कालीन सहरसा रेल थानाध्यक्ष ने पुलिस टीम के साथ 6 मई 1990 को सीता देवी से वर्दी में ड्यूटी के समय 20 रुपये की रिश्वत लेते हुए आरोपी हवलदार को गिरफ्तार किया था.

सब्जीवाली से ली थी 20 रुपये की रिश्वत
सब्जीवाली से ली थी 20 रुपये की रिश्वत (ETV BHARAT)

जमानत मिलने के बाद नहीं आया कोर्टः बताया जा रहा है कि उस समय गिरफ्तार हवलदार ने चालाकी से अपना पता सहरसा के महेशखूंट लिखवाया था. जबकि वह तत्कालीन मुंगेर और अब लखीसराय जिले के बड़हिया स्थित बिजॉय गांव में रहता है. मामले में जमानत मिलने के बाद सुरेश सिंह कभी कोर्ट नहीं आया. वो पूरी तरह बेफिक्र था कि उसने गलत पता लिखवाया है तो उसे कोई ढूंढ नहीं पाएगा.

1999 में जारी हुआ था गिरफ्तारी वारंटः तारीख दर तारीख पेशी में नहीं आने पर कोर्ट ने 1999 में उसका बेल बांड कैंसिल कर गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. कुर्की आदेश भी जारी हुआ लेकिन उसका कहीं कुछ पता नहीं चल पाया. कोई भी आदेश तामील नहीं हो पा रहा था. ऐसे में सर्विस बुक की जांच के दौरान यह बात पकड़ में आई कि हवलदार ने फर्जी पता लिखवाया था.

अब कोर्ट ने दिया गिरफ्तारी का आदेशः लेकिन कहते है न कि कानून के हाथ लंबे होते है. अपराधी कोई न कोई सबूत छोड़ता है और आखिर पकड़ा जाता है. आखिरकार हवलदार की पोल खुल गयी और अब सहरसा के विशेष निगरानी जज सुदेश श्रीवास्तव ने बिहार डीजीपी को पत्र जारी कर ये निर्देश दिया है कि ''आरोपी फरार हवलदार को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जाए.''

कोर्ट ने दिया गिरफ्तारी का आदेश
कोर्ट ने दिया गिरफ्तारी का आदेश (ETV BHARAT)

सीता देवी को मिलेगा इंसाफ ?: निश्चित तौर पर 34 साल के बाद 20 रुपये की घूस के मामले में आरोपी हलवदार को गिरफ्तार करने का आदेश अपराधियों के लिए कड़ा संदेश है, लेकिन साथ ही ये हमारी न्याय-प्रणाली पर बड़ा सवाल भी है. सवाल कि आखिर 20 साल की रिश्वत का केस इतना लंबा कैसे खिंचा और कोर्ट अपने फैसले से महेशखूंट झिटकिया की रहनेवाली पीड़ित सीता देवी के साथ कितना न्याय कर सका ?

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Last Updated : Sep 6, 2024, 1:58 PM IST
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