सागर। कुछ लोग इसे चमत्कार मान रहे हैं. दरअसल सागर भोपाल मार्ग पर राहतगढ से गुजरने वाली बीना नदी पर बरसाती जलप्रपात है. बरसात के मौसम में जलप्रपात को देखने के लिए हजारों की भीड़ उमड़ती है. बारिश के बाद बीना नदी में पानी कम हो जाने के कारण जल प्रपात सूख जाता है. लेकिन इस साल पतझड के मौसम में जलप्रपात में फिर पानी आ जाने के कारण एक बार फिर राहतगढ का जलप्रपात गुलजार हो गया है और दूर-दूर से लोग जलप्रपात देखने के लिए पहुंच रहे हैं.
पतझड़ में आई बरसाती जलप्रपात में पानी की धार
सागर-भोपाल मार्ग पर राहतगढ़ में बीना नदी का जलप्रपात इन दिनों सुर्खियों में है. इसकी वजह ये है कि पतझड़ के मौसम में जलप्रपात में एक बार फिर पानी आ गया है. क्योंकि राहतगढ़ का जलप्रपात एक तरह से बरसाती जलप्रपात है और बारिश में जब नदी पानी से लबालब भरी होती है, तब ये जलप्रपात आकर्षण का केंद्र होता है. बरसात के बाद नदी में पानी कम होते ही जलप्रपात सूखने लगता है और सर्दी के जोर पकड़ते ही ये जलप्रपात एक तरफ से गुम हो जाता है. लेकिन इन दिनों राहतगढ़ जलप्रपात में फिर पानी आ जाने के कारण पर्यटकों की संख्या बढ़ गयी है.
आखिर क्यों जलप्रपात से निकली पानी की धार
जब हमने इस बारे में जानकारी जुटायी, तो पता चला कि राहतगढ़ कस्बे सहित पड़ीसी खुरई नगरपालिका में पेयजल वितरण के लिए बीना नदी से पानी जाता है. इस साल गरमी के पहले ही खुरई नगरपालिका में पानी की किल्लत हो गयी है. ऐसे में बीना नदी पर बने मडिया बांध से पानी छोड़ने के निर्देश जिला कलेक्टर ने दिए. जिला कलेक्टर के आदेश पर लगभग 2.395 मिलियन घन मीटर पानी छोड़ा गया, जो मडिया बांध से खुरई तक करीब एक हफ्ते में पहुंचेगा. हालांकि इसके लिए बांध के गेट नहीं खोले गए हैं. बांध की बीम के नीचे पाइप के माध्यम से शुक्रवार दोपहर को पानी छोडा़गया है. कुछ ही घंटों में ये पानी राहतगढ़ जलप्रपात पहुंच गया और धीरे-धीरे करके जलप्रपात से धार निकलने लगी, जो दूसरे दिन तक बरसात की तरह तेज हो गयी.
क्या कहना है अधिकारियों का
जल निगम इंजीनियर गजेंद्र सिंह राजपूत ने बताया कि ''जो मडिया बांध बना हुआ है, इस बांध से सुरखी विधानसभा के लिए पेयजल वितरण किया जाता है. सुरखी विधानसभा के लिए रिजर्व में पानी होने के कारण खुरई में जलसंकट की स्थिति में पानी छोडा गया है. खुरई के लिए पानी छोडे़ जाने से सुरखी की पेयजल व्यवस्था पर कोई असर नहीं पडे़गा.''
उमड़ी सैलानियों की भीड़
राहतगढ़ जलप्रपात में पानी आ जाने से एक बार फिर इलाका सैलानियों से गुलजार हो गया है. सागर, विदिशा और रायसेन जिले के लोग खबर को सुनते ही देखने के लिए पहुंच रहे हैं. गुलाबी सर्दी के मौसम में सैलानी जलप्रपात पर सैल्फी ले रहे हैं. पर्यटकों का कहना है कि "अगर राहतगढ़ जलप्रपात में 12 महीने पानी रहे, तो राहतगढ़ एक बड़ा पर्यटन केंद्र बन जाएगा. क्योंकि यहीं पर ऐतिहासिक किला, बाबा विश्वनाथ का प्राचीन मंदिर है.