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बुंदेलखंड में वृंदावन का नजारा, हर कोई बिहारी जी के रंग में रंगने के लिए बेताब नजर आया - Bundelkhand Bihariji radharani holi

बुंदेलखंड के वृंदावन कही जाने वाली सागर के सराफा बाजार की अपनी विशिष्ट पहचान है. यहां बिहारीजी,राधारानी के साथ होली के लिए गर्भ गृह से बाहर आते हैं. यहां हर भक्त उनके रंग में रंगने के लिए बेताब दिखता है.

BIHARIJI HOLI SARAFA
गर्भगृह से बाहर निकल होली मनाते हैं बिहारी जी
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 26, 2024, 2:21 PM IST

बुंदेलखंड में वृंदावन का नजारा

सागर। होली के त्यौहार में वृंदावन की चर्चा ना हो ऐसा हो नहीं सकता है क्योंकि होली की पहचान वृंदावन की होली से ही है. बुंदेलखंड में भी होली के अवसर पर वृंदावन सा नजारा देखने मिलता है. सागर शहर के सराफा बाजार की होली देखने लायक होती है. इस इलाके को बुंदेलखंड के वृंदावन के नाम से जाना जाता है. यहां पर लगभग हर संप्रदाय के राधा कृष्ण मंदिर मौजूद है. होली के अवसर पर सराफा बाजार के बिहारी जी मंदिर की होली पूरे बुंदेलखंड में प्रसिद्ध है, क्योंकि इस दिन बिहारी जी सरकार राधा रानी के साथ अपने भक्तों के संग होली खेलने सफेद कपड़े धारण करके गर्भ गृह से बाहर निकलते हैं. सफेद कपड़े और रंग गुलाल से रंगे बिहारी जी और राधा की अद्भुत छवि देखकर उनके भक्त भाव विभोर हो जाते हैं और सतरंगी रंगों में बिहारी जी का आशीर्वाद पाने के लिए झूम उठते हैं.

होली पर विशेष परंपरा

सागर के सराफा बाजार में स्थित बिहारी जी के मंदिर में होली की परंपरा काफी पुरानी है. मंदिर के सहायक पुजारी महेंद्र पाराशर बताते हैं कि "होली के अवसर पर बिहारी जी मंदिर में पिछली पांच पीढ़ियों से उत्सव की परंपरा चली आ रही है. हमारे ठाकुर जी धुरेड़ी और रंग पंचमी का त्यौहार विशेष रूप से उत्सव के रूप में मनाते हैं। यहां आपको ब्रज की होली की झलक देखने मिलेगी. यह इलाका वृंदावन के नाम से प्रसिद्ध है. जिस तरह वृंदावन में होली की विशेष परंपरा है ठीक इसी तरह बिहारी जी सरकार मंदिर में होली की काफी प्राचीन परंपरा है. यहां होली के त्यौहार में धुरेड़ी और रंगपंचमी के दिन ठाकुर जी राधारानी के साथ अपने भक्तों संग होली मनाते हैं। इस अवसर पर जमकर रंग गुलाल उड़ता है और भक्त ठाकुर जी की भक्ति में भाव विभोर हो जाते हैं".

गर्भगृह से बाहर निकल होली मनाते हैं बिहारी जी

सहायक पुजारी महेंद्र पाराशर बताते हैं कि "बिहारी जी सरकार और राधा रानी विशेष अवसर पर ही गर्भगृह
से बाहर निकलते हैं. शरद पूर्णिमा और विशेष एकादशी के अलावा बिहारी जी और राधा रानी सरकार धुरेड़ी और रंग पंचमी पर गर्भगृह से बाहर निकलते हैं. इस अवसर पर उनका विशेष श्रृंगार होता है."

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पुजारी जी भक्तों पर लुटाते हैं रंग और गुलाल

गर्भगृह से राधा रानी और बिहारी जी के बाहर आने के बाद उनकी विशेष आरती की जाती है और फिर उन्हें परंपरा अनुसार रंग और गुलाल लगाया जाता है. इसके बाद मंदिर के पुजारी मंदिर भक्तों के लिए टेसू के फूल से बने रंग की पिचकारी से रंग लगाते हैं और गुलाल उड़ाते हैं. बिहारी जी सरकार और राधा रानी सरकार का रंग धारण करने के लिए भक्तों में होड़ लग जाती है।.भक्तों पर बिहारी जी की पिचकारी का रंग और गुलाल आ जाता है,तो वह अपने आप को धन्य समझता है.

बुंदेलखंड में वृंदावन का नजारा

सागर। होली के त्यौहार में वृंदावन की चर्चा ना हो ऐसा हो नहीं सकता है क्योंकि होली की पहचान वृंदावन की होली से ही है. बुंदेलखंड में भी होली के अवसर पर वृंदावन सा नजारा देखने मिलता है. सागर शहर के सराफा बाजार की होली देखने लायक होती है. इस इलाके को बुंदेलखंड के वृंदावन के नाम से जाना जाता है. यहां पर लगभग हर संप्रदाय के राधा कृष्ण मंदिर मौजूद है. होली के अवसर पर सराफा बाजार के बिहारी जी मंदिर की होली पूरे बुंदेलखंड में प्रसिद्ध है, क्योंकि इस दिन बिहारी जी सरकार राधा रानी के साथ अपने भक्तों के संग होली खेलने सफेद कपड़े धारण करके गर्भ गृह से बाहर निकलते हैं. सफेद कपड़े और रंग गुलाल से रंगे बिहारी जी और राधा की अद्भुत छवि देखकर उनके भक्त भाव विभोर हो जाते हैं और सतरंगी रंगों में बिहारी जी का आशीर्वाद पाने के लिए झूम उठते हैं.

होली पर विशेष परंपरा

सागर के सराफा बाजार में स्थित बिहारी जी के मंदिर में होली की परंपरा काफी पुरानी है. मंदिर के सहायक पुजारी महेंद्र पाराशर बताते हैं कि "होली के अवसर पर बिहारी जी मंदिर में पिछली पांच पीढ़ियों से उत्सव की परंपरा चली आ रही है. हमारे ठाकुर जी धुरेड़ी और रंग पंचमी का त्यौहार विशेष रूप से उत्सव के रूप में मनाते हैं। यहां आपको ब्रज की होली की झलक देखने मिलेगी. यह इलाका वृंदावन के नाम से प्रसिद्ध है. जिस तरह वृंदावन में होली की विशेष परंपरा है ठीक इसी तरह बिहारी जी सरकार मंदिर में होली की काफी प्राचीन परंपरा है. यहां होली के त्यौहार में धुरेड़ी और रंगपंचमी के दिन ठाकुर जी राधारानी के साथ अपने भक्तों संग होली मनाते हैं। इस अवसर पर जमकर रंग गुलाल उड़ता है और भक्त ठाकुर जी की भक्ति में भाव विभोर हो जाते हैं".

गर्भगृह से बाहर निकल होली मनाते हैं बिहारी जी

सहायक पुजारी महेंद्र पाराशर बताते हैं कि "बिहारी जी सरकार और राधा रानी विशेष अवसर पर ही गर्भगृह
से बाहर निकलते हैं. शरद पूर्णिमा और विशेष एकादशी के अलावा बिहारी जी और राधा रानी सरकार धुरेड़ी और रंग पंचमी पर गर्भगृह से बाहर निकलते हैं. इस अवसर पर उनका विशेष श्रृंगार होता है."

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पुजारी जी भक्तों पर लुटाते हैं रंग और गुलाल

गर्भगृह से राधा रानी और बिहारी जी के बाहर आने के बाद उनकी विशेष आरती की जाती है और फिर उन्हें परंपरा अनुसार रंग और गुलाल लगाया जाता है. इसके बाद मंदिर के पुजारी मंदिर भक्तों के लिए टेसू के फूल से बने रंग की पिचकारी से रंग लगाते हैं और गुलाल उड़ाते हैं. बिहारी जी सरकार और राधा रानी सरकार का रंग धारण करने के लिए भक्तों में होड़ लग जाती है।.भक्तों पर बिहारी जी की पिचकारी का रंग और गुलाल आ जाता है,तो वह अपने आप को धन्य समझता है.

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