सागर: पिछले 47 महीनों से सिर्फ नर्मदा जल ग्रहण कर मां नर्मदा और पर्यावरण की सेवा में जीवन समर्पित कर चुके भैया जी सरकार सोमवार को निजी कार्यक्रम में सागर पहुंचे. यहां उन्होंने वृक्षारोपण किया और अपने भक्तों को संबोधित किया. उन्होंने कहा है, " बुंदेलखंड मां नर्मदा का प्राण क्षेत्र है. बुंदेलखंड से सिर्फ मध्य भारत की नहीं, बल्कि संपूर्ण भारत की सांसें चलती हैं. अगर भारत की सांसों का एहसास करना है तो बुंदेलखंड आओ."
बुंदेलखंड को धैर्य और शौर्य का प्रतीक बताया
मां नर्मदा के भक्त दादा गुरु ने कहा, " बुंदेलखंड की माटी और सागर को जब भी हम छूते हैं, तो मुझे लाखा बंजारा की झील नजर आती हैं. लाखा बंजारा का त्याग और समर्पण याद आता है. बुंदेलखंड की माटी, जो शौर्य और धैर्य का प्रतीक है. बुंदेलखंड की माटी के लिए, बेतवा के लिए, पर्वतमालाओं के लिए और उस जीवन धारा के लिए हम सागर फिर आएंगे."
'साधु-संत और ज्ञानी सब करते हैं नर्मदा की परिक्रमा'
उन्होंने आगे कहा, "भगवती मां नर्मदा के दर्शन मात्र से जीवों का कल्याण हो जाता है. संपूर्ण पृथ्वी मंडल में एक दिव्य शक्ति के रूप में प्रकट हुई नर्मदा के पथ पर चलना साधना कहलाती है. साधु-संत, ज्ञानी- विज्ञानी सब नर्मदा मैया की परिक्रमा करते हैं. यहां चलने से व्यक्तित्व का निर्माण होता है. यह युग निर्माण का पथ है. इस पर चलने से देवता पूर्वज सभी संतुष्ट हो जाते हैं. इस पर चलने से परमात्मा और आत्मा से साक्षात्कार हो जाता है."
बुंदेलखंड मां नर्मदा का प्राण क्षेत्र
समर्थ दादा गुरु ने कहा, "बुंदेलखंड का संबंध मां नर्मदा और नर्मदा अंचल से बड़ा गहरा है. यहां नौरादेही के अभ्यारण्य हैं, जहां नर्मदा की शक्तियां विचरण करती हैं. यह मां नर्मदा का प्राण क्षेत्र है. बुंदेलखंड मध्य भारत का नहीं, बल्कि संपूर्ण भारत की सांसे यहां से चलती हैं. इन सांसों का एहसास करना है, तो बुंदेलखंड और बुंदेलखंड की पर्वतमाला और अभ्यारण को देखो."