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समर्थ दादा गुरु भैया जी सरकार पहुंचे सागर, बुंदेलखंड को बताया नर्मदा का प्राण क्षेत्र - Bhaiya ji sarkar in Sagar

भगवती मां नर्मदा के भक्त समर्थ दादा गुरु भैया जी सरकार सोमवार को सागर पहुंचे थे. यहां वे एक निजी कार्यक्रम में शामिल हुए. जहां उन्होंने वृक्षारोपण किया और भक्तों को संबोधित किया. उन्होंने बुंदेलखंड को नर्मदा का प्राण क्षेत्र बताया और कहा कि पूरे भारत की सांसे यहां से चलती है.

SAMARTH GURU PLANTED TREE
समर्थ दादा गुरु ने सागर में किया वृक्षारोपण (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 17, 2024, 10:06 AM IST

Updated : Sep 17, 2024, 10:49 AM IST

सागर: पिछले 47 महीनों से सिर्फ नर्मदा जल ग्रहण कर मां नर्मदा और पर्यावरण की सेवा में जीवन समर्पित कर चुके भैया जी सरकार सोमवार को निजी कार्यक्रम में सागर पहुंचे. यहां उन्होंने वृक्षारोपण किया और अपने भक्तों को संबोधित किया. उन्होंने कहा है, " बुंदेलखंड मां नर्मदा का प्राण क्षेत्र है. बुंदेलखंड से सिर्फ मध्य भारत की नहीं, बल्कि संपूर्ण भारत की सांसें चलती हैं. अगर भारत की सांसों का एहसास करना है तो बुंदेलखंड आओ."

देखें वीडियो (ETV Bharat)

बुंदेलखंड को धैर्य और शौर्य का प्रतीक बताया

मां नर्मदा के भक्त दादा गुरु ने कहा, " बुंदेलखंड की माटी और सागर को जब भी हम छूते हैं, तो मुझे लाखा बंजारा की झील नजर आती हैं. लाखा बंजारा का त्याग और समर्पण याद आता है. बुंदेलखंड की माटी, जो शौर्य और धैर्य का प्रतीक है. बुंदेलखंड की माटी के लिए, बेतवा के लिए, पर्वतमालाओं के लिए और उस जीवन धारा के लिए हम सागर फिर आएंगे."

'साधु-संत और ज्ञानी सब करते हैं नर्मदा की परिक्रमा'

उन्होंने आगे कहा, "भगवती मां नर्मदा के दर्शन मात्र से जीवों का कल्याण हो जाता है. संपूर्ण पृथ्वी मंडल में एक दिव्य शक्ति के रूप में प्रकट हुई नर्मदा के पथ पर चलना साधना कहलाती है. साधु-संत, ज्ञानी- विज्ञानी सब नर्मदा मैया की परिक्रमा करते हैं. यहां चलने से व्यक्तित्व का निर्माण होता है. यह युग निर्माण का पथ है. इस पर चलने से देवता पूर्वज सभी संतुष्ट हो जाते हैं. इस पर चलने से परमात्मा और आत्मा से साक्षात्कार हो जाता है."

ये भी पढ़ें:

पर्यावरण बचाने में जुटे साधक समर्थ दादा गुरु, 35 महीने से सिर्फ नर्मदा के जल पर आश्रित, 2.5 लाख किमी की कर चुके पदयात्रा

नर्मदा शुद्धिकरण के लिए 76 दिनों से सत्याग्रह कर रहे भैया जी सरकार

बुंदेलखंड मां नर्मदा का प्राण क्षेत्र

समर्थ दादा गुरु ने कहा, "बुंदेलखंड का संबंध मां नर्मदा और नर्मदा अंचल से बड़ा गहरा है. यहां नौरादेही के अभ्यारण्य हैं, जहां नर्मदा की शक्तियां विचरण करती हैं. यह मां नर्मदा का प्राण क्षेत्र है. बुंदेलखंड मध्य भारत का नहीं, बल्कि संपूर्ण भारत की सांसे यहां से चलती हैं. इन सांसों का एहसास करना है, तो बुंदेलखंड और बुंदेलखंड की पर्वतमाला और अभ्यारण को देखो."

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बुंदेलखंड को धैर्य और शौर्य का प्रतीक बताया

मां नर्मदा के भक्त दादा गुरु ने कहा, " बुंदेलखंड की माटी और सागर को जब भी हम छूते हैं, तो मुझे लाखा बंजारा की झील नजर आती हैं. लाखा बंजारा का त्याग और समर्पण याद आता है. बुंदेलखंड की माटी, जो शौर्य और धैर्य का प्रतीक है. बुंदेलखंड की माटी के लिए, बेतवा के लिए, पर्वतमालाओं के लिए और उस जीवन धारा के लिए हम सागर फिर आएंगे."

'साधु-संत और ज्ञानी सब करते हैं नर्मदा की परिक्रमा'

उन्होंने आगे कहा, "भगवती मां नर्मदा के दर्शन मात्र से जीवों का कल्याण हो जाता है. संपूर्ण पृथ्वी मंडल में एक दिव्य शक्ति के रूप में प्रकट हुई नर्मदा के पथ पर चलना साधना कहलाती है. साधु-संत, ज्ञानी- विज्ञानी सब नर्मदा मैया की परिक्रमा करते हैं. यहां चलने से व्यक्तित्व का निर्माण होता है. यह युग निर्माण का पथ है. इस पर चलने से देवता पूर्वज सभी संतुष्ट हो जाते हैं. इस पर चलने से परमात्मा और आत्मा से साक्षात्कार हो जाता है."

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बुंदेलखंड मां नर्मदा का प्राण क्षेत्र

समर्थ दादा गुरु ने कहा, "बुंदेलखंड का संबंध मां नर्मदा और नर्मदा अंचल से बड़ा गहरा है. यहां नौरादेही के अभ्यारण्य हैं, जहां नर्मदा की शक्तियां विचरण करती हैं. यह मां नर्मदा का प्राण क्षेत्र है. बुंदेलखंड मध्य भारत का नहीं, बल्कि संपूर्ण भारत की सांसे यहां से चलती हैं. इन सांसों का एहसास करना है, तो बुंदेलखंड और बुंदेलखंड की पर्वतमाला और अभ्यारण को देखो."

Last Updated : Sep 17, 2024, 10:49 AM IST
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