सागर। मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के संभागीय मुख्यालय सागर लोकसभा सीट की बात करें, तो इसकी पहचान सागर के दानवीर डाॅ हरीसिंह गौर के महादान से बनी यूनिवर्सटी को लेकर है. जिसे अब केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिल चुका है. इसके अलावा लाखा बंजारा झील, जवाहरलाल नेहरू पुलिस अकादमी और सेना की छावनी के अलावा मध्यप्रदेश की स्टेट फोरेंसिक और डीएनए लैब भी सागर में स्थित है. सागर लोकसभा सीट की बात करें, तो ये सीट देश के पहले चुनाव से कायम है और फिलहाल भाजपा के अभेद गढ़ के रूप में जानी जाती है.
सागर लोकसभा सीट
सागर लोकसभा सीट में सागर की पांच और विदिशा की तीन विधानसभा शामिल है. जिनमें सागर की सागर, नरयावली, बीना, खुरई और सुरखी है सीट है. इसके अलावा विदिशा की सिंरौज, शमशाबाद और कुरवाई शामिल है. सागर लोकसभा सीट के कुल मतदाताओं की संख्या 15 लाख 83 हजार 92 हैं. जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 7 लाख 41 हजार 823 है. वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 8 लाख 41 हजार 269 है और थर्ड जेंडर मतदाता 37 हैं.
सागर लोकसभा सीट एक नजर
सागर लोकसभा सीट की बात करें, तो देश में हुए पहले आम चुनाव से ये सीट अस्तित्व में है. 1951 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में सागर सीट से कांग्रेस के खूबचंद्र सोदिया ने जीत हासिल की थी. 1957 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने गोवा मुक्ति आंदोलन की नायिका सहोद्राबाई राय को यहां से प्रत्याशी बनाया था और उन्होंने जीत हासिल की थी. 1962 में भी कांग्रेस के ज्वालाप्रसाद ज्योतिषी सांसद बने. 1967 में कांग्रेस का तिलिस्म सागर से टूट गया और पहली बार भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार रामसिंह अहिरवार ने जीत हासिल की. कांग्रेस ने अपनी सीट हासिल करने फिर 1971 में सहोद्राराय को उम्मीदवार बनाया और फिर चुनाव जीतन में कामयाब रहीं.
साल 1977 में परिसीमन के बाद सागर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गयी. 1977 में एक बार फिर जनता पार्टी के नर्मदा प्रसाद राय चुनाव जीते और 1980 में फिर सहोद्रा राय उम्मीदवार बनीं और चुनाव जीतीं, लेकिन 1981 में उनके निधन के कारण उपचुनाव हुए और भाजपा के आरपी अहिरवार चुनाव जीत गए. 1984 में एक बार फिर कांग्रेस के नंदलाल चौधरी ने जीत हासिल की, लेकिन 1989 में भाजपा के शंकरलाल खटीक चुनाव जीत गए और 1991 में कांग्रेस के आनंद अहिरवार ने जीत हासिल की. इसके बाद कांग्रेस को सागर सीट जीतना एक सपना ही रहा है. 1996 से लेकर 1998,1999 और 2004 में भाजपा के वीरेन्द्र खटीक लगातार चुनाव जीते. 2008 में सागर लोकसभा सीट अनारक्षित हो गयी. इसके बाद भाजपा के ही 2009 में भूपेन्द्र सिंह, 2014 में लक्ष्मीनारायण यादव और 2019 में राजबहादुर सिंह लगातार चुनाव जीते.
लोकसभा चुनाव 2009
लोकसभा चुनाव 2009 में भाजपा ने अपने पूर्व विधायक भूपेन्द्र सिंह को सागर से उम्मीदवार बनाया. जिन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी हाॅकी ओलंपियन को टिकट दिया और कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. भाजपा के भूपेन्द्र सिंह ने 3 लाख 23 हजार 954 वोट हासिल किए. वहीं कांग्रेस के असलम शेर खान को सिर्फ 1 लाख 92 हजार 786 वोट मिले. इस तरह असलम शेर खान 1 लाख 31 हजार 168 मतों से चुनाव हार गए.
लोकसभा चुनाव 2014
लोकसभा चुनाव 2014 में सागर से भाजपा के लक्ष्मी नारायण यादव चुनाव जीतने में कामयाब रहे. उन्होंने 4 लाख 82 हजार 580 मत हासिल करे. जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के गोविंद सिंह राजपूत को 3 लाख 61 हजार 843 मत हासिल हुए. इस तरह बीजेपी के लक्ष्मीनारायण यादव कांग्रेस के गोविंद सिंह राजपूत को 1 लाख 20 हजार 737 मतों से हराने में कामयाब रहे.
लोकसभा चुनाव 2019
लोकसभा चुनाव 2019 में फिर भाजपा ने सागर से जीत हासिल की. भाजपा के 6 लाख 46 हजार 231 मत हासिल करने में कामयाब रहे और कांग्रेस के प्रभुसिंह ठाकुर को 3 लाख 40 हजार 689 मत मिले. इस तरह कांग्रेस के प्रभु सिंह ठाकुर 3 लाख 5 हजार 542 मतों से चुनाव हार गए.
सागर लोकसभा सीट के जातीय समीकरण
सागर संसदीय सीट की बात करें, तो इस सीट पर अनुसूचित जाति मतदाता के अलावा ओबीसी और ब्राह्मण और ठाकुर मतदाताओं की बहुलता है. इसके अलावा विदिशा जिले की सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अच्छी होने का कारण मुस्लिम मतदाता भी प्रभावशाली भूमिका निभाता है. सागर लोकसभा सीट में करीब ढाई से तीन लाख अनुसूचित जाति के मतदाता और करीब ढाई लाख मतदाता ओबीसी वर्ग से आते हैं. सागर और विदिशा जिले के ब्राह्मण और ठाकुर मतदाता भी इस सीट पर जीत हार में अहम भूमिका निभाते हैं. इसके अलावा विदिशा जिले की सिंरौज, शमशाबाद, कुरवाई और सागर की सुरखी विधानसभा के राहतगढ़ कस्बे में मुस्लिम मतदाता भी अच्छी संख्या में हैं. सागर लोकसभा में 70 फीसदी आबादी ग्रामीण और 30 फीसदी आबादी शहरी है.
चुनावी मुद्दे
सागर संसदीय सीट की बात करें, तो कृषि प्रधान इस इलाके में सिंचाई सुविधाओं के अभाव के चलते किसान को मजदूरी कर अपनी रोजी रोटी कमानी होती है. ऐसे में बुंदेलखंड के दूसरे जिलों की तरह सागर का बड़ा तबका बडे़ शहरों की तरफ पलायन करता है. औद्योगिकीकरण के नजरिए से देखा जाए तो मध्यप्रदेश की इकलौती रिफायनरी बीना रिफायनरी सागर संसदीय सीट में स्थित है, लेकिन रोजगार के मामले में यहां के लोगों को कोई खास अवसर हासिल नहीं हुए हैं. बीना रिफाइनरी के कारण बीना कस्बे के लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार जरूर हासिल हुआ है. इतनी बड़ी रिफायनरी सागर से बेरोजगारी और पलायन की समस्या को खत्म नहीं कर पायी है. यहां पर दलित अत्याचार और पिछड़ापन अभी भी समस्या है. हालांकि संभागीय मुख्यालय सागर में केंद्रीय और राजकीय विश्वविद्यालय के साथ मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज भी है.
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टिकट के दावेदार
सागर लोकसभा सीट से भाजपा ने अपना प्रत्याशी मध्य प्रदेश राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष लता वानखेडे़ को बनाया है. जातीय समीकरण के आधार पर ये फैसला अटपटा लग रहा है, क्योंकि लता वानखेडे कुर्मी समुदाय से आती हैं और सागर संसदीय सीट पर कुर्मी मतदाता कुछ ज्यादा संख्या में नहीं हैं. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस अभी प्रत्याशी की तलाश में जुटी है. कांग्रेस के मजबूत दावेदार माने जा रहे अरुणोदय चौबे ने ठीक चुनाव के पहले भाजपा का दामन थाम लिया है.