सागर: क्षत्रिय समाज के लोगों ने सागर नगर निगम के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन किया. दरअसल, बुंदेलखंड के संभागीय मुख्यालय सागर में क्षत्रिय समाज द्वारा महाराणा प्रताप की मूर्ति स्थापना की मांग लंबे समय से चल रही थी. करीब डेढ़ साल पहले तत्कालीन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने इसके लिए 1 करोड़ की राशि स्वीकृत कर दी थी. पैसा नगर निगम को आवंटित भी हो गया था. लेकिन अब तक मूर्ति नहीं लग पाई. ऐसे में सोमवार को सैकड़ों की संख्या में क्षत्रिय समाज के लोगों ने रैली निकालकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा और जल्द ही मूर्ति स्थापित करने की मांग की.
शुरू होने के बाद रुका मूर्ति स्थापना का काम
दरअसल, बुंदेलखंड का क्षत्रिय समाज लंबे समय से सागर में महाराणा प्रताप की मूर्ति स्थापित करने की मांग कर रहा है. यह मांग प्रदेश में हुए पिछले विधानसभा चुनाव के पहले तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने पूरी भी कर दी थी. उन्होंने सागर में मूर्ति स्थापना के लिए 1 करोड़ की राशि स्वीकृत कर आवंटित करवा दी थी. पहले तय हुआ कि मूर्ति संभागीय खेल परिसर में स्थापित की जाएगी. लेकिन बाद में खेल परिसर के बाहर जगह तय की गयी.
तय जगह पर काम भी शुरू हो गया था. लेकिन इसी बीच तत्कालीन नगर निगम आयुक्त का तबादला हो गया और नए नगर निगम आयुक्त ने आकर कामकाज रोक दिया या रूचि नहीं दिखाई. तब से मूर्ति स्थापना का काम ठंडे बस्ते में है. इस दौरान क्षत्रिय समाज ने अपनी मांग से कई बार जनप्रतिनिधियों और सक्षम अधिकारियों से अवगत भी कराया, लेकिन काम दोबारा शुरू न होने पर अब क्षत्रिय समाज की नाराजगी सड़कों पर आ गयी है. सोमवार को समाज के लोगों ने खेल परिसर में मूर्ति के लिए तय जगह से कलेक्ट्रैट तक पैदल मार्च किया और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर नाराजगी जताई.
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क्षत्रिय समाज का क्या कहना है?
जिला क्षत्रिय महासभा सागर के अध्यक्ष लखनसिंह बामोरा ने कहा "हमारे आराध्य शिरोमणि महाराणा प्रताप की मूर्ति स्थापना के लिए तत्कालीन मंत्री भूपेन्द्र सिंह के द्वारा 1 करोड़ रूपए स्वीकृत किए गए थे. पैसा आवंटित भी हो गया था, लेकिन मूर्ति स्थापना का काम अभी तक नहीं शुरू हो सका है."
सागर के पूर्व सांसद राजबहादुर सिंह का कहना है "लगभग एक साल पहले नगरीय आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने क्षत्रिय समाज की लंबे समय से चल रही इस मांग को पूरा करते हुए एक करोड़ की राशि सागर नगर निगम को आवंटित करायी थी. लेकिन अभी तक मूर्ति की स्थापना नहीं हो पायी है. क्षत्रिय समाज में इस बात को लेकर काफी आक्रोश है."