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"तुझी से रात हो जाना, तुझी से भोर हो जाना", खुरई में गूंजे कुमार विश्वास के तराने - DOHELA MAHOTSAV 2025

सागर जिले के खुरई में डोहेला महोत्सव-2025 के दूसरे दिन मशहूर कवि कुमार विश्वास ने अपने गीतों से समां बांधा.

DOHELA MAHOTSAV 2025
सागर जिले के खुरई में डोहेला महोत्सव-2025 (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 16, 2025, 2:29 PM IST

सागर : सागर जिले के खुरई में बुधवार की शाम का नजारा अलग दिखा. क्योंकि 'डोहेला महोत्सव-2025' के दूसरे दिन मशहूर कवि डॉ. कुमार विश्वास का लोगों को बेसब्री से इंतजार था. जब पब्लिक के सामने कुमार विश्वास आए तो तालियां गड़गड़ा उठी. इसके बाद कुमार विश्वास ने ऐसा समां बांधा कि किला मैदान में आए दर्शक झूम उठे. कविताओं और गीत-गजलों को सुनकर लोग वाह-वाह कर उठे.

कुमार विश्वास की पहली ही कविता पर झूम उठे

डॉ. कुमार विश्वास ने जैसे ही पहली रचना सुनाई तो मैदान में मौजूद लोग झूम उठे. "तुझी से रात हो जाना, तुझी से भोर हो जाना, तेरी ख़ामोशियों से जिंदगी में शोर हो जाना. तेरी ताकत है मेरे इश्क को कमजोर कर देना, मेरी ताकत है तेरे सामने कमजोर हो जाना, मैं अपने गीत गजलों से उसे पैगाम करता हूं, उसी की दी हुई दौलत उसी के नाम करता हूं, हवा का काम है चलना, दिए का काम है जलना, वो अपना काम करती है, मैं अपना काम करता हूं."

खुरई में गूंजे कुमार विश्वास के तराने (ETV BHARAT)

अगर राधा पुकारेगी तो फिर घनश्याम आएगा

कुमार विश्वास ने युवाओं को समर्पित कविता सुनाई "किसी के दिल की मायूसी जहां से हो के गुजरी है, हमारी सारी चालाकी वहीं पर खो के गुजरी, तुम्हारी और मेरी रात में बस फर्क इतना है, तुम्हारी सो के गुजरी है, हमारी रो के गुजरी है, मेरे जीने में मरने में तुम्हारा नाम आयेगा, मैं सांसें रोक लूं फिर भी यही इल्जाम आएगा, हर एक धड़कन में जब तुम हो तो फिर अपराध क्या मेरा, अगर राधा पुकारेगी तो फिर घनश्याम आएगा. कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है, मगर धरती की बेचैनी तो बस बादल समझता है, तू मुझसे दूर कैसी है, मैं तुझसे दूर कैसा हूं, अंधेरा किस को कहते हैं ये बस जुगनू समझता है"

अयोध्या के राम मंदिर पर भी सुनाई कविता

कुमार विश्वास ने बताया "मैं चार दिन अयोध्या में था, भगवान राम का मंदिर बनने के बाद सबसे पहली कविता मैंने वहां सुनाई. जब इतिहास लिखा जाएगा तो मंदिर निर्माण की तिथि को भारत के पुनरुत्थान के रूप में लिखा जाएगा. जैसे ही विग्रह मेरे सामने आया तो मेरी अश्रुधारा बह निकली." उन्होंने कहा कि मां सीता की तीनों बहनों के नाम याद नहीं तो करें, मैं कहता हूं, सबको गीता व रामायण पढ़नी चाहिए. चौदह वर्ष कष्ट सहन कर मां सीता अंबा भी अयोध्या आई थीं. उनके लिए गीत लिखा "चलो अब लौट चलें रघुराई, जन जन के हित इस निर्जन में हमने उमर खपाई, सरयू के तट बिलख रहे हैं."

कार्यक्रम के आयोजक भूपेंद्र सिंह की तारीफ

कुमार विश्वास ने गीतों को सुनने के बीच कहा "तुम्हारा नेता भूपेंद्र सिंह इतना प्यारा है, जिसके बारे में लोग कहते हैं कि उसने यहां सबके लिए बहुत किया है. मुझे बुलाने में लोगों के खजाने खाली हो जाते हैं, लेकिन तुम्हारे नेता की मोहब्बत में यहां तक आया हूं. यह उस एक आदमी की मोहब्बत का परिणाम है कि मुंबई के सारे कलाकार यहां आने को तरसते हैं. 5 स्टार होटल में कविता पढ़ने में वह आनंद नहीं आता, जो यहां खुरई के खुले मैदान में हजारों ऊर्जा से भरे लोगों के बीच आ रहा है"

सागर : सागर जिले के खुरई में बुधवार की शाम का नजारा अलग दिखा. क्योंकि 'डोहेला महोत्सव-2025' के दूसरे दिन मशहूर कवि डॉ. कुमार विश्वास का लोगों को बेसब्री से इंतजार था. जब पब्लिक के सामने कुमार विश्वास आए तो तालियां गड़गड़ा उठी. इसके बाद कुमार विश्वास ने ऐसा समां बांधा कि किला मैदान में आए दर्शक झूम उठे. कविताओं और गीत-गजलों को सुनकर लोग वाह-वाह कर उठे.

कुमार विश्वास की पहली ही कविता पर झूम उठे

डॉ. कुमार विश्वास ने जैसे ही पहली रचना सुनाई तो मैदान में मौजूद लोग झूम उठे. "तुझी से रात हो जाना, तुझी से भोर हो जाना, तेरी ख़ामोशियों से जिंदगी में शोर हो जाना. तेरी ताकत है मेरे इश्क को कमजोर कर देना, मेरी ताकत है तेरे सामने कमजोर हो जाना, मैं अपने गीत गजलों से उसे पैगाम करता हूं, उसी की दी हुई दौलत उसी के नाम करता हूं, हवा का काम है चलना, दिए का काम है जलना, वो अपना काम करती है, मैं अपना काम करता हूं."

खुरई में गूंजे कुमार विश्वास के तराने (ETV BHARAT)

अगर राधा पुकारेगी तो फिर घनश्याम आएगा

कुमार विश्वास ने युवाओं को समर्पित कविता सुनाई "किसी के दिल की मायूसी जहां से हो के गुजरी है, हमारी सारी चालाकी वहीं पर खो के गुजरी, तुम्हारी और मेरी रात में बस फर्क इतना है, तुम्हारी सो के गुजरी है, हमारी रो के गुजरी है, मेरे जीने में मरने में तुम्हारा नाम आयेगा, मैं सांसें रोक लूं फिर भी यही इल्जाम आएगा, हर एक धड़कन में जब तुम हो तो फिर अपराध क्या मेरा, अगर राधा पुकारेगी तो फिर घनश्याम आएगा. कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है, मगर धरती की बेचैनी तो बस बादल समझता है, तू मुझसे दूर कैसी है, मैं तुझसे दूर कैसा हूं, अंधेरा किस को कहते हैं ये बस जुगनू समझता है"

अयोध्या के राम मंदिर पर भी सुनाई कविता

कुमार विश्वास ने बताया "मैं चार दिन अयोध्या में था, भगवान राम का मंदिर बनने के बाद सबसे पहली कविता मैंने वहां सुनाई. जब इतिहास लिखा जाएगा तो मंदिर निर्माण की तिथि को भारत के पुनरुत्थान के रूप में लिखा जाएगा. जैसे ही विग्रह मेरे सामने आया तो मेरी अश्रुधारा बह निकली." उन्होंने कहा कि मां सीता की तीनों बहनों के नाम याद नहीं तो करें, मैं कहता हूं, सबको गीता व रामायण पढ़नी चाहिए. चौदह वर्ष कष्ट सहन कर मां सीता अंबा भी अयोध्या आई थीं. उनके लिए गीत लिखा "चलो अब लौट चलें रघुराई, जन जन के हित इस निर्जन में हमने उमर खपाई, सरयू के तट बिलख रहे हैं."

कार्यक्रम के आयोजक भूपेंद्र सिंह की तारीफ

कुमार विश्वास ने गीतों को सुनने के बीच कहा "तुम्हारा नेता भूपेंद्र सिंह इतना प्यारा है, जिसके बारे में लोग कहते हैं कि उसने यहां सबके लिए बहुत किया है. मुझे बुलाने में लोगों के खजाने खाली हो जाते हैं, लेकिन तुम्हारे नेता की मोहब्बत में यहां तक आया हूं. यह उस एक आदमी की मोहब्बत का परिणाम है कि मुंबई के सारे कलाकार यहां आने को तरसते हैं. 5 स्टार होटल में कविता पढ़ने में वह आनंद नहीं आता, जो यहां खुरई के खुले मैदान में हजारों ऊर्जा से भरे लोगों के बीच आ रहा है"

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