ETV Bharat / state

सागर और नागपुर यूनिवर्सटी के बीच होगा करार, डाॅ हरीसिंह गौर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर करेगी शोध

author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 5, 2024, 7:38 PM IST

Sagar Nagpur University Agreement: सागर की डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय और नागपुर विश्वविद्याल के बीच एक करार होने जा रहा है. इसें डॉ गौर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर शोध किया जाएगा.

sagar nagpur university agreement
सागर और नागपुर यूनिवर्सटी के बीच होगा करार
सागर और नागपुर यूनिवर्सटी के बीच होगा करार

सागर। अपने जीवन की जमा-पूंजी दान कर बुंदेलखंड जैसे पिछडे़ इलाके में देश की आजादी के पहले विश्वविद्यालय की स्थापना करने वाले डाॅ हरीसिंह गौर को लेकर सागर यूनिवर्सिटी और नागपुर विश्वविद्यालय के बीच करार होने जा रहा है. यह करार डॉ हरिसिंह गौर के महान व्यक्तित्व और कृतित्व पर काम करने के लिए किया गया है. जिसमें डाॅ हरीसिंह गौर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर शोध किया जाएगा. गौरतलब है कि डाॅ हरीसिंह गौर सागर यूनिवर्सटी के संस्थापक होने के साथ-साथ नागपुर यूनिवर्सटी के भी कुलपति रहे हैं और दिल्ली यूनिवर्सटी के संस्थापक कुलपति थे.

इस पहल को डाॅ हरीसिंह गौर को भारत रत्न दिए जाने की मांग की दिशा में एक बड़ी पहल माना जा रहा है, क्योंकि डाॅ हरीसिंह गौर का योगदान वकालत के अलावा शिक्षा के क्षेत्र में काफी ज्यादा रहा है. इसके अलावा नागपुर उनकी कर्मभूमि रही है. ब्रिटिश काल में नागपुर से विधानपरिषद के सदस्य चुने गए. दोनों विश्वविद्यालय जल्द ही इस करार को मूर्त रूप देने जा रहे हैं.

Sagar Nagpur University Agreement
डॉ हरिसिंह गौर

सागर यूनिवर्सटी और नागपुर यूनिवर्सटी के बीच करार

सागर विश्वविद्यालय में स्थापित की गई गौर पीठ के समन्वयक प्रोफेसर दिवाकर सिंह राजपूत ने पिछले दिनों नागपुर यूनिवर्सटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर संजय दूधे से मुलाकात की. डाॅ हरीसिंह गौर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर शोध करने के लिए चर्चा की गयी. जिसको लेकर दोनों यूनिवर्सिटी में सैद्धांतिक सहमति बन गयी है. जल्द ही दोनों यूनिवर्सियी एक अकादमिक समझौता करके काम शुरू करेंगे. प्रोफेसर दिवाकर सिंह राजपूत का कहना है कि डॉ. हरीसिंह गौर विश्व के उन महान शिक्षाविदों में शामिल हैं, जिन्होंने अपना जीवन शिक्षा और देश लिए समर्पित कर दिया.

सागर यूनिवर्सटी की स्थापना के पहले डाॅ हरीसिंह गौर दिल्ली यूनिवर्सियी और नागपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति रह चुके हैं. डाॅ हरीसिंह गौर 1922 से 1926 तक नागपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति रहे. इसलिए नागपुर यूनिवर्सटी के साथ डाॅ गौर के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर शोधपरक जानकारी का प्रकाशक किया जाएगा. राष्ट्र संत तुकडो जी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर संजय दूधे ने भी इस पहल पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि डॉक्टर गौर के व्यक्तित्त्व और कृतित्व पर शोधपरक कार्य करना सौभाग्य की बात होगी.

नागपुर डाॅ हरीसिंह गौर की कर्मभूमि

डाॅ हरीसिंह गौर सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक होने के साथ-साथ दिल्ली यूनिवर्सिटी के पहले कुलपति और नागपुर यूनिवर्सिटी के भी कुलपति रहे. नागपुर में उनकी पहचान सिर्फ एक कुलपति के तौर पर नहीं बल्कि ब्रिटिश काल में नागपुर से विधान परिषद के सदस्य के तौर पर रही है. उन्होंने नागपुर से विधान परिषद का सदस्य रहते हुए भारत में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के लिए बिल पारित कराया था. इसके साथ ही उन्होंने महिलाओं को वकालत का अधिकार दिलाने के लिए मुद्दा उठाया और कामयाब रहे.

डाॅ गौर को भारत रत्न दिलाने की मुहिम में मिलेगी मदद

दरअसल, डाॅ हरीसिंह गौर के व्यक्तित्व और कृतित्व को लेकर प्रदेश के लोगों को तो जानकारी है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर के वकील होने के अलावा महान शिक्षाविद और राजनीति के जरिए कई अहम बदलाव लाने के उनके योगदान को लेकर लोगों को कम जानकारी है. संविधान निर्माण में उनके योगदान पर भी कम चर्चा होती है. इसलिए अब यूनिवर्सिटी डाॅ हरीसिंह गौर के विधिवेत्ता, शिक्षाविद, राजनीतिज्ञ और तमाम तरह के योगदान को लेकर शोधपरक कार्य कर प्रकाशन की तैयारी में जुटी हुई है.

यहां पढ़ें...

इसके लिए विश्वविद्यालय स्तर पर डाॅ हरीसिंह गौर को समर्पित एक पीठ की स्थापना भी की गयी है. जिसमें डाॅ गौर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर कामकाज शुरू किया गया है. गौर पीठ सबसे पहले सागर के साथ उन विश्वविद्यालयों को भी जोड़ रही है, जहां डाॅ हरीसिंह गौर कुलपति रहे. इसके अलावा विधि और संविधान निर्माण में उनके योगदान के लिए बडे़ स्तर पर शोध की तैयारी की जा रही है. ताकि भारत रत्न दिलाने की मुहिम को सफलता मिल सके.

सागर और नागपुर यूनिवर्सटी के बीच होगा करार

सागर। अपने जीवन की जमा-पूंजी दान कर बुंदेलखंड जैसे पिछडे़ इलाके में देश की आजादी के पहले विश्वविद्यालय की स्थापना करने वाले डाॅ हरीसिंह गौर को लेकर सागर यूनिवर्सिटी और नागपुर विश्वविद्यालय के बीच करार होने जा रहा है. यह करार डॉ हरिसिंह गौर के महान व्यक्तित्व और कृतित्व पर काम करने के लिए किया गया है. जिसमें डाॅ हरीसिंह गौर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर शोध किया जाएगा. गौरतलब है कि डाॅ हरीसिंह गौर सागर यूनिवर्सटी के संस्थापक होने के साथ-साथ नागपुर यूनिवर्सटी के भी कुलपति रहे हैं और दिल्ली यूनिवर्सटी के संस्थापक कुलपति थे.

इस पहल को डाॅ हरीसिंह गौर को भारत रत्न दिए जाने की मांग की दिशा में एक बड़ी पहल माना जा रहा है, क्योंकि डाॅ हरीसिंह गौर का योगदान वकालत के अलावा शिक्षा के क्षेत्र में काफी ज्यादा रहा है. इसके अलावा नागपुर उनकी कर्मभूमि रही है. ब्रिटिश काल में नागपुर से विधानपरिषद के सदस्य चुने गए. दोनों विश्वविद्यालय जल्द ही इस करार को मूर्त रूप देने जा रहे हैं.

Sagar Nagpur University Agreement
डॉ हरिसिंह गौर

सागर यूनिवर्सटी और नागपुर यूनिवर्सटी के बीच करार

सागर विश्वविद्यालय में स्थापित की गई गौर पीठ के समन्वयक प्रोफेसर दिवाकर सिंह राजपूत ने पिछले दिनों नागपुर यूनिवर्सटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर संजय दूधे से मुलाकात की. डाॅ हरीसिंह गौर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर शोध करने के लिए चर्चा की गयी. जिसको लेकर दोनों यूनिवर्सिटी में सैद्धांतिक सहमति बन गयी है. जल्द ही दोनों यूनिवर्सियी एक अकादमिक समझौता करके काम शुरू करेंगे. प्रोफेसर दिवाकर सिंह राजपूत का कहना है कि डॉ. हरीसिंह गौर विश्व के उन महान शिक्षाविदों में शामिल हैं, जिन्होंने अपना जीवन शिक्षा और देश लिए समर्पित कर दिया.

सागर यूनिवर्सटी की स्थापना के पहले डाॅ हरीसिंह गौर दिल्ली यूनिवर्सियी और नागपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति रह चुके हैं. डाॅ हरीसिंह गौर 1922 से 1926 तक नागपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति रहे. इसलिए नागपुर यूनिवर्सटी के साथ डाॅ गौर के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर शोधपरक जानकारी का प्रकाशक किया जाएगा. राष्ट्र संत तुकडो जी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर संजय दूधे ने भी इस पहल पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि डॉक्टर गौर के व्यक्तित्त्व और कृतित्व पर शोधपरक कार्य करना सौभाग्य की बात होगी.

नागपुर डाॅ हरीसिंह गौर की कर्मभूमि

डाॅ हरीसिंह गौर सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक होने के साथ-साथ दिल्ली यूनिवर्सिटी के पहले कुलपति और नागपुर यूनिवर्सिटी के भी कुलपति रहे. नागपुर में उनकी पहचान सिर्फ एक कुलपति के तौर पर नहीं बल्कि ब्रिटिश काल में नागपुर से विधान परिषद के सदस्य के तौर पर रही है. उन्होंने नागपुर से विधान परिषद का सदस्य रहते हुए भारत में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के लिए बिल पारित कराया था. इसके साथ ही उन्होंने महिलाओं को वकालत का अधिकार दिलाने के लिए मुद्दा उठाया और कामयाब रहे.

डाॅ गौर को भारत रत्न दिलाने की मुहिम में मिलेगी मदद

दरअसल, डाॅ हरीसिंह गौर के व्यक्तित्व और कृतित्व को लेकर प्रदेश के लोगों को तो जानकारी है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर के वकील होने के अलावा महान शिक्षाविद और राजनीति के जरिए कई अहम बदलाव लाने के उनके योगदान को लेकर लोगों को कम जानकारी है. संविधान निर्माण में उनके योगदान पर भी कम चर्चा होती है. इसलिए अब यूनिवर्सिटी डाॅ हरीसिंह गौर के विधिवेत्ता, शिक्षाविद, राजनीतिज्ञ और तमाम तरह के योगदान को लेकर शोधपरक कार्य कर प्रकाशन की तैयारी में जुटी हुई है.

यहां पढ़ें...

इसके लिए विश्वविद्यालय स्तर पर डाॅ हरीसिंह गौर को समर्पित एक पीठ की स्थापना भी की गयी है. जिसमें डाॅ गौर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर कामकाज शुरू किया गया है. गौर पीठ सबसे पहले सागर के साथ उन विश्वविद्यालयों को भी जोड़ रही है, जहां डाॅ हरीसिंह गौर कुलपति रहे. इसके अलावा विधि और संविधान निर्माण में उनके योगदान के लिए बडे़ स्तर पर शोध की तैयारी की जा रही है. ताकि भारत रत्न दिलाने की मुहिम को सफलता मिल सके.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.