सागर। वीरांगना रानी दुर्गावती (नौरादेही) टाइगर रिजर्व में बाघों की गणना के लिए 400 वर्ग किमी एरिया में ग्रिड बनाकर करीब 800 कैमरे लगाए गए हैं. इन ट्रैप कैमरा में बाघों की आवाजाही और हरकत को ट्रैक किया जाएगा. दरअसल एनटीसीए (national tiger conservation authority) द्वारा अलग-अलग तरीके से बाघों की गणना कराई जाती है और चौथे चरण में कैमरा ट्रैप लगाकर बाघों की गणना की जाती है. मध्य प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व में ट्रैप कैमरा की जरिए बाघों की गणना शुरू हो चुकी है.
नौरादेही टाइगर रिजर्व में 16 बाघ मौजूद
टाइगर रिजर्व बनने के बाद यह पहला मौका है, जब नौरादेही टाइगर रिजर्व में बाघों की गणना की NTCA गाइडलाइन के अनुसार की जा रही है. बाघों की गणना में WWE (वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया) और WWF ( वर्ल्ड वाइड फंड ऑफ नेचर ) से मदद ली जा रही है. फिलहाल नौरादेही टाइगर रिजर्व में 16 बाघ हैं.
ट्रैप कैमरा से होती है बाघों की गणना
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की गाइड लाइन के अनुसार बाघों की गणना चार चरणों में होती है. पहले चरण में बाघ की मौजूदगी की संभावना वाले स्थानों को चिन्हित किया जाता है और बाघों के प्रमाण जुटाए जाते हैं. सात दिन तक चलने वाली गणना में पग मार्क और अन्य चिन्हों के जरिए गणना करते हैं. दूसरे चरण में वन्य जीव संस्थानों के वैज्ञानिकों बाघ की संभावना वाले इलाकों में जीआईएस मैप के माध्यम से बाघों की मौजूदगी का अध्ययन और आकलन करते हैं. तीसरे चरण में संभावना और मौजूदगी वाले स्थानों पर ट्रैप कैमरा लगाकर बाघों की फोटो लिए जाते हैं. चौथे और अंतिम चरण में संरक्षित क्षेत्र यानि टाइगर रिजर्व में बाघों की गणना की जाती है. इस तरह से टाइगर रिजर्व में ट्रैप कैमरा के जरिए बाघों की करना शुरू हो गई है.
टाइगर रिजर्व में शुरू हुई गणना
सभी टाइगर रिजर्व में बाघ प्रबंधन के तहत NTCA की गाइड लाइन के जरिए बाघों की गणना का काम किया जाता है. टाइगर रिजर्व में एरिया बांटकर ग्रिड बनाए जाते हैं और ट्रैप कैमरा लगाए जाते हैं. बाघों का जो विचरण क्षेत्र होता है, उस क्षेत्र को ग्रिड में बांटकर हर ग्रिड में दो-दो कैमरे लगाए जाते हैं. इस गणना में कोशिश होती है कि बाघ की पहचान भी हो सके कि बाघ का नंबर क्या है और यह रिकॉर्ड में मौजूद है कि नहीं. इस गणना में वन्य जीव संस्थाओं की भी मदद ली जाती है.
नौरादेही में 400 वर्ग किमी में लगे ट्रैप कैमरा
वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में 400 वर्ग किलोमीटर में चौथे फेज की गणना की जा रही है. इस गणना के लिए हर दो वर्ग किलोमीटर के ग्रिड में कैमरे लगाए गए हैं. इस तरह 400 से लेकर 800 ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं. अभी नौरादेही टाइगर रिजर्व में 400 वर्ग किलोमीटर का एक ही ब्लॉक बनाया गया है. इस ब्लॉक में जो ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं, वह सेंसर आधारित हैं. जब भी कोई वन्य जीव आवाजाही या हरकत करेगा, तो कमरे में ट्रैप हो जाएगा.
कैसे होती है गणना की तैयारी
वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉ ए ए अंसारी बताते हैं कि ''कैमरे की सेटिंग हमारे द्वारा की जाती है कि कितने सेकंड की तस्वीर ली जाए. गणना में लगने वाले कर्मचारियों को ट्रैप कैमरा के बारे में प्रशिक्षित किया जाता है कि वन्य जीव की तस्वीर कैसे साफ सुथरी आए. ट्रैप कैमरा की बैटरी का सुचारू संचालन कैसे किया जाए और कैमरे का मेमोरी कार्ड फूल हो जाने पर उसे कैसे खाली किया जाए और फिर कैसे लगाया जाए कि वह अपने स्थान पर लगा रहे. इन तमाम चीजों का प्रशिक्षण गणना में लगे कर्मचारियों को विशेषज्ञों द्वारा दिया जाता है.''