बाड़मेर: मुंबई के प्रतिष्ठित मुक्ति क्लचरल ऑडिटोरियम में शुक्रवार शाम को आयोजित रूमायना रंगोत्सव ने कला, संगीत और हस्तशिल्प का ऐसा अद्भुत संगम प्रस्तुत किया जिसने मुंबई वासियों का मन मोह लिया. यह आयोजन राजस्थान सहित देशभर की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत, खासकर वीणा, भजन, संगीत कला और स्थानीय दस्तकारी को प्रोत्साहित करने का महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ. सुबह मुंबई के जुहू समुद्र तट पर प्रभात सत्संग का आयोजन किया गया.
प्राचीन वीणा भजन संगीत और पारंपरिक वेशभूषा में कलाकारों की प्रस्तुति: कार्यक्रम की शुरुआत से समापन तक बाड़मेर के 75 लोक कलाकारों द्वारा गाई कबीर, मीरा, गोरख आदि संतों की वाणीयां गूंजती रही. बाड़मेर के लोक कलाकारों ने राजस्थानी पारंपरिक वेशभूषा में ऐसे अद्भुत भजनों और सुरों की प्रस्तुति दी कि उपस्थित श्रोता झूमने और तालियों से वातावरण गूंजाने पर मजबूर हो गए. इस आयोजन ने संगीत की शक्ति और सांस्कृतिक धरोहर की महत्ता को बखूबी दर्शाया. कार्यक्रम स्थल पर रूमा देवी फाउंडेशन द्वारा विशेष हस्तशिल्प प्रदर्शनी का आयोजन किया गया.
डॉ रूमा देवी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि यह आयोजन न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर को उजागर करता है, बल्कि महिला सशक्तिकरण का भी प्रतीक है. अभिनेत्री पूनम सिन्हा ने कहा कि रूमा देवी आज हम सब की प्रेरणापुंज है. मुक्ति फाउंडेशन की संयोजक और फिल्म निर्माता, सामाजिक कार्यकर्ता स्मिता ठाकरे ने कार्यक्रम के दौरान रूमा देवी का साक्षात्कार लिया और महाराष्ट्र में उनके साथ मिलकर काम करने की इच्छा व्यक्त की. सेवाधाम उज्जैन के संस्थापक सुधीर गोयल को रूमा देवी फाउंडेशन की तरफ से मानवीय सेवाओं के लिए सर्वतोभद्र सम्मान से सम्मानित किया गया.