अजमेर. हरिभाऊ उपाध्याय नगर स्थित एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान वकील की मौत हो गई. इसके बाद परिजनों और उसके रिश्तेदारों ने हंगामा कर दिया. परिजनों का आरोप था कि अस्पताल की लापरवाही से युवा वकील की मौत हुई है. अस्पताल के बाहर रावत समाज और जिला बार एसोसिएशन के बैनर तले वकीलों ने भी धरना देते हुए मामले में निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है.
जिला परिषद के पूर्व सदस्य राजेंद्र सिंह रावत ने बताया कि 13 जून को मार्टिण्डल ब्रिज के पास बलिया गांव के सरपंच जयसिंह रावत के पुत्र दिलबाग सिंह रावत का मोटरसाइकिल से एक्सीडेंट हो गया था. हादसा होने के बाद दिलबाग सिंह खुद मोटरसाइकिल चला कर रात को अपने घर गया और सुबह वापस अस्पताल में चिकित्सक से परामर्श लेने के लिए पहुंचा. यहां उसका सीटी स्कैन किया गया. चिकित्सक ने उसे बताया कि उसके ब्रेन में एक छोटा सा क्लॉट है जो इंजेक्शन से बिल्कुल ठीक हो जाएगा. इंजेक्शन देने के बाद भी जब क्लॉट खत्म नहीं हुआ तो उसका ऑपरेशन किया गया.
रावत ने बताया कि चिकित्सकों ने ऑपरेशन करने के बाद परिजनों को कहा था कि ऑपरेशन सफल रहा है. जल्द ही दिलबाग को होश आ जाएगा, लेकिन दिलबाग को होश नहीं आया. उसकी मौत हो गई. आरोप लगाया है कि दिलबाग की मौत से परिजनों के होश उड़ गए. जब परिजनों ने अस्पताल प्रशासन को दिलबाग की मौत के बारे में कहा और विरोध जताया तो उनसे अभद्रता की गई. रावत ने आरोप लगाया कि मौत दिलबाग की मौत इलाज में लापरवाही से हुई है.
रावत समाज और बार एसोसिएशन ने दिया धरना: वकील दिलबाग सिंह की मौत के बाद रावत समाज के लोग बड़ी संख्या में अस्पताल के बाहर जमा हो गए. समाज के लोगों ने मामले के निष्पक्ष जांच और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की. मृतक दिलबाग पेशे से वकील था, इसलिए उसकी मौत से वकीलों में भी आक्रोश फैल गया. जिला बार एसोसिएशन के बैनर तले वकील भी अस्पताल पहुंच गए. यहां बार अध्यक्ष चंद्रभान सिंह राठौड़ के नेतृत्व में वकीलों ने अस्पताल के बाहर धरना दिया. राठौड़ ने कहा कि अस्पताल में दिलबाग सिंह की इलाज के दौरान मौत होना कई तरह के सवाल खड़े कर रही है. मृतक के शव का पोस्टमार्टम मेडिकल बोर्ड से किया जाना चाहिए. साथ ही दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की भी मांग की.
हुआ समझौता: करीब 2 घंटे तक हंगामे और कई दौर की वार्ता के बाद अस्पताल प्रशासन और परिजनों के बीच समझौता हो गया. अस्पताल प्रशासन 21 लाख रुपए और इलाज का खर्च माफ करने को तैयार हो गया. इस पर रावत समाज और जिला बार एसोसिएशन ने धरना हटा दिया. हंगामे की सूचना पाकर मौके पर पहुंचे एडीएम सिटी गजेंद्र सिंह राठौड़ ने मामले निष्पक्ष जांच का परिजनों को आश्वासन दिया.