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राधामोहन दास बोले- संघ प्रमुख के बयान की विवेचना नहीं, आदेश समझ पालना करते हैं - MANDIR MASJID CONTROVERSY

संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान का राजस्थान भाजपा प्रभारी ने समर्थन किया. दास ने कहा कि उनके बयान की विवेचना नहीं, पालना करते हैं.

Radha Mohan Das Agarwal
राजस्थान भाजपा प्रभारी (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 2, 2025, 7:47 PM IST

जयपुर: 'हर मस्जिद के नीचे मंदिर ढूंढने' को लेकर संघ प्रमुख मोहन भागवत का बयान के बाद अलग-अलग प्रतिक्रिया आ रही है. इस बीच प्रदेश प्रभारी राधामोहन दास ने भागवत के बयान पर खुलकर समर्थन में उतर आए हैं. दास ने यहां तक कह दिया कि भागवत के बयान की विवेचना नहीं कर सकते. उन्होंने जो कह दिया, उसकी सिर्फ और सिर्फ पालना करनी है.

मोहन भागवत का बयान आदेश : प्रदेश प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल ने गुरुवार को जयपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत हमारे प्रेरणा के स्रोत रहे. संघ की विचारधारा और भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा एक जैसी है. जहां तक संघ प्रमुख के बयान की बात है तो जो वह कहते हैं और करते हैं, वह हमारे लिए सामान्य होता है. उसे हम अपने व्यवहार में उतारते हैं.

राधामोहन दास अग्रवाल का बड़ा बयान (ETV Bharat Jaipur)

दास ने कहा कि मैं भारतीय जनता पार्टी का छोटा सा कार्यकर्ता हूं, साथ मे मूलतः एक स्वयंसेवक हूं. हमारे सरसंघचालक मोहन भागवत ने जो कह दिया, उसकी विवेचना नहीं करते हैं, उनके आदेश की पालन करते हैं और स्वयंसेवक इसलिए पहचाना जाता है. उन्होंने जो कहा, उसे मानना है. वो आदर्श भूमिका है. मोहन भागवत का एक-एक शब्द हमारे लिए आदेश होता है और इस बात को सार्वजनिक कहने में कोई संकोच भी नहीं है. वहीं, हमारे राजनीतिक आदर्श प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, जिन्होंने पूरी जीवन पार्टी और देश के लिए समर्पित किया है. पीएम मोदी हमारे आदर्श के रूप में हैं. मोदी आज पूरी दुनिया के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं. वह जो काम कर रहे हैं वह सोच समझ कर कर रहे हैं. हमें उनके आदर्शों पर ही काम करना है.

जिलों का फैसला राजनीति द्वेष से नहीं : जिलों की कटौती पर राधामोहन दास ने कहा कि जिलों की जिस तरह से घोषणा की गई थी, वह पूरी तरह से राजनीतिक घोषणा थी. पूर्व सीम अशोक गहलोत बताना चाहते हैं कि सरकार सिर्फ राजनीतिक शोषण के लिए होती है. उन्होंने जिस प्रकार से जिलों की घोषणा की, वह सब राजनीतिक घोषणा थी. उनका कार्य प्रणाली का कोई सिद्धांत नहीं था. जिले जनता के हित के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन उन्होंने कभी इसका ध्यान नहीं रखा. जब उन्होंने जिले बनाने की घोषणा की, उस व्यक्त वे स्वयं भी ईमानदार नहीं थे. जिस जिले के भवन तक नहीं बने, वहां पर अधिकारी पोस्ट नहीं और वहां पर जिल बना दिया.

पढ़ें : गहलोत ने सरकार को निकम्मी-नकारा कहा तो भाजपा के प्रदेश प्रभारी बोले- 'खिसियानी बिल्ली...' - RADHA MOHAN DAS AGGARWAL

चुनाव के समय लोगों को मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन जनता सब समझती है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने राजनीतिक द्वेष से काम नहीं किया. उन्होंने बड़प्पन का परिचय दिया. उन्होंने कमेटी बनाई. इसके अलावा अलग-अलग लोगों से सुझाव लिए और उसके आधार पर जिलों की कटौती का निर्णय लिया. अधिकारियों की रिपोर्ट पर जिले नहीं बदले गए. यह सही नहीं है. कमेटी बनाई गई थी. कमेटी के सुझाव आए हैं. इसके अलावा अलग-अलग लोगों से सुझाव लिए गए थे. उसके बाद जब मूल्यांकन किया गया और फिर निर्णय लिया गया है. हमने कोई राजनीतिक द्वेष से जिले खत्म नहीं किए हैं. यह काम सिर्फ कांग्रेस का था. वही राजनीतिक द्वेष से काम करती है.

जिसकी जैसी भावना, वैसा काम : जिसकी जैसी सोच होती है, वह वैसा कहता है. पूर्व सीएम अशोक गहलोत हमेशा पायलट के परिपेक्ष में निर्णय लेते रहे हैं. उनको खत्म कर दो पायलट का अहित करो, उसको लागू कर दो. अशोक गहलोत ने हमेशा पायलट को नीचा दिखाने और उनके विरुद्ध राजनीति करने का काम किया. इसलिए जिसकी जैसी सोच, वो वैसा ही सोचता और बोलता है, क्योंकि उनकी मानसिकता उसी तरह की है.

जहां तक उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा के विधानसभा क्षेत्र के जिले को रद्द करने की बात है तो प्रेमचंद बैरवा एक विधानसभा के उपमुख्यमंत्री नहीं हैं. वो पूरे राजस्थान के हैं. एरिया बांटने का काम अशोक गहलोत का रहा. उन्होंने एरिया के गैंगस्टर बना दिए थे. भरतपुर तुम्हारा, दौसा तुम्हारा, कोटा तुम्हारा, लेकिन भारतीय जनता पार्टी में ऐसा नहीं होता है. हमारी सरकार सबके लिए काम करती है और सबको एक समान मानती है. जो भी निर्णय लिए हैं, वह सब जानता के हित में और जनता से जुड़े हुए लिए हैं. सबकी राय से लिए हैं.

जयपुर: 'हर मस्जिद के नीचे मंदिर ढूंढने' को लेकर संघ प्रमुख मोहन भागवत का बयान के बाद अलग-अलग प्रतिक्रिया आ रही है. इस बीच प्रदेश प्रभारी राधामोहन दास ने भागवत के बयान पर खुलकर समर्थन में उतर आए हैं. दास ने यहां तक कह दिया कि भागवत के बयान की विवेचना नहीं कर सकते. उन्होंने जो कह दिया, उसकी सिर्फ और सिर्फ पालना करनी है.

मोहन भागवत का बयान आदेश : प्रदेश प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल ने गुरुवार को जयपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत हमारे प्रेरणा के स्रोत रहे. संघ की विचारधारा और भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा एक जैसी है. जहां तक संघ प्रमुख के बयान की बात है तो जो वह कहते हैं और करते हैं, वह हमारे लिए सामान्य होता है. उसे हम अपने व्यवहार में उतारते हैं.

राधामोहन दास अग्रवाल का बड़ा बयान (ETV Bharat Jaipur)

दास ने कहा कि मैं भारतीय जनता पार्टी का छोटा सा कार्यकर्ता हूं, साथ मे मूलतः एक स्वयंसेवक हूं. हमारे सरसंघचालक मोहन भागवत ने जो कह दिया, उसकी विवेचना नहीं करते हैं, उनके आदेश की पालन करते हैं और स्वयंसेवक इसलिए पहचाना जाता है. उन्होंने जो कहा, उसे मानना है. वो आदर्श भूमिका है. मोहन भागवत का एक-एक शब्द हमारे लिए आदेश होता है और इस बात को सार्वजनिक कहने में कोई संकोच भी नहीं है. वहीं, हमारे राजनीतिक आदर्श प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, जिन्होंने पूरी जीवन पार्टी और देश के लिए समर्पित किया है. पीएम मोदी हमारे आदर्श के रूप में हैं. मोदी आज पूरी दुनिया के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं. वह जो काम कर रहे हैं वह सोच समझ कर कर रहे हैं. हमें उनके आदर्शों पर ही काम करना है.

जिलों का फैसला राजनीति द्वेष से नहीं : जिलों की कटौती पर राधामोहन दास ने कहा कि जिलों की जिस तरह से घोषणा की गई थी, वह पूरी तरह से राजनीतिक घोषणा थी. पूर्व सीम अशोक गहलोत बताना चाहते हैं कि सरकार सिर्फ राजनीतिक शोषण के लिए होती है. उन्होंने जिस प्रकार से जिलों की घोषणा की, वह सब राजनीतिक घोषणा थी. उनका कार्य प्रणाली का कोई सिद्धांत नहीं था. जिले जनता के हित के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन उन्होंने कभी इसका ध्यान नहीं रखा. जब उन्होंने जिले बनाने की घोषणा की, उस व्यक्त वे स्वयं भी ईमानदार नहीं थे. जिस जिले के भवन तक नहीं बने, वहां पर अधिकारी पोस्ट नहीं और वहां पर जिल बना दिया.

पढ़ें : गहलोत ने सरकार को निकम्मी-नकारा कहा तो भाजपा के प्रदेश प्रभारी बोले- 'खिसियानी बिल्ली...' - RADHA MOHAN DAS AGGARWAL

चुनाव के समय लोगों को मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन जनता सब समझती है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने राजनीतिक द्वेष से काम नहीं किया. उन्होंने बड़प्पन का परिचय दिया. उन्होंने कमेटी बनाई. इसके अलावा अलग-अलग लोगों से सुझाव लिए और उसके आधार पर जिलों की कटौती का निर्णय लिया. अधिकारियों की रिपोर्ट पर जिले नहीं बदले गए. यह सही नहीं है. कमेटी बनाई गई थी. कमेटी के सुझाव आए हैं. इसके अलावा अलग-अलग लोगों से सुझाव लिए गए थे. उसके बाद जब मूल्यांकन किया गया और फिर निर्णय लिया गया है. हमने कोई राजनीतिक द्वेष से जिले खत्म नहीं किए हैं. यह काम सिर्फ कांग्रेस का था. वही राजनीतिक द्वेष से काम करती है.

जिसकी जैसी भावना, वैसा काम : जिसकी जैसी सोच होती है, वह वैसा कहता है. पूर्व सीएम अशोक गहलोत हमेशा पायलट के परिपेक्ष में निर्णय लेते रहे हैं. उनको खत्म कर दो पायलट का अहित करो, उसको लागू कर दो. अशोक गहलोत ने हमेशा पायलट को नीचा दिखाने और उनके विरुद्ध राजनीति करने का काम किया. इसलिए जिसकी जैसी सोच, वो वैसा ही सोचता और बोलता है, क्योंकि उनकी मानसिकता उसी तरह की है.

जहां तक उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा के विधानसभा क्षेत्र के जिले को रद्द करने की बात है तो प्रेमचंद बैरवा एक विधानसभा के उपमुख्यमंत्री नहीं हैं. वो पूरे राजस्थान के हैं. एरिया बांटने का काम अशोक गहलोत का रहा. उन्होंने एरिया के गैंगस्टर बना दिए थे. भरतपुर तुम्हारा, दौसा तुम्हारा, कोटा तुम्हारा, लेकिन भारतीय जनता पार्टी में ऐसा नहीं होता है. हमारी सरकार सबके लिए काम करती है और सबको एक समान मानती है. जो भी निर्णय लिए हैं, वह सब जानता के हित में और जनता से जुड़े हुए लिए हैं. सबकी राय से लिए हैं.

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